चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में 7% से कम ग्रामीण घरों में है नल-जल कनेक्शन

चुनावी राज्यों पश्चिम बंगाल और असम के ग्रामीण घरों में नल-जल कनेक्शन सबसे कम घरों में हैं। पश्चिम बंगाल में केवल 6.74 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन है, जबकि असम में यह सिर्फ 6.83 फीसदी है।

Update: 2021-03-27 07:45 GMT

नल से पानी निकालती एक महिला. Photo: Joel Bassuk/Oxfam

हर सुबह देउलपुर गांव के रहने वाले सुब्रतो चक्रवर्ती जल्दबाजी में रहते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों? दरअसल हर सुबह 6 बजे सुब्रतो अपने घर से खाली बाल्टी और मटका लेकर गांव के ट्यूबवेल तक जाते हैं। सुब्रतो द्वारा लाया गया पानी काफी जल्दी खत्म हो जाता है। इसके बाद उनकी पत्नी को भी पानी लाने जाना पड़ता है।

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से 20 किलोमीटर दूर, हावड़ा जिले के देउलपुर गांव के रहने वाले चक्रवर्ती गांव कनेक्शन को बताते हैं, "हर दिन हमें ट्यूबवेल से पानी लाना पड़ता है। हमारे घर पर नल का पानी नहीं है।"

चक्रवर्ती आगे कहते हैं, "हमारे गांव में लगभग 20 हजार लोग रहते हैं। मगर इनमें से किसी एक के घर में भी नल से पानी लेने की सुविधा नहीं है। सभी को ट्यूबवेल से पानी लेने जाना पड़ता है।"

पश्चिम बंगाल में ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा पीने की पानी की दिक्कत से जूझ रहा है, जहां पर 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच मतदान होने वाला है। देउलपुर गांव में भी 10 अप्रैल को चुनाव होना है।

राज्य के कुल 163 लाख ग्रामीण परिवारों में से केवल 6.74 प्रतिशत आबादी के पास नल के पानी का कनेक्शन है, जो देश में सबसे कम है। यह डाटा 15 फरवरी, 2021 को पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा साझा किया गया था, जो जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आता है। 8 मार्च को जल संसाधन की स्थायी समिति ने इस रिपोर्ट को लोकसभा में पेश किया।

वहीं पूर्वोत्तर राज्य असम की स्थिति भी कुछ खास बेहतर नहीं है। असम में 27 मार्च से 6 अप्रैल तक चुनाव होना है। असम के सिर्फ 6.83 प्रतिशत ग्रामीण घरों में ही नल का पानी आता है।

तस्वीर - 15 फरवरी, 2021 तक नल के पानी के कनेक्शन की सुविधा का लाभ उठाने वाले घरों का प्रतिशत, साभार- जल शक्ति मंत्रालय

अन्य सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में लद्दाख (7.57 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (9.49 प्रतिशत), और मेघालय (10.66 प्रतिशत) शामिल हैं। केवल गोवा और तेलंगाना ऐसे दो राज्य हैं, जिन्होंने ग्रामीण घरों में नल-जल कनेक्शन का 100 प्रतिशत कवरेज हासिल किया है।

वहीं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पुडुचेरी, हरियाणा, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में क्रमशः 90.01 प्रतिशत, 88.24 प्रतिशत, 85.84 प्रतिशत, 82.3 प्रतिशत और 75.77 प्रतिशत नल जल कवरेज दर्ज किया गया है।

मध्यप्रदेश में हैंडपंप से पानी पीता बच्चा- तस्वीर, अनिल गुलाटी

साल 2019 में, केंद्र सरकार ने स्कूलों और आंगनवाड़ी सहित हर ग्रामीण परिवार को घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) प्रदान करने के लिए एकप्रमुख योजना, 'जल जीवन मिशन' की शुरूआत की थी। इसका उद्देश्य 2024 तक ग्रामीण भारत के सभी घरों में सुरक्षित और पर्याप्त पानी उपलब्ध कराना है।

50 वर्षीय चक्रवर्ती ने इस साल भी काम न होने की आशंका जताते हुए कहा, "यह चुनावी मौसम है और उम्मीदवार इस बार भी आए हैं और हमें पानी उपलब्ध कराने का वादा कर रहे हैं। लेकिन अब इतने सालों से जो नहीं हुआ है, वह अब क्या ही होगा?"

जल प्रदूषण

इस वर्ष 15 फरवरी तक जारी आंकड़ों के अनुसार 20 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 251 जिलों के 48,969 ग्रामीण घरों में पानी की गुणवत्ता बहुत ही खराब है।

राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त विवरण से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल के कुल 23 जिलों में से 19 जिलों में जल प्रदूषण की समस्या है। वहीं राज्य में पीने के पानी में आर्सेनिक से 1,108 बस्तियां प्रभावित हैं। हालांकि असम इस मामले में आगे है, जहां 1,247 बस्तियां आर्सेनिक से प्रभावित हैं।

साभार- जल शक्ति मंत्रालय

आर्सेनिक युक्त पीने के पानी को लंबे समय तक पीने से मूत्राशय के कैंसर और त्वचा के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

आंगनवाड़ियो में नल के पानी का कवरेज

आंगनवाड़ी केंद्रों की बात करें तो तीन राज्य - पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर प्रदेश के घरों और आंगनवाड़ी केंद्रों में सबसे कम नल-जल कनेक्शन कवरेज दर्ज किया गया है।

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हाल की स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, नल जल आपूर्ति के साथ आंगनवाड़ियों के प्रतिशत कवरेज से पता चलता है कि असम में सबसे कम केवल 2.22 प्रतिशत का नल जल कवरेज है। इसके बाद झारखंड (2.52 फीसदी), उत्तर प्रदेश (5.08 फीसदी), छत्तीसगढ़ (5.40 फीसदी), पश्चिम बंगाल (5.80 फीसदी) और ओडिशा (11.08 फीसदी) के नंबर पर आता है।

साभार- जल शक्ति मंत्रालय

मध्य प्रदेश के भोपाल में विकास संवाद समिति नाम के एक एनजीओ के सदस्य, राकेश मालवीय ने गांव कनेक्शन से कहा, "असुरक्षित पानी पीने की वजह से आंगनवाड़ियों में आने वाले बच्चों को डायरिया जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। देश में कई इलाके ऐसे हैं जहां आपको पानी में फ्लोराइड मिल जाएगा। इस तरह के पानी के सेवन से फ्लोरोसिस बीमारी होती है।"

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