लखनऊ। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छेड़खानी पर हंगामे के बाद आवाज फिर शांत हो गई। इस केस में बीएचयू में छेड़खानी से ज्यादा बात लाठीचार्ज की हुई। शहर के लेकर गांव तक हजारों लड़कियां छेड़खानी का शिकार होती हैं।
छेड़खानी सिर्फ शहरों में नहीं होती, गांव और कस्बों की हजारों लड़कियां भी रोजाना शोहदों की हरकतों का शिकार होती हैं। ये आपबीती कस्बे के स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा की है। लेकिन उसने एक दिन चुप्पी तोड़ी और पुलिस ने भी उसकी बात सुनी। शोहदों को सबक सिखाया गया। उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिले के पट्टी इलाके की रहने वाली रुबी सिंह और उनकी सहेलियां अक्सर छेड़खानी का शिकार होती थीं, वर्ष 2015 12वीं में पढ़ने वाली रूबी सिंह अपने गांव से पट्टी कस्बे तक अपने स्कूल तक साइकिल से आती थीं, इसी दौरान कुछ लड़के उन पर फब्तियां कसते थे। कई वर्षों से ये सिलसिला चल रहा था।
जब मेरी समस्या अख़बार में छपी तो गांव के लोगों ने कहा तुमने पूरे गांव की नाक कटवा दी। घर वाले भी नाराज हुए उन्होंने मेरा स्कूल जाना बंद करवा दिया था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी।रूबी सिंह, छात्रा
गांव कनेक्शन फाउंडेशन की टीम से अपने स्कूल में मुलाकात में रूबी ने अपना ने अपना दर्द बताया। गांव कनेक्शन में ख़बर छपी, जिस पर हंगामा मच गया। गांव वालों ने उन्हें ताने मारे, आरोपी लड़कों ने धमकियां दी यहां तक की घरवालों ने उनका स्कूल छुड़वा दिया। लेकिन रूबी नहीं मानी, उन्होंने घर में ही भूख हड़ताल तक लोगों को अपनी बात सुनने पर मजबूर कर दिया।
रूबी के इस साहस के लिए गांव कनेक्शन ने उन्हें वर्ष 2015 में स्वयं अवार्ड से सम्मानित किया और बाद में उन्हें रानी लक्ष्मी बाई अवार्ड भी दिया गया।