मध्य प्रदेश में भुगतान के लिए भटक रहे किसान, समर्थन मूल्य में दो महीने पहले बेचा था गेहूं

किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर सात दिनों में भुगतान नही हुआ तो किसान आंदोलन करेगा और इसकी पूरी जवाबदेही प्रशासन की होगी।

Update: 2020-08-07 08:51 GMT
मध्य प्रदेश के सतना जिले में दो महीने से गेहूं के किसानों का भुगतान न किये जाने पर किसानों ने आधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। फोटो : गाँव कनेक्शन

सतना (मध्य प्रदेश)। प्रदेश में समर्थन मूल्य में अपनी उपज बेचना अब किसानों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। खरीदी बंद होने के दो माह बाद भी किसान भुगतान पाने के लिए भटक रहा है। अधिकारियों की उदासीनता के कारण करीब 50 लाख रुपये से भी अधिक किसानों का भुगतान शासन स्तर से लंबित है।

"आज किसानों के खाने के लाले पड़े हुए हैं। एक किसान किस तरह खेती करे और किस तरह से अपने परिवार का पेट पाले? रैगांव विधानसभा या सतना जिले की किसी भी समिति में अभी तक किसानों का पैसा नहीं गया है। किसान बुरी तरह से परेशान हैं, किसानों का हक कब तक दिया जाएगा?," किसान नेता कल्पना वर्मा 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं।

जिले में पड़रौत, रेउरा फार्म निपनिया, शेरगंज, सोहावल, रैगांव केन्द्र में गेहूं की फसल का विक्रय करने वाले किसानों ने शुक्रवार सात अगस्त को रैगांव विधानसभा की पूर्व प्रत्याशी और किसान नेता कल्पना वर्मा के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचकर अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। कल्पना वर्मा की तरह जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से रोजाना काफी संख्या में किसान कलेक्ट्रेट पहुंच रहे हैं और प्रशासन से भुगतान कराए जाने की मांग कर रहे हैं।

ई-उपार्जन की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक मध्य प्रदेश के सतना ज़िले में पंजीकृत 46,100 किसानों से 31 लाख 94 हजार 420 क्विंटल गेहूं की खरीदी की गई। जिसका 614 करोड़ 92 लाख 50 हजार 48 रुपए का भुगतान किसानों को किया जाना था लेकिन ऋण वसूली के पश्चात अब भी 50 लाख 17 हजार 488 रुपए की रकम किसानों के खातों में नही पहुंच पाई है।


किसानों ने एक सप्ताह के अंदर भुगतान की रकम दिलाए जाने की प्रशासन से गुहार लगाई है। साथ ही किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर सात दिनों में भुगतान नही हुआ तो किसान आंदोलन करेगा और इसकी पूरी जवाबदेही प्रशासन की होगी।

ई-उपार्जन वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार सतना जिले में सेवा सहकारी समितियों ने उपार्जन के 50 फीसदी भुगतान से कर्ज की वसूली कर ली। जिले भर की सभी सहकारी समितियों ने 10 करोड़ 70 लाख 59 हजार 872 रुपए की वसूली कर अपनी साख बचाई है। खरीदी शुरू होने से पहले ही समितियों ने कर्जदार किसानों की सूची पोर्टल में अपलोड की थी ताकि जैसे भुगतान की रकम आए तो बैंक का पैसा किसान की बिना सहमति के ही वसूल हो जाए।

अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) रघुराजनगर पीएस त्रिपाठी बताते हैं, "रैगांव क्षेत्र के कुछ सोसायटी के किसान आये थे और उन्होंने ज्ञापन देकर बताया कि उनकी गेहूं खरीदी हुई है मगर दो माह बाद भी उसका भुगतान नहीं हुआ है। उनके ज्ञापन के आधार पर हम परीक्षण कर रहे हैं और संबंधित अधिकारियों को लिख रहे हैं," क्यों रुका है भुगतान के सवाल पर उन्होंने कहा, "ये तो परीक्षण में पता चलेगा लेकिन हो सकता है उठाव या गेहूं खराब भुगतान पेंडिंग हो, ऐसा हो सकता है।" 

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