एकबार फिर शर्मसार हुई मानवता, बिहार में बेटी की लाश कंधे पर उठाकर दो किलोमीटर तक पैदल चला पिता

Update: 2017-10-18 17:16 GMT
पटना की है यह घटना

लखनऊ। बिहार की राजधानी पटना में एक पिता ने चिकित्सा की लचर व्यवस्था की वजह से अपनी बच्ची को खो दिया और फिर अपनी बच्ची के शव को घर ले जाने के लिए जब अस्पताल से एम्बुलेंस की मदद नहीं मिली तो वह दो किलोमीटर तक लाश को कंधे पर रख कर पैदल चलना पड़ा।

ऐसी ही एक घटना पिछले वर्ष अगस्त के महीने में सामने आई थी, जिसने सबको हिला कर रख दिया था। ओडिशा के कालाहांडी ज़िले के भवानीपटना के दाना मांझी को अपनी पत्नी के शव को कंधे पर रखकर करीब 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था, शव को ले जाने के लिए उसे एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई थी क्योंकि उसके पास पैसे नहीं थे।

खबरों के मुताबिक रामबालक नाम का आदिवासी पटना के जमुई से अपनी पत्नी संजू के साथ बेटी रोशन का इलाज कराने के लिए पटना के एम्स आया मगर वहां पहुंचने के बाद उसके साथ जो हुआ उससे मानवता को एक बार फिर शर्मिंदा होना पड़ा। रामबालक की बेटी के पेट दर्द और बुखार भी था, जिसकी मौत हो गई।

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रामबालक जब एम्स पहुंचे तो वहां उसे बेटी का इलाज कराने के लिए पहले रजिस्ट्रेशन कराने को कहा गया, रामबालक एक मजदूर था इतने बड़े अस्पताल में उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे, कहां जा कर रजिस्ट्रेशन कराए। वो एक काउंटर से दूसरे काउंटर तक भटकता रहा, रामबालक ने वहां मौजूद कई लोगों से मदद मांगी लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की। आखिर में जब उसे पता चला कि रजिस्ट्रेशन किस काउंटर पर होगा तो वह वहां जा कर खड़ा हो गया। लेकिन उसकी समस्या यहीं पर खत्म नहीं हुई। जबतक रामबालक का नंबर आया उसे बताया गया ओपीडी का टाइम समाप्त हो गया है वो अगले दिन आए। लेकिन तब तक उसकी बेटी की हालत और ज्यादा खराब हो गई और उसकी मौत हो गई।

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रामबालक के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपनी बेटी की लाश को एंबुलेंस से ले जा सके और अस्पताल ने भी उसकी मदद नहीं की, इस लिए रामबालक ने बेटी के शव को कंधे पर उठाया और पैदल ही चल दिया, दो किलोमीटर पैदल चलकर वह फुलवारीशरीफ टेंपो स्टैंड पहुंचा, जहां से वह किसी तरह पटना रेलवे स्टेशन आया और उसके बाद ट्रेन पकड़ कर अपनी बेटी की लाश को लेकर अपने घर जमुई वापस गया।

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