महाराष्ट्र में ओलावृष्टि से अंगूर की फसलों को भारी नुकसान, कर्नाटक में कोडगू में ओले गिरने से लोग हैरान

किसानों पर एक बार फिर बदले मौसम की मार पड़ी है। महाराष्ट्र में अंगूर और ज्वार की फसलों को भारी नुकसान की खबर है, मध्य प्रदेश भी फसलों को नुकसान पहुंचा है तो वहीं कर्नाटक और गोवा में हुई ओलावृष्टि पर लोग सवाल भी कर रहे हैं

Update: 2021-02-20 11:30 GMT
ओलावृष्टि के कारण महाराष्ट्र में कई फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।

उस्मानाबाद/ लखनऊ। महाराष्ट्र में उस्मानाबाद जिले के किसान हीरालाल मारुति ढगे दो दिन से सदमे में हैं। 18-19 फरवरी की रात को हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि से उनका एक एकड़ का तैयार अंगूर का बाग गिर गया और 3 एकड़ में ज्वार और चने की फसल भी बर्बद हो गई है।

हीरालाल मारुति ढगे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "अगले महीने हमारा अंगूर कट जाता। हमें उम्मीद थी कम से कम 10 लाख रुपए का माल (अंगूर) था, लेकिन अब इस बार की फसल तो गई ही दोबारा बाग लगाने के लिए भी 6 से 8 लाख रुपए चाहिए। साहब मेरा बहुत नुकसान हो गया। मेरे गांव में करीब 350 एकड़ अंगूर के बाग हैं। किसी का बाग गिरा है तो किसी का झारपट्टी (ओलावृष्टि) से अंगूर फट गया।"

हीरालाल, मुंबई से करीब 400 किलोमीटर दूर मराठवाड़ा में उस्मानाबाद जिले की तालुका भूम के चिंचपूर ढगे गांव में रहते हैं। बिगड़े मौसम के चलते महाराष्ट्र के नासिक, कोल्हापुर, नागपुर, वाशी, औरंगाबाद, गढ़चिरौली, सतारा, भंडारा, बुंदलाना और रत्नागिरी समेत कई जिलों में 18-19 फरवरी को बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई है, जिसमें रबी की फसलों में फसलों गेहूं, चना ज्वार के अलावा फल और सब्जियों की खेती में सबसे ज्यादा नुकसान अंगूर का हुआ है। महाराष्ट्र में नासिक, सतारा, सांगली, पुणे और उम्मानाबाद में अंगूर की बड़े पैमाने पर खेती होती है और ज्यादातर जिलों में नुकसान की खबर है।

भूम तालुका से करीब 200 किलोमीटर दूर मराठावाड़ा में औरंगाबाद में पारंडु गांव के किसान जाकिर जमीरुद्दीन शेख के मौसम्बी की बाग को भी नुकसान हुआ है। जाकिर बताते हैं, "बारिश तेज थी और करीब 2 घंटे तक ओले गिरे जिससे गेहूं चने और मौसम्बी को नुकसान हुआ है। मौसम्बी में दिसंबर-जनवरी में फल आए थे जो जून-जुलाई में कटते, अभी वो 20 से 50 ग्राम का ही फल तो या जो गिर गया या फिर उसमें पत्थर (ओले) से चोट लग गई है। पूरे साल का नुकसान हो गया है।"

बारिश और ओलावृष्टि से खराब हुई फसल दिखाता किसान। साभार, किसान चिंचपुर

जाकिर के मुताबिक मौसम विभाग ने जैसा हवामान (मौसम) बताया था वैसा ही हुआ लेकिन हम लोग क्या कर सकते थे।

मध्य भारत में बदले मौसम के लिए चक्रवाती हवाओं को जिम्मेदार बताया गया है। इन सिस्टमों के कारण बंगाल की खाड़ी के साथ-साथ अरब सागर से भी मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के राज्यों पर आर्द्र हवाएं आ रही हैं जिससे मौसम सक्रिय बना हुआ है। पश्चिम बंगाल से आई हवाएं अपने साथ नमी लाईं जिसके चलते कई राज्यों में बारिश और ओलावृष्टि हुई।

पुणे स्थित भारतीय मौसम विभाग (IMD) में वेदर सेक्सन प्रभारी डॉ अनुपम कश्यपी ने बताया, "मौसम विभाग ने महाराष्ट्र में 17 से 19 तक के लिए अलर्ट जारी किया गया है। अभी कुछ जगहों पर बारिश हो सकती है लेकिन आगे मौसम साफ है। 18 तारीख को महाराष्ट्र के बुदंलाना, भंडारा, जालान, पुणे, सतारा, गढ़चिरौली, नाशिक और रत्नागिरी में ओलावृष्टि हुई है। 19 फरवरी को कहां-कहां पर ओलावृष्टि हुई सही जानकारी अपडेट हो रही हैं, क्योंकि शिवाजी महाराज की जयंती के चलते ज्यादातर सरकारी छुट्टी थी।"

वैसे तो फरवरी-मार्च से लेकर जून-जुलाई तक मध्य भारत, उत्तर भारत, पूर्व भारत में बारिश, ओलावृष्टि, बिजली कड़कने और ओलावृष्टि की घटनाएं होती होती रहती हैं लेकिन इस बार गोवा और कर्नाटक के कोडगू में जिस तरह ओलावृष्टि हुई है वो सामान्य नहीं है।

