नोटबंदी का एक साल : 10 ऐसे सवाल जिनके जवाब जनता आज भी मांग रही है

Update: 2017-11-08 13:41 GMT
नोटबंदी के समय बैंकों में कतार में लगे लाेग।

लखनऊ। नोटबंदी का एक साल हो गए। पिछले साल आज के ही दिन प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले से पूरे देश में अफरा-तफरी सा माहौल हो गया। सरकार ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया और जनता के हितकारी बताया गया। ऐसा कहा गया कि इस फैसले से कालेधन पर लगाम लगेगी और देश भ्रष्टाचारमुक्त होगा।

इस फैसले को एक साह हो गए हैं लेकिन आज भी जनता के मन में कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब आज तक नहीं मिले। नोटबंदी सीरीज के तहत इस खबर में हम ये जानने का प्रयास करेंगे कि ऐसे कौन से 10 सवाल हैं जिनके जवाब जनता को एक साल बाद भी नहीं मिले

1-क्या कालाधन वापस आया

नोटबंदी को लेकर सबसे ज्यादा बातें इसी मुद्दे पर हुई थीं। सरकार ने कहा कि इस फैसले से कालाधन वापस आएगा। लेकिन कालाधन आया कि नहीं इसका जवाब जनता को आज तक नहीं मिला। वहीं दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक में बताया था कि नोटबंदी के बाद बैन किए गए 99 प्रतिशत नोट बैंकों में जमा हो गए। ऐसे में फिर सवाल ये उठता है कि ब्लैकमनी का क्या हुआ ?

2- नोट बदलने की समय सीमा में बार-बार बदलाव क्यों

नोटबंदी के बाद वैस ही अफरा-तफरी मच गई थी। ऐसे में सरकार ने पुराने-पुराने नोट बदलने की समय सीमा में बार-बार बदलाव क्यों किया ? ऐसा भी माना गया कि कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने समय सीमा में कई बदलाव किए। ऐसा क्यों किया गया, इसका जवाब आजतक नहीं मिल पाया।

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3- इतनी जल्दीबाजी क्यों की गई

सरकार का ये फैसला एक दो लोगों के लिए नहीं थी। न हीं इससे एक दो लोग प्रभावित होने वाले थे। तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि सरकार ने इतना बड़ा फैसला बिना तैयारी क्यों कर लिया। लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ी। एटीएम में लाइन लगाए लोगों को तकब धक्का लगा जब उन्हें पता चला कि एटीएम में नए नोटों के हिसाब से रैक नहीं लगाए गए हैं। बैंकों में पर्याप्त कैश नहीं था। नोटबंदी के बाद लोगों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की लंबी कतारें लग गईं।

बैंकों के बाहर लग गई थीं लंबी-लंबी कतारें..

ऐसे में जनता आज भी ये जानना चाहती है कि नोटबंदी को लेकर इतनी जल्दबाजी क्यों की गई। नोटबंदी को लेकर फैली अफरा-तफरी के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट ने मोदी सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि सरकार ने बिना दिमाग का इस्तेमाल किए ही नोटबंदी के फैसले को लागू कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार जिस तरह से नियमों में बार-बार बदलाव कर रही है, उसे देखते हुए लगता है कि उसने पर्याप्त होम वर्क किए बिना ही नोटबंदी के फैसले को लागू कर दिया। वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले में सरकार को राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने देश के अलग-अगल हाईकोर्ट में नोटबंदी के खिलाफ हो रही याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया । इसके साथ ही सुप्रीमकोर्ट ने मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर चेतावनी दी।

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4- नोटबंदी से बदलाव क्या आया

ऐसा माना जा रहा था कि इस फैसले के बाद देश में कई मूलभूत बदलाव आएंगे। इनमें से एक ये भी था कि आतंकी और नक्सली गतिविधियों में कमी आएगी। लेकिन इसका उल्टा हुआ। न तो महंगाई कम हुई और भ्रष्टाचार कम होने के कोई संकेत हैं। आरटीआई के जरिए पूछे गए सवाल के जवाब में ये जानकारी हासिल हुई है।

गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में बताया है कि एनडीए सरकार के  तीन सालों में कुल 812 आंतंकी घटनाए हुई हैं, जिनमें 62 नागरिक और 183 भारतीय जवान शहीद हुए हैं। वहीं मनमोहन सरकार के दस साल के समय में कुल 705 आतंकी घटनाओं में 59 नागरिक और 105 जवान शहीद हुए थे। आरटीआई से ये भी खुलासा हुआ कि मनमोहन सिंह सरकार के अंतिम तीन सालों में 850 करोड़ रूपए जारी किए गए, जबकि मोदी सरकार के समय नें गृह मंत्रालय ने कुल 1890 करोड़ रुपए इस बाबत जारी किए। ऐसे में ये बात भी समझ से परे है कि नोटबंदी से आतंकी गतिविधियों में कमी आई है।

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5- नोटबंदी से लाभ क्या हुआ

नोटबंदी के फैसले से जुड़ा ये सबसे बड़ा सवाल है। इसका जवाब सरकार आज तक नहीं दे पाई। नोटबंदी से न तो कालाधन वापस आया (सरकार ने इस बार में अभी तक कुछ नहीं बताया), और न ही नकली नोटों पर लगाम लगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया है कि वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 7,62,072 जाली नोट पकड़े गए, जो वित्त वर्ष 2015-16 में पकड़े गए 6.32 जाली नोटों की तुलना में 20.4 प्रतिशत अधिक है। ऐसे में जनता एक साल बाद भी जानना चाहती है कि सरकार इतने बड़े फैसले से आम लोगों को क्या फायदा हुआ ?

