पवन ऊर्जा क्षेत्र में लगी देश की सबसे सस्ती बोली ने लौटाए वायु ऊर्जा कंपनियों के अच्छे दिन

Update: 2017-12-26 19:01 GMT
2.43 रुपए प्रति यूनिट की बोली से पवन ऊर्जा बनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सबसे सस्ती ऊर्जा।

देश में सौर ऊर्जा की बढ़ती मांग से पवन ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को घाटे में काम करना पड़ रहा था। लेकिन देश में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में सौर ऊर्जा को पवन ऊर्जा ने पीछे छोड़ दिया है। हाल ही में गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) द्वारा आयोजित नीलामी में पवन ऊर्जा संबंधित कंपनी स्प्रंग एनर्जी ने 2.43 रुपए प्रति यूनिट की सबसे सस्ती बोली लगाई है। इस बोली ने पवन ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सबसे सस्ता ऊर्जा स्रोत बना दिया है।

वायु ऊर्जा क्षेत्र में लगाई गई सबसे सस्ती बोली को पवन ऊर्जा आधारित कंपनियों के लिए फायदेमंद बताते हुए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण, उत्तर प्रदेश में वायु ऊर्जा विभाग के इंचार्ज राम कुमार बताते हैं,'' अभी तक देश में सौर ऊर्जा को सबसे सस्ता ऊर्जा का स्रोत माना जाता था, लेकिन पवन उर्जा क्षेत्र में प्रति यूनिट इतनी कम दर होने से अब सरकार के साथ-साथ घाटे में चल रही पवन ऊर्जा संबंधित कंपनियों को भी फायदा होगा।''

इससे पहले मई 2017 में राजस्थान के भादला में सौर ऊर्जा पार्क के लिए अब तक की सबसे कम दर की बोली 2.44 रुपए प्रति यूनिट पर लगाई गयी थी। लेकिन गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) द्वारा 500 मेगावाट की पवन ऊर्जा क्षमताओं के लिए आयोजित नीलामी में स्प्रंग एनर्जी की तरफ से लगाई गई बोली ( 2.43 रुपए प्रति यूनिट) सबसे सस्ती नीलामी दर है।

यह भी पढ़ें :यूपी में सौर ऊर्जा के तीन एसईजेड बनाए योगी सरकार : एसोचैम

'' भारत में वायु ऊर्जा का सबसे अच्छा उत्पादन दक्षिणी राज्यों में होता है। सबसे सस्ती बोली वायु ऊर्जा क्षेत्र में लगी है इससे अब सरकार इस क्षेत्र से संबंधित कंपनियों और डीलरों को नए प्रोजेक्ट सौंप सकती है। बड़े प्रोजेक्ट न मिल पाने के कारण ये कंपनियां अभी तक कुछ खास मुनाफा नहीं कमा पा रही थी। अब इनके निवेश करने के रास्ते खुल जाएंगे।'' राम कुमार ने आगे बताया।

भारत में वायु ऊर्जा की उपलब्धता और इसके वितरण पर कार्य कर रही संस्था पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी केंद्र के मुताबिक मौजूदा समय में देश में करीब 103 गीगावाट वायु ऊर्जा क्षमता उप्लब्ध है। देश की कुल वायु ऊर्जा क्षमता का 70 फीसदी हिस्सा तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और गुजरात जैसे राज्य पूरा करते हैं। इन राज्यों में व्यावसायिक प्रयोग के लिए सबसे अच्छी वायु की गति और वायु घनत्व (100 से 350 वाट प्रति वर्ग मीटर) उप्लब्ध है।

पवन ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रही चेन्नई की कंपनी पाइनियर विनकॉम के व्यापार अधिकारी सुबोध कुमार पांडेय बताते हैं," गुजरात में लगी सबसे सस्ती बोली की घोषणा के बाद अब सरकार तमिलनाडु और कर्नाटक सहित कई दक्षिणी राज्यों के बिजली उत्पादकों को पवन ऊर्जा बनाने की अनुमति देने के लिए नीलामियां की घोषणा कर सकती है। लेकिन इसके लिए सरकार को अधिक कीमतें चुकानी पड़ेगी, क्योंकि गुजरात की तुलना में दक्षिणी राज्यों में निजी ज़मीने महंगी हैं।''

यह भी पढ़ें :अब सौर ऊर्जा से रोशन होंगे दिल्ली के ये स्कूल

भारत सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर अगले 10 वर्षों की विद्युत योजना बनाई है। इसके तहत साल 2027 तक 275 गीगाबाइट ( सौर व वायु ऊर्जा) नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य है, साथ ही जलविद्युत परियोजनाओं से 72 गीगाबाइट और परमाणु ऊर्जा से 15 गीगाबाइट उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

क्या है वायु ऊर्जा टैरिफ दर

वायु ऊर्जा टैरिफ दर राज्य सरकार निर्धारित करती है। अगर कोई निजी संस्था किसी राज्य में बड़े स्तर पर वायु ऊर्जा का उत्पादन कर बिजली बेचती है, तो उसे वायु ऊर्जा टैरिफ दरों का पालन करना ज़रूरी होता है।किसी भी बड़े सोलर प्रोजेक्ट के लिए सरकार टेंडर निकालती है और वह टेंडर निजी कंपनी को तब मिलता है, जब वह सरकार व्दारा निर्धारित वायु ऊर्जा टैरिफ दर को स्वीकार करती है। यानि कि जब कंपनी सबसे सस्ती बोली लगाती है।

यह भी पढ़ें : पुर्तगाल में लगाया गया विश्व का पहला जल सौर ऊर्जा संयंत्र, 100 घरों को पूरे साल देगा बिजली

ये भी पढ़ें : झारखंड की आदिवासी महिलाएं सौर ऊर्जा से कर रहीं अपने ख्वाबों को रोशन

ये भी पढ़ें : सौर ऊर्जा ड्रायर की मदद से कई महीनों तक सुरक्षित रख सकते हैं हरी सब्जियां

Similar News