गाय एक मुद्दा है लेकिन यहां उनके मालिक ही उन पर ढाते हैं जुल्म, एसिड और तलवार से करते हैं जख्मी

Update: 2017-07-14 20:29 GMT
पंजाब के गाय अस्पताल की कहानी (फोटो: इ‍ंडियन एक्सप्रेस )

लखनऊ। जिस देश में गाय माता से राष्ट्रीय मुद्दा बन चुकी है, उस देश में गाय की मार्मिक हालत सुनकर आपको यकीन नहीं होगा। हालत इतनी बदतर की उनके मालिक उनपर एसिड से अटैक कर रहे हैं तो कभी तलवार से जख्मी। सड़क पर भटकती अन्ना गायें कूड़ा और प्लास्टिक खाने को मजबूर हैं।

ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि पंजाब के एकमात्र गाय के अस्पताल की हालत ये बयां कर रही है।

इस अस्पताल का दौरा जब आप करेंगे तो देखेंगे कि चोट की वजह से गायें दर्द से कराह रही हैं। उनके पेट व पैर सहित पूरे शरीर में जगह- जगह चोट लगी है। कहीं खाल उतरी हुई है और मांस दिख रहा है तो कहीं पट्टी बंधी होने के बाद भी खून रिस रहा है।

वहीं कुछ गायें बेहोश हैं। कर्मचारी उन्हें एक कोने में रखकर इलाज कर रहे हैं। उन्हें ड्रिप चढ़ाई जा रही है और उनके पैर में सुई लगाई जा रही है।

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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने यह खबर प्रकाशित की जिससे बातचीत में लुधियाना जिले के कौनके कलन गांव स्थित बाबा गौ हीरा हॉस्पिटल के कुलविंदर सिंह बताते हैं, ‘सख्त विनिमय नियम के कारण अन्ना जानवरों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इस वजह से पंजाब के पशुपालक इनसे छुटकारा पाने के लिए काफी निर्दयी तरीके से पेश आते हैं।’ वे आगे बताते हैं कि अन्ना गायों पर एसिड और तलवार से हमला किया जाता है और यहां तक कि माचिस से इनकी त्वचा भी जलाई जाती है। कुछ लोग इनकी आंखों और थन में मिर्च भी लगा देते हैं। हर महीने हम इस तरह की गरीब 60 से 70 गायों का इलाज करते हैं।

कुलविंदर के अनुसार, ‘खासकर सड़कों और गलियों में आवारा छोड़ दी जाने वाली गायों की हालत और भी ज्यादा खराब है। कुलविंदर कहते हैं, मरी हुई गायों के पेट से हमें कूड़ा, प्लास्टिक, लोहे की वस्तु, मानव अपशिष्ट जैसे कई पदार्थ मिले। ये वो सब था जो एक त्यागे हुए जानवर ने पिछले एक महीने में खाया।’

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राज्य द्वारा चालित पंजाब गौ सेवा कमीशन के अनुसार, पंजाब की गलियों में करीब एक लाख से ऊपर अन्ना जानवर घूम रहे हैं। इनमें ज्यादातर विदेशी नस्ल की गायें होल्स्टिन फ्रेज़ियन (एचएफ) की है जो दूध न देने और बांझ हो जाने पर किसानों द्वारा अनेदखी कर दी जाती हैं।

लुधियाना से करीब 40 किमी दूर स्थित कुलदीप के काउ शेल्टर में करीब 115 घायल और बीमार गायें हैं। इनमें 90 फीसदी एचएफ विदेशी नस्ल की गायें हैं।

एक महीने में खर्च होते हैं तीन लाख

कुलविंदर ने 2011 में गाय अस्पताल के निर्माण से पहले अन्ना जानवरों को बचाना शुरू किया था। वह उन गायों को गांववासियों द्वारा दान की हुई आधी एकड़ जमीन में रखते थे। वह गायों का इलाज गांववालों के दान और यूएस में रहने वाले अपने भाई द्वारा दी गई आर्थिक मदद से करते थे।

कुलविंदर ने बताया कि कुछ गांववाले गाय के लिए चारा देते थे और पशुचिकित्सक बिना फीस के इलाज करते थे। हम अभी भी एक महीने में तीन लाख रुपए खर्च करते हैं, इसमें 14 कर्मचारियों की सैलरी के साथ, जरूरी दवाइयां और एंबुलेंस के लिए ईंधन शामिल है।

अस्पताल में चौबीस घंटों हेल्पलाइन नंबर (82733-82733) भी हैं जहां जालंधर, बरनाला, अमृतसर और पठानकोट से घायल गायों की कई फोन कॉल्स आती हैं। जब कॉल आती है जो अस्पताल से उस जगह एंबुलेंस भेजी जाती है और वर्कर्स घायल गाय को इलाज के लिए लेकर आते हैं।

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गाय पर इतनी राजनीति लेकिन किसी राजनैतिक पार्टी से मदद नहीं

38 साल के कुलविंदर का गाय के प्रति प्रेम धार्मिक कारणों से नहीं है। वे कहते हैं, मैंने गाय का अस्तपाल इसलिए शुरू किया क्योंकि मैं उन्हें दर्द में नहीं देख सकता। उनसे दूध और दूसरे लाभ लेने के बाद सड़क पर मरने के लिए छोड़ देना अमानवीय है। वह आगे बताते हैं कि इस काम के लिए उन्हें राज्य और केंद्र सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है। अस्पताल में मुफ्त बिजली आपूर्ति के लिए मैंने प्रशासन को पत्र लिखा था जिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। न ही किसी राजनेता, न बीजेपी न कांग्रेस न किसी दूसरी पार्टी के नेता ने मुझे किसी तरह की मदद का ऑफर दिया।

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कुलविंदर आगे कहते हैं कि वैसे मुझे इसकी जरूरत नहीं है लेकिन आप कैसे गौरक्षक हैं जब आप असल में गायों की सेवा करने वालों की मदद नहीं कर रहे हैं।

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