भारत, रुस ने कुडनकुलम में परमाणु संयंत्र की दो इकाइयों के लिए महत्वपूर्ण करार किया

Update: 2017-06-01 22:40 GMT
रूस पहुंचे पीएम मोदी रुस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से मुलाकात करते हुए।

सेंट पीटर्सबर्ग (भाषा)। भारत और रुस ने तमिलनाडु में मॉस्को की मदद से कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की अंतिम दो इकाइयों को लगाने के लिए एक बहुप्रतीक्षित समझौते को आज शुरुआती अवरोधों से उबरते हुए अंतिम रूप दिया। कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की इकाइयों 5 और 6 के लिए जनरल फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (जीएफए) और ऋण सहायता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रुस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की वार्षिक शिखर-वार्ता का सबसे प्रमुख परिणाम माना जा रहा है।

इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की इकाई पांच और छह से जुड़े समझौते पर दस्तखत से भारत-रुस संबंध और मजबूत होंगे। भारत और रुस के बीच सहयोग को गति देने के लिए हम लोगों ने कार्य योजना से संबंधित निर्णय किया है। ये बात उन्होंने व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि भारत-रुस रक्षा सहयोग को नई दिशा दी जा रही है।

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मोदी-पुतिन की वार्ता के बाद जारी विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार, ‘‘हम कुडनकुलम परमाणु उर्जा संयंत्र की इकाई 5 और 6 के लिए जनरल फ्रेमवर्क एग्रीमेंट और क्रेडिट प्रोटोकॉल को अंतिम रुप दिये जाने का स्वागत करते हैं।'' रियेक्टरों का निर्माण भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और रुस के परमाणु संस्थानों की नियामक इकाई रोसाटॉम की सहायक कंपनी एस्टोमस्ट्रॉयेएक्सपोर्ट करेंगे। दोनों इकाइयों की उत्पादन क्षमता एक-एक हजार मेगावाट है।

‘ए विजन फॉर द ट्वंटी फर्स्ट सेंचुरी' शीर्षक वाले दस्तावेज में कहा गया है कि भारत और रुस की अर्थव्यवस्थाएं ऊर्जा के क्षेत्र में एक दूसरे की पूरक हैं और दोनों देश एक ‘ऊर्जा सेतु' बनाने की दिशा में काम करेंगे। इसमें कहा गया है कि परमाणु ऊर्जा, परमाणु ईंधन चक्र और परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी समेत व्यापक परिप्रेक्ष्य में भारत-रुस सहयोग का भविष्य उज्ज्वल है। इसके अनुसार, ‘‘हम अपने बीच एक ऊर्जा सेतु के निर्माण के लिए काम करेंगे और ऊर्जा सहयोग के सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करेंगे, जिनमें परमाणु, हाइड्रोकार्बन, जलविद्युत और अक्षय ऊर्जा के स्रोत शामिल हैं।''

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घोषणापत्र में कहा गया कि भारत और रुस के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ती साझेदारी ने भारत की ‘मेक इन इंडिया' पहल की तर्ज पर भारत में आधुनिक परमाणु उत्पादन क्षमताओं के विकास के अवसर खोले हैं। इसके अनुसार भारत और रुस यह प्रतिबद्धता रखते हैं कि 24 दिसंबर 2015 को हुए ‘प्रोग्राम ऑफ एक्शन फॉर लोकलाइजेशन इन इंडिया' को दृढ़तापूर्वक लागू किया जाएगा और परमाणु उद्योगों को आपस में मजबूत साझेदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

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