6- हमारा ही पैसा गैरकानूनी कैसे हो गया

भारत में 90 फीसदी लेन-देन नकद पैसे से होता है। ऐसे में सरकार यह फैसला कैसे ले सकती है कि अचानक देश की 85 प्रतिशत करेंसी गैरकानूनी होगी और अगले दो दिन के लिए पूरी बैंकिंग व्यवस्था ठप कर देती है?

7- कितने नोट जमा हुए, ये कौन बताएगा

नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 रुपए के कुल कितने नोट जमा कराए गए थे अभी तक तक किसी को भी इसके बारे में सही आंकड़ा नहीं पता है। यहां तक कि भारतीय रिजर्व बैंक को भी अभी तक यह नहीं पता है। दरअसल अब तक उन नोटों की गिनती ही पूरी नहीं हो सकी है। आर्थिक सचिव शक्तिकांत दास ने खुद यह बात कही थी। उन्होंने कहा था कि अभी 500 और 1000 रुपए के उन पुराने नोटों की गिनती जारी है, जो नोटबंदी के दौरान जमा हुए थे। भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटों को गिनने के लिए मशीनें लगा रखी हैं, लेकिन नोटबंदी के दौरान प्रचलन के करीब 86 फीसदी नोटों को गिनने की जरूरत आ पड़ी, जिसकी वजह से देर लग रही है।

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8-  कालाधन रखने वालों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई

पिछले एक दशक से कालेधन का हल्ला है। अब तक कोई नेता, व्यापारी, बड़े उद्योगपति नहीं पकड़े गए, न ही उनका नाम सामने आया। क्या किसी नेता, किसी पार्टी, किसी उद्योगपति या स्टार के पास कोई कालाधन नहीं है?

9- दलालों के पास बड़ी संख्या में नए नोट कैसे पहुंचे

नोटबंदी से सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना चाहती थी। ऐसे में शुरुआत में ही इसमें भ्रष्टचार उजागर होने लगा। दलालों के पास बड़ी संख्या में नए नोट पहुंचने लगा। उन्होंने नोट बदलने का कारोबार शुरू कर दिया। ईडी ने कर्नाटक सहित देश के कई भागों में छापा मारकर करोड़ों रुपए के नए नोट बरामद किए। इसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया कि नए नोट उनके पास कैसे पहुंचे। भारत में काम कर चुके एक जाने माने विदेशी पत्रकार एडम रॉबट्र्स ने एक कार्यक्रम में कहा था कि नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था या देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की लड़ाई में मदद मिलने की उम्मीद नहीं है।

9- भाजपा के लोगों ने नोटबंदी का विरोध क्यों नहीं किया

इस फैसले से पूरा देश हिल सा गया था। सड़क पर उतरकर लोगों ने इस फैसले का विरोध किया। लेकिन सबसे आश्चर्य वाली बात इसमें ये रही कि भाजपा के लोगों ने इसका विरोध किया। ऐसे में लोगों ने कयास लगाए कि कहीं उन्हें इस फैसले के बारे में पहले तो नहीं पता था। उस समय यूपी में विधानसभा चुनाव भी था। बाजूद इसके भाजपा ने इसका विरोध क्यों नहीं किया जबकि अन्य पार्टियों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ा। जनता को इसका भी जवाब आज तक नहीं मिला।

10- जब नोटबंदी आम लोगों के लिए थी तो उन्हें फायदा क्यों नहीं हुआ

पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था इस फैसले से आम लोगों को फायदा होगा। लेकिन ऐसा हुआ क्या ? महंगाई बढ़ती जा रही है। तेल और गैस सिलेंडर महंगा हो गया। यहां तक की भारतीय स्‍टेट बैंक समेत कई सरकारी और निजी बैंकों ने सेविंग्‍स अकाउंट पर ब्‍याज दर घटा दी। रेटिंग एजेंसी CRISIL के चीफ इकोनॉमिस्‍ट डीके जोशी ने एक कार्यक्रम कहा था "इसमें थोड़ी बहुत भागीदारी नोटबंदी ने निभाई है।" उनके अनुसार नोटबंदी के चलते बैंकों में लेनदेन बढ़ गई है। ऐसे में बैंकों ने ब्‍याज दर घटाना ही अपने लिए फायदेमंद समझा है।

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