एमपी : युवा किसान का चने की अच्छी खेती करने और बेचने का अनोखा तरीका 

Update: 2017-11-06 17:28 GMT
किसान प्रबल अग्रवाल के चने के खेत को देखते किसान 

सीहोर (मध्यप्रदेश)। मध्यप्रदेश के इस साधारण किसान ने कुछ जैविक तरीके अपनाकर अपने दो एकड़ खेत के चने पिछले साल एक लाख रुपए के बेचे। इसमें 10 हजार लागत निकालकर 90 हजार रुपए का इन्हें मुनाफा हुआ। अगर आप भी चने की खेती कर रहे हैं तो इनके बताए तरीके को अपनाकर चने का बेहतर उत्पादन ले सकते हैं।

सामाजिक विषय से एमफिल की पढ़ाई पूरी करने वाले प्रबल अग्रवाल (35 वर्ष) शौकिया तौर पर एक स्कूल में बतौर गेम्स टीचर थे। प्रबल अग्रवाल का कहना है, “अगर हमे आगे जाना है तो मेहनत खुद करनी पड़ेगी। खेती हमारे पास एक ऐसी पुश्तैनी चीज है जिसे जब चाहे जैसे चाहें इस्तेमाल कर सकते हैं।

खेती तो मै बहुत सालों से करता आया हूँ पर पिछली साल पहली बार जैविक तरीके से चने की बुवाई की।” वो आगे बताते हैं, “मुझे नहीं पता था कि पहली ही साल हमे जैविक तरीके से किये चने का भाव इतना अच्छा मिलेगा। दो एकड़ में 75 किलो बीज बोया और 18 कुंतल चने का उत्पादन हुआ। पूरे साल बाजार से कोई भी खाद और कीटनाशक दवाई का छिड़काव नहीं किया गया, जैविक होने की वजह से ये 6200 रुपए प्रति कुंतल के दाम से बिका।”

मध्यप्रदेश के सीहोर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर नसुरुलागंज तहसील में रहने वाले किसान प्रबल अग्रवाल की तरह कई किसानों ने जैविक तरीके से खेती की शुरुआत की। जैविक तरीके से खेती करने के बाद इनके पास एक समस्या थी कि कैसे इनको इनके चने का भाव अच्छा मिल सके। इनकी तरह कुछ जागरूक किसानों ने मिलकर वर्धा फार्मर क्लब बनाया। ये किसानों के लिए एक ऐसा मंच था जहाँ जैविक खेती करने वाले किसान अपने अनाज और सब्जियां बेच सकते थे। यहाँ इन्हें अच्छा भाव मिलता है और बिचौलियों से भी मुक्ति मिलती है।

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प्रबल ने पूरी तरह जैविक तरीके से किया चने का उत्पादन 

प्रबल अग्रवाल बताते हैं, “चने को अगर खेत में हम सीधे फेंकते हैं तो बीज भी ज्यादा लगता है और जमाव भी पूरा नहीं होता है, रेसबेड प्लान्टर (उठी हुई क्यारियां) की मदद से बोआई करें इससे बीज बहुत कम लगता है।” फॉर्मर रिसोर्स सेंटर की देखरेख कर रहे विनय यादव का कहना है, “हम किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रमोट कर रहे हैं, एक दूसरे के देखादेखी किसान धीरे-धीरे जैविक तरीका अपना रहे हैं। गाँव के ही 15-16 लोग इस क्लब को चला रहे हैं, हमारा काम इनके जैविक उत्पाद को अच्छा भाव दिलाना और जो जैविक की मांग कर रहे हैं उनतक शुद्ध अनाज और सब्जियां पहुंचाना है।”

ऐसे किया बीज शोधन

खेत में बुवाई से पहले 10 कुंतल वर्मी कम्पोस्ट डाल दें। राइजोनियम, ट्राईकोडर्मा, गोमूत्र, नीमतेल इन सभी की 10-10 ग्राम मात्रा लेकर चने के बीज में मिला दें, धूप में आधा घंटा सूखने के लिए रख दें। बीज शोधन के बाद अगर बोआई करेंगे तो पूरा बीज जमेगा। प्रबल ने जाकी 9218 चने की वैरायटी बोई थी।

कीड़ों के लिए हर आठ दिन में इसका करें छिड़काव

तीन लीटर देशी गाय का गोमूत्र और 500 ग्राम नीम तेल का एक एकड़ में हर आठ दिन पर स्प्रे करते रहें। इसका छिड़काव करने से रसचूसक कीड़े, मच्छर कीड़ा नहीं लगते है।

उकठा रोग को ऐसे करें ठीक

10 ग्राम हींग को 10 गिलास पानी में घोल लेते हैं, इसे 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर देंने से उकठा रोग समाप्त हो जाता है। जो चने के सूखे पेड़ बचे होते हैं उन्हें उखाड़ कर फेंक दिया जाता है।

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अग्नियास्त्र बनाते पवन 

अग्नियास्त्र के छिड़काव से नहीं लगेंगी इल्लियाँ

20 लीटर गोमूत्र, दो किलो नीम पत्ती, एक किलो जर्दा तम्बाकू, 500 ग्राम तीखी हरी मिर्च, 500 ग्राम लहसुन सबको मिलाकर पीस लेते हैं। इसके बाद गोमूत्र में आधे घंटे तक इसे उबालते हैं। पांच लीटर अग्नियास्त्र को डेढ़ सौ लीटर पानी में डालकर छिड़काव कर देते हैं। 15 दिन के गैप के बाद दूसरे स्प्रे में छह लीटर अग्नियास्त्र डेढ़ सौ लीटर पानी में छिड़काव कर देते हैं। तीसरा छिड़काव 10 लीटर अग्नियास्त्र में डेढ़ सौ लीटर पानी में डालकर छिड़काव करने से चने की फसल में इल्लियाँ नहीं लगती हैं।

पहला पानी जो कि 21 दिन पर लगता है इसमे जीवामृत सिंचाई के दौरान डाल देते हैं। 50 दिन पर 5 लीटर सोयाबीन टॉनिक 150 लीटर पानी में डालकर छिड़काव कर दिया जाता है।

ये कुछ जैविक तरीके अपनाकर किसान को बाजार से खाद और कीटनाशक दवाएं नहीं डालनी पड़ेंगी, लागत कम होने के साथ ही शुद्ध उत्पादन होगा।

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