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मौमस की जानकारी देने वाली निजी संस्था स्काईमेट वेदर के वाइस प्रेसिडेंट महेश पालावत गांव कनेक्शन को बताते हैं, "स्ट्रीम वेदर इंवेट लगातार बढ़ रहे हैं। उत्तर, मध्य और पूर्व भारत में ओलावृष्टि हेल स्ट्रोम और लाइटिंगिन की घटनाऐं आम हैं। लेकिन साउथ में कम होती हैं।"

ओलावृष्टि होने की वजह बताते हुए महेश पालावत समझाते हैं, "वातावरण की बदली परिस्थितियों में एक विशेष प्रकार के बादल होते हैं जिन्हें क्यूम्यलोनिम्बस बादल (cumulonimbus clouds) कहा जाता है। ये जमीन से 7-8 किलोमीटर ऊपर चले जाते हैं। धरती से जितना ऊपर जाएंगे तापमान कम होना शुरु हो जाता है। तीन किलोमीटर ऊपर आसमान में बादलों में की जो नमी होती है (बूंदे) होती हैं वो बर्फ बन जाती हैं। धरती की ग्रेवेटी (गुरुत्वाकर्षण) उन्हें अपनी ओर खींचता है। ऐसे में अगर नीचे भी मौसम ठंडा होता है तो ये बूंदे ओलावृष्टि के रूप में गिरती हैं।"

ओलावृष्टि से सबसे ज्यादा कर्नाटक के लोगों को हैरान किया है। मुसवीर नदीम खान नाम के एक यूजर ट्वीटर पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए सवाल पूछा, कर्नाटक में ऐसा नजरा पहले कभी नहीं देखा था क्या ये जलवायु परिवर्तन है? चंदन नाम से एक अन्य यूचर ने भी ट्वीट पर लिखा कि "भारी बारिश और तेज ओलावृष्टि ने कर्नाटक के कूर्ग (Kodagu) में कॉफी की फसल को नुकसान पहुंचाया है।"

ओले गिरने से फटे अँगूर- फोटो साभार अमित पाडरेनकर, उस्मानाबाद

महाराष्ट्र में इससे पहले साल 2019 में बेममौसम बारिश और ओलावृष्टि ने भारी नुकसान पहुंचाया था। इस वर्ष 16 फरवरी को मध्य प्रदेश के शिवनी, विदिशा, छिंदवाड़ा, रायसेन और जबलपुर जिले में ओलावृष्टि से आलू,चना, मसूर, टमाटर, गेहूं, सरसों और मिर्च समेत कई फसलों को नुकसान पहुंचा है।

महाराष्ट्र में ओलावृष्टि और बारिश से ज्यादा नुकसान मराठवाड़ा और विदर्भ में होने की आशंका है। यहां 18 से लेकर 19 फरवरी के बीच बारिश, ओलावृष्टि हुई है लेकिन 19 फरवरी को शिवाजी महाराज की जयंती पर अधिकारिक छुट्टी होने के चलते 20 फरवरी को सर्वे और गिरदावरी का काम शुरू किया गया।

भूम के चिंतपुर (ढगे) गांव के हीरालाल मारुति कहते हैं, "(तलाड़ी) पटवारी मैडम आज आई थीं, अंगूर के बाग का फोटो ले गई हैं। अगर मुआवजा नहीं मिला तो हम लोग बर्बाद हो जाएंगे। कोई और जरिया नहीं है।" हीरालाल मरुति बताते हैं, उन्हें याद नहीं कभी उन्होंने अपने इलाके में ऐसी ओलावृष्टि देखी हो।

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चिंतपुर (ढगे) गांव के ही युवा किसान अमित पाडरेनकर के मुताबिक उनका 6 एकड़ चना कटकर तैयार था उसकी थ्रेसिंग होनी थी लेकिन बारिस सो वो पूरा भीग गया। उन्होंने गांव कनेक्शन को कई अपने गांव की कई तस्वीरें भेजी हैं, जिसमें अंगूर के गिरे बाग, गुच्छो में फटे अंगूर और जमीन में गिरी हुई ज्वार है। अमित पाडरेनकर कहते हैं, सिर्फ हमारा ही नहीं आसपास के कई गांवों का काफी नुकसान हुआ है, हमारा ज्वार और चने का नुकसान हुआ है। अंगूर की जिनकी फसलें तैयार थीं अब उनके भी व्यापारी गांव नहीं आ रहे हैं।"

सांगली के प्रगतिशील किसान सुरेश कबाड़े के मुताबिक उनके जिले में किसी फसल को ज्यादा नुकसान की खबर नहीं है। लेकिन नाशिक और दूसरे कुछ जगहों पर नुकसान की सूचना है। वहीं उस्मानाबाद में उमरगा तालुका के किसान अशोक पवार कहते हैं, इस बार रबी सीजन में लगभग सभी फसलों की अच्छी पैदावार थी, लेकिन अब मौसम की मार पड़ गई। ज्वार और गेहूं नीचे गिरने से उसमें चूह लग जाएगा और चने की फसल तो थ्रेसिंग जारी है। जिनकी बची है और पानी लग गया है उन्हें रेट कम मिलेगा।"

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