फूड प्रोसेसिंग उद्योग के लिए 10,900 करोड़ रुपए की मंजूरी, सरकार ने कहा- 2.5 लाख लोगों को मिलेगा रोजगार

सरकार की विज्ञप्ति के मुताबिक यह योजना परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) के माध्यम से लागू की जाएगी।

Update: 2021-04-01 13:45 GMT

सरकार देश को फूड प्रोसेसिंग का हब बनाना चाहती है। (फोटो- World bank)

केंद्र सरकार ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए 10,900 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। सरकार का कहना है कि इससे लगभग ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और देश ग्लोबल फूड मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर आगे बढ़ेगा। बुधवार 31 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस योजना को मंजूरी मिली। सरकार इसके जरिये ग्लोबल मार्केट में इंडियन फूड ब्रांड्स का विस्तार करना चाहती है।

केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ''खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए 10,900 करोड़ रुपए की राशि के साथ पीएलआई को मंजूरी दी गई है। यह फैसला हमारे किसानों के लिए एक उचित समर्पण है।''

कैबिनेट के निर्णयों को लेकर पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि बजट में सरकार ने 12-13 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना लाने की बात कही गई थी। छह क्षेत्रों के लिए पहले ही पीएलआई की घोषणा की जा चुकी है।

उन्होंने आगे कहा, ''आज, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए पीएलआई को मंजूरी दी गई। घोषणा से मूल्यवर्धित खाद्य उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, विदेशी निवेश में बढ़ोतरी होगी और किसानों को अपनी पैदावार की उचित कीमत मिलने के साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।"

एग्री-बेस्ड व्यापार को तवज्जो को मिलेगी तरजीह

इस योजना के तहत सरकार एग्री-बेस्ड व्यापार को तवज्जो देगी और इसमें पॉल्ट्री मीट, अंडों के उत्पादन को शामिल किया जाएगा। उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय पीयूष गोयल ने कहा कि इस स्कीम से 30 से 35 हजार करोड़ रुपए के खाद्य उत्पादों का निर्यात हो सकता है लेकिन मेरा मानना है कि भारत सिर्फ प्रोसेस्ड फूड का एक लाख करोड़ रुपए तक निर्यात कर सकता है। पीएलआई स्कीम के तहत फूड प्रोसेसिंग में निवेश करने वाली कंपनियों को उनकी बिक्री बढ़ने पर इन्सेंटिव दिया जाएगा। यह स्कीम 2026-27 तक लागू होगी।

सरकार की विज्ञप्ति के मुताबिक यह योजना परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) के माध्यम से लागू की जाएगी। पीएमए आवेदनों के मूल्यांकन, पात्रता सत्यापन, प्रोत्साहन वितरण के लिए पात्र दावों की जांच के लिए उत्तरदायी होगी। योजना की निगरानी केंद्र में मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता वाले सचिवों के अधिकार संपन्न समूह द्वारा की जाएगी।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय योजना के अंतर्गत कवरेज के लिए आवेदकों के चयन को स्वीकृति देगा, प्रोत्साहन रूप में धन स्वीकृत और जारी करेगा। इस योजना के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल की स्थापना की जाएगी, जहां आवेदक उद्यमी इस योजना में हिस्सा लेने के लिए आवेदन कर सकता है।

योजना का उद्देश्य

  • वैश्विक स्तर पर खाद्य क्षेत्र से जुड़ी भारतीय इकाइयों को अग्रणी बनाना।
  • वैश्विक स्तर पर चुनिंदा भारतीय खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनकी व्यापक स्वीकार्यता बनाना।
  • कृषि क्षेत्र से अलावा रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
  • कृषि उपज के लिए उपयुक्त लाभकारी मूल्य और किसानों के लिए उच्च आय सुनिश्चित करना।

प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI)

घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात बिलों में कटौती करने के लिए, केंद्र सरकार ने मार्च 2020 इस योजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों से बढ़ती बिक्री पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना। यह योजना पांच वर्ष की अवधि के लिए स्वीकृत की गई है जो कि नकद प्रोत्साहन देगी।

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