ट्रक से झारखंड के लिए चला था मजदूर, दस दिन बाद भी नहीं पहुंचा गांव, पत्नी बोली – 'अगर मौत हुई तो मुझे शव चाहिए'
लॉकडाउन में अपने घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों के साथ दिल दहला देने वाली घटनाएं हर दिन सामने आ रही हैं।
लॉकडाउन में अपने घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों के साथ दिल दहला देने वाली घटनाएं हर दिन सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक घटना मुंबई से झारखंड लौट रहे मजदूर बैजनाथ महतो के साथ भी घटी।
ट्रक में और मजदूरों के साथ लौटते समय बैजनाथ की रास्ते में ही मौत हो गयी, कोरोना संक्रमण से हुई मौत की आशंका से और मजदूर ट्रक से उतरकर कर भाग गये। आनन-फानन में ट्रक ड्राइवर भी सभी मजदूरों को वहीं छोड़ कर बैजनाथ का शव लेकर फरार हो गया।
झारखंड में बैजनाथ के गाँव में यह खबर मालूम चलने के बाद से परिजन सदमे में हैं। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि अगर बैजनाथ की मौत हुई है तो कम से कम उन्हें लाश दिलवा दे।
बैजनाथ का परिवार झारखंड के बोकारो जिले के नावाडीह प्रखंड के पेंक नारायणपुर गाँव में रहता है। परिवार के पास दो एकड़ जमीन है मगर जमीन बंजर हो जाने के बाद से वे दूसरे के खेतों में मजदूरी कर गुजारा चलाने को मजबूर थे।
लॉकडाउन से पहले बैजनाथ करीब 1800 किलोमीटर दूर मुंबई में मजदूरी के लिए गए थे मगर लॉकडाउन के कारण वह मुंबई में ही फंस गए।
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बैजनाथ के भाई सुरेश महतो 'गाँव कनेक्शन' से फ़ोन पर बताते हैं, "लॉकडाउन बढ़ने के बाद बैजनाथ के पास खाने-पीने की बहुत मुश्किल थी। ट्रेन न मिल पाने के कारण 11 मई को वह मुंबई से झारखंड की ओर और मजदूरों के साथ ट्रक से ही निकल पड़े।"
सुरेश ने बताया, "ट्रक से सफ़र करते हुए 13 मई को उनके साथ रहे एक और मजदूर तिलक चंद महतो का मेरे पास फ़ोन आया। उसने बताया कि बैजनाथ की तबियत अचानक काफी बिगड़ गयी और ट्रक में ही उसकी मौत हो गयी है।"
तिलक चंद ने सुरेश को यह भी बताया कि ट्रक में अचानक मौत होने से यूपी-बिहार जा रहे और मजदूर कोरोना संक्रमण से हुई मौत के डर से ट्रक से उतरकर भाग निकले हैं और आनन-फानन में ट्रक ड्राइवर बैजनाथ का शव लेकर फरार हो गया है। तब तक ट्रक से मजदूर बिहार के सासाराम पहुँच चुके थे।
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इस घटना के बाद से बैजनाथ का परिवार सदमे में है। बैजनाथ की पत्नी चमेली देवी बातचीत में सिर्फ इतना कह पह पाती हैं कि, "अगर मेरे पति की मौत हुई है तो मुझे लाश चाहिए।" दस दिन बीत जाने के बाद भी परिवार को बैजनाथ का शव नसीब नहीं हो सका है।
बैजनाथ के परिवार में उनकी माँ और पत्नी के अलावा दो बेटे पवन और प्रदीप और एक बेटी मधु है। छोटा बेटा प्रदीप दिव्यांग है।
सुरेश महतो बताते हैं, "हमने इस बारे में पेंक नारायणपुर थाने में शिकायत की है। मगर एक हफ्ते बाद भी पुलिस बैजनाथ की लाश के बारे में कुछ भी पता नहीं लगा पाई है। अब तक न ट्रक मिल पाया है न ही ट्रक ड्राइवर मिला है।"
"कम से कम आखिरी समय में बैजनाथ का चेहरा देखना तो नसीब हो पाता। पत्नी-बच्चों को रो-रो कर बुरा हाल है। हमें कहीं से कोई मदद नहीं मिल पा रही है," सुरेश महतो कहते हैं।