लॉकडाउन की वजह से बाजार नहीं जा पा रहे किसान, खेतों में सड़ रहीं सब्जियां

Update: 2020-04-01 11:41 GMT

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। "अखबारों और टीवी पर और लोगों से सुनता हूं कि जब से कोरोना वायरस को लेकर देशभर में लॉकडाउन घोषित किया गया है तब से हरी सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं, लेकिन हमारी खेतों में लगी हरी सब्जी तो बेकार हो रही है। लॉकडाउन के पहले हमें पैसे मिलते थे, अब कोई पूछने वाला नहीं है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 40 किमी दूर बाराबंकी के बेलहरा के किसान बेचन मौर्य बताते हैं।

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश में 24 मार्च से 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया है। इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। गाड़ियों की आवाजाही बंद होने के कारण सब्जियां जिले से बाहर की बड़ी मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, व्यापारी खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे खेतों में सब्जियां खराब हो रही हैं।

"ऐसा नहीं है कि कोरोना वायरस की वजह से जो लॉकडाउन घोषित हुआ है इससे सब्जी का उत्पादन कम हो गया है। खेतों में हरी सब्जियों का बंपर उत्पादन हो रहा है, लेकिन हम किसान अपनी फसल को मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। छोटे मोटे दुकान वाले हमारी खेतों तक पहुंच रहे हैं और सब्जी खरीदते हैं, लेकिन जितना उत्पादन हम किसानों के पास है वह बिक नहीं पा रहा है। हरी सब्जियां सड़ रही हैं। उसे हम ओने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर हैं।" बेचन मौर्या आगे कहते हैं। बाराबंकी का बेलहरा क्षेत्र सब्जियों के उत्पादन के मामले में जिले में नंबर एक पर है।

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मंडियों में सब्जी की आवक कम होने की वजह शहरों में सब्जी की कीमत बढ़ गई है, लेकिन किसानों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है।

बाराबंकी के ही रहने वाले सुशील मौर्य बताते हैं, "इस वक्त हमारे पास टमाटर, फूलगोभी, पात गोभी, लौकी और कद्दू का उत्पादन हो रहा है। इन फसलों के लिए कई तरह के कीटनाशकों की हमें जरूरत पड़ती है लेकिन दुकानों पर पर्याप्त दवाएं नहीं हैं। जिसकी वजह से हमारी खेतों में लगी फसलें कीट की चपेट में हैं। जो टमाटर शहरों में 40 से 50 रुपए प्रति किलो में बिक रहा है, वह हमारे खेतों में 10,12 रुपए में भी कोई लेने वाला नहीं है।"

यहां के युवा किसान वदेश मौर्या भी कीमतों को लेकर परेशान हैं। वे कहते हैं, "हमारे यहां से करीब 4 -5 ट्रक हरी सब्जियां प्रदेश की अलग-अलग मंडियों में इस वक्त जाती थी जिसमें लोकी, कद्दू ,हरी मिर्च लहसुन प्याज होता था और इन सब्जियों को तैयार करने के लिए ज्यादा से ज्यादा मजदूरों की जरूरत पड़ती थी। लेकिन इस वक्त कोरोना वायरस को लेकर मजदूर भी भयभीत हैं। फसलों को तैयार करना भी टेढ़ी खीर बन गया है"

वे आगे बताते, "सरकार ने जरूरी चीजों को आने-जाने की छूट दे रखी है फिर भी कोई व्यापारी खेतों तक नहीं आ रहा। पहले इस सीजन में सब्जी मंडी से कई व्यापारी हमारे क्षेत्र में हरी सब्जियां खरीदने के लिए आते थे और हमारी हरी सब्जियां मंडी तक आसानी से पहुंच जाती थीं, लेकिन ऐसा अब संभव नहीं हो पा रहा है। हम किसानों का नुकसान हो रहा है और शहर वालों को हरी सब्जियां के ज्यादा देने पड़ रहे हैं।"

बाराबंकी जिला मेंथा की खेती के लिए भी जाना जाता है। इसकी खेती पर भी कोरोना वायरस का असर पड़ रहा है। बेलहरा के ही किसान कैलाश मौर्य कहते हैं, "बाराबंकी जिला मेथा की खेती के लिए जाना जाता है और इस वक्त मेथा की रोपाई चल रही है। मेंथा में खरपतवार नियंत्रण के लिए दवाओं का छिड़काव किया जाता है, लेकिन इस समय दुकानों पर दवाएं नहीं हैं। खेती की लागत काफी ज्यादा हो जाएगी और अगर ऐसा ही चलता रहा तो खेतों से खरपतवार निकालने के लिए मजदूर भी नहीं मिलेंगे।"

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