मौसम विभाग ने कहा- 2020 से ब्लॉक लेवल के मौसम की मिलेगी जानकारी, 9.5 करोड़ किसानों को होगा फायदा

Update: 2019-04-26 14:36 GMT

लखनऊ। भारत में आज भी ज्यादातर खेती मौसम आधारित होती है। ऐसे में जब मौसम की सटीक जानकारी किसानों को नहीं मिल पाती तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। कभी बेमौसम बारिश तो कभी आंधी-तूफान तो कभी सूखा खेती को घाटे का सौदा बना रहा है। इसे ही देखते हुए भारतीय मौसम विभाग ऐसी प्रणाली पर काम कर रहा है जिससे किसानों को ब्लॉक स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान जारी हो सकेगा।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मंगलवार को अपने एक कार्यक्रम में कहा है कि 2020 से देश में 660 जिलों के सभी 6500 ब्‍लॉक के लिए स्‍थानीय मौसम पूर्वानुमान जारी किया जा सकेगा और इस पर तेजी से काम किया जा रहा है।

अगर ऐसा संभव हुआ तो इससे देश के 9.5 करोड़ किसानों को सीधे फायदा मिलेगा। हालांकि विभाग ने यह भी कहा है कि यह इतना आसान नहीं होगा लेकिन इस चुनौती निपटने का हम हर प्रयास करेंगे।

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अभी आईएमडी जिला स्‍तर पर पुर्वानुमान जारी करता है। ब्‍लॉक स्‍तर पर मौसम अनुमान और कृषि मौसम सलाहकार सेवाओं के विस्‍तार के लिए आईएमडी ने 2018 में इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्‍चर रिसर्च (आईसीएआर) के साथ समझौता किया था।

भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के नेशनल कॉफ्रेंस ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईएमडी के डिप्‍टी डायरेक्‍टर जनरल एसडी अत्री ने कहा कि आईसीएआर के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर करने के बाद से इस क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई है। हम लोगों को भर्ती कर रहे हैं और उन्‍हें प्रशिक्षण दे रहे हैं।

आगे उन्‍होंने कहा कि 200 ब्‍लॉक में पायलेट प्रोजेक्‍ट चल रहा है। 2020 तक 660 जिलों के 6500 ब्‍लॉक तक अपनी सेवा पहुंचाने का लक्ष्‍य तय किया है। उन्‍होंने कहा कि इससे किसानों को मौसम संबंधी नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी।

अत्री ने कहा कि आईएमडी के पास जिला स्‍तर पर 130 कृषि मौसम फील्‍ड यूनिट का नेटवर्क है। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के तहत देशभर में कृषि विज्ञान केंद्रों में अतिरिक्‍त 530 फील्‍ड यूनिट स्‍थापित किए जा रहे हैं।

वर्तमान में, 4 करोड़ किसान एसएमएस और एमकिसान पोर्टल के लिए जिला स्‍तर पर मौसम अनुमान को हासिल कर रहे हैं। हमारा लक्ष्‍य ब्‍लॉक स्‍तर पर सेवा का विस्‍तार करने के जरिए 2020 तक 9.5 करोड़ किसानों तक यह सेवा पहुंचाने का है।

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अत्री ने कहा कि आईएमडी अकेले सभी किसानों तक नहीं पहुंच सकता इसलिए उन्‍होंने इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र को आगे आने और इन्‍नोवेटिव टेक्‍नोलॉजी के इस्‍तेमाल पर जोर दिया।

आईसीएआर (रतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के डिप्‍टी डायरेक्‍टर जनरल (एग्रीकल्‍चर एक्‍सटेंशन) एके सिंह ने कहा कि कृषि विस्‍तार गतिविधियों में सरकार, निजी और गैर-लाभकारी संगठनों को साथ मिलकर काम करने की आवश्‍यकता है।

आईसीएआर देशभर में 713 कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किसानों के लिए लगातार शोध और बेहतरी के लिए काम कर रहा है। तो दूसरी ओर गई एनजीओ भी इस दिशा में काम कर रहे हैं।

कुछ दिनों पहले ही मौसम विभाग ने इस साल के मानसून के लिए 96 फीसदी तक बारिश का पुर्वानुमान जारी किया था। हालांकि स्काईमेट ने कहा था कि 93 फीसदी तक ही बारिश होगी।

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भारत के लिए मौसम का सही पुर्वानुमान क्यों जरूरी है इसे ऐसे समझा जा सकता है कि कृषि सकल घरेलू उत्पाद में वर्षाधारित खेती की भूमिका 60 फीसदी है।

पिछले कुछ वर्षों में भारत में बारिश का रुख बदला-बदला है जिस कारण कृषि पर इसका व्यापक असर पड़ रहा है।

पिछले साल अरुणांचल प्रदेश, झारखंड, दक्षिणी आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु के उत्तरी इलाकों में बहुत कम पानी गिरा था। यही इलाके अब भीषण सूखे की चपेट में हैं। वाटर एंड क्लाइमेट लैब ने मौसम विभाग के आंकड़े, मिट्टी की नमी, और भूजल की स्थिति का गुणाभाग लगातार सूखे का आंकलन किया है।

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