किसी ने जहर खाया तो किसी ने फांसी लगा ली, पंजाब में कर्ज से दबे पांच किसानों ने की आत्महत्या

पंजाब सरकार ने अपने एक आधिकारिक बयान में माना था कि राज्य में सन 2000 से अब तक 16,000 किसान और खेतिहर मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं।

Update: 2018-05-16 10:13 GMT
देश में किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला थम नहीं रहा है। बीते 24 घंटों में सिर्फ पंजाब राज्य में कर्ज से परेशान पांच किसानों ने आत्महत्या कर अपनी जान दे दी है। पंजाब सरकार ने अपने एक आधिकारिक बयान में माना था कि राज्य में सन 2000 से अब तक 16,000 किसान और खेतिहर मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं।
हाल में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने किसानों की आत्महत्याओं से जुड़े आंकड़े संसद में प्रस्तुत किए। आंकड़ों के अनुसार, साल 2016 में देश में 11,370 किसानों ने आत्महत्या की। ये आंकड़े इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि मौजूदा कृषि संकट की सबसे बड़ी वजह है कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
कृषि मामलों के जाने माने जानकार देविंदर शर्मा 'गाँव कनेक्शन' से फोन पर बताते हैं, "पंजाब के लिए बहुत दुखद दिन है। यह बहुत दर्दनाक है कि एक दिन के अंदर एक ही राज्य के पांच किसान आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसी घटनाओं में सिर्फ सरकार दोषी नहीं है, शहर के लोगों को भी किसान के दर्द से कोई मतलब नहीं है। देश में भयानक कृषि संकट को नजरअंदाज कर भला एक समाज कैसे आगे बढ़ सकता है?"
पंजाब में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष
बलविंदर सिंह बाजवा
बताते हैं, "देश के किसानों के सामने आज इतनी मुश्किलें हैं कि किसान मरता तो क्या न करता। कर्ज के बोझ तले किसानों को दबाया जा रहा है और न चुकाने पर किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। यही कारण है कि गेहूं और धान के लिए पहचाने जाने वाले राज्य पंजाब में एक ही दिन में पांच किसान आज आत्महत्या कर रहे हैं।"
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किसानों की कर्जमाफी के सवाल पर बलविंदर सिंह आगे कहते हैं, "बड़ी संख्या में किसान ऐेसे हैं, जिनकी कर्जमाफी आज तक हो नहीं सकी। सरकार ने किसानों को ठगा है, यही कारण है कि आज भी किसान कर्ज न चुका पाने के कारण जहर पी रहा है, फांसी पर झूल रहा है।"
बीते 24 घंटों में इन किसानों ने की आत्महत्या


जमीन बेचकर भी नहीं उतार सका कर्ज
जानकारी के अनुसार, पंजाब के बठिंडा के इन किसानों पर सरकारी और गैर सरकारी बैंकों का लाखों रुपए का कर्ज था। सिधाना गांव के रहने वाले किसान परमजीत सिंह (37) ने मंगलवार सुबह फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। पुलिस ने किसान परमजीत के शव को कब्जे में लेकर अस्पताल पहुंचाया। पुलिस को दिए बयान में परमजीत की पत्नी जसदीप कौर ने बताया कि पति के पास खेती के लिए जमीन थी, मगर कर्ज के बोझ तले वह जमीन बेचनी पड़ी। मगर उसके बाद भी कर्ज नहीं उतर सका। वह मानसिक तौर पर परेशान थे और मंगलवार दोपहर एक बजे कमरे में परमजीत का शव पंखे से लटका मिला। बताया गया कि किसान परमजीत पर 2 लाख रुपए का कर्ज था।
बेटियों की शादी के लिए लिया था किसान ने कर्ज
बठिंडा के मौर मंडी के माईसरखाना गाँव में रहने वाले किसान बुध सिंह (56 वर्ष) ने भी मंगलवार को कर्ज न चुका पाने की वजह से अपने खेत में जहर खाकर जान दे दी। जानकारी के अनुसार, किसान बुध सिंह की 4 बेटियां और 2 बेटे हैं। अपने 5 एकड़ जमीन पर खेती करके बुध सिंह अपना परिवार चलाता था। मगर बेटियों की शादी के लिए बुध सिंह ने कर्ज ले लिया। कर्ज का बोझ इतना बढ़ गया कि बुध सिंह को अपनी 3 एकड़ जमीन बेचनी पड़ी। फिर भी कर्ज न चुका पाने में परेशान किसान बुध ने खेत में जहर पीकर आत्महत्या कर ली। किसान के पास 2.20 लाख रुपए का कर्ज था।
6 लाख रुपए के कर्ज ने आत्महत्या करने पर किया मजबूर
बंठडा के रामपुरा फूल तहसील के गाँव दयालपुरा मिर्जा के रहने वाले किसान अमृतपाल सिंह (49 वर्ष) ने 6 लाख रुपए का कर्ज न चुका पाने के कारण कीटनाशक पीकर खुदकुशी कर ली। दयालपुरा पुलिस के मुताबिक, पुलिस को दिए बयान में किसान अमृतपाल सिंह की पत्नी हरबंस कौर ने बताया कि पति के पास 4 एकड़ जमीन थी। मगर बैंक और साहूकारों का करीब 6 लाख रुपए का कर्ज था, जिसकी वजह से वह काफी परेशान रहते थे। मंगलवार सुबह अमृतपाल ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली। अमृतपाल की एक बेटी और एक बेटा है।
आधी रात खेत में जाकर कर ली आत्महत्या
बठिंडा के ही रामपुरा के गाँव धांगढ़ा के रहने वाले किसान जगराज सिंह (50 वर्ष) ने भी खेत में जहर खाकर आत्महत्या कर ली। जानकारी के अनुसार, जगराज अपनी दो एकड़ जमीन पर खेती कर अपने परिवार का भरणपोषण करता था। उसके ऊपर 3 लाख रुपए का कर्ज था। कर्ज के बोझ से परेशान चल रहे जगराज ने सोमवार आधी रात खेत में जाकर यह कदम उठाया।
ट्रेन के आगे कूदा किसान
पांचवा मामला पंजाब के ही संगरुर के गुरने कलां गांव का है, जहां कर्ज के बोझ से दबे किसान रामफल (55 वर्ष) ने ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी। रामफल के पास सिर्फ डेढ़ एकड़ जमीन थी और उस पर सरकारी और गैरसरकारी बैंकों का लाखों रुपए का कर्ज था। रामफल के दो बेटे भी हैं, मगर दोनों बेरोजगार हैं। कर्ज से परेशान होकर रामफल ने आत्महत्या कर ली।
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