कृषि क्षेत्र में नई क्रांति ला सकती है नैनो बायोटेक्नोलॉजी 

Update: 2018-07-09 09:41 GMT
साभार : इंटरनेट 

लखनऊ। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक दुनिया की जनसंख्या 800 करोड़ तक पहुंच जाएगी। विश्व आबादी का 17.84% हिस्सा भारत का है। 2025 तक भारत की कुल आबादी 1.5 अरब से अधिक होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में आबादी बढ़ने के साथ-साथ अनाज उत्पादन जो अभी 25.2 करोड़ टन (2015-16) है, इसकी मांग 30 करोड़ टन तक पहुंच जाएगी। ऐसे में बढ़ती आबादी को भरपूर अनाज मिले और उत्पादकता बढ़े, इसेक लिए नैनोबायोटेक्नोलॉजी कृषि क्षेत्र में नई क्रांति ला सकती है।

हफिंग्टन पोस्ट के अनुसार नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम की मौजूदा उर्वरक खपत 235.9 करोड़ टन (2013-2014) में दर्ज की गई है। हर साल मिट्टी से लगभग 1 करोड़ टन बिना उपयोग की चीजें पैदा होती हैं जो मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं। रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की पोषक तत्व असंतुलित हो रही है, इसके कारण उत्पादन में कमी तो आ ही रही है साथ ही पर्यावरणीय समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं।

इन सबको देखते हुए अब सीमित संसाधनों के इस्तेमाल से बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए कुछ नया और टिकाऊ व्यवस्था विकसित करनी होगी। अभी 14.2 करोड़ से अधिक हेक्टेयर में खेती की जाती है। हम 55 मिलियन हेक्टेयर अपशिष्ट/निचले भूमि पर नई तकनीक का प्रयोग करके इसे उपजाऊ बना सकते हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तरक्की को अगर ध्यान में रखा जाए तो नैनोटेक्नोलॉजी को एक तेजी से विकसित क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है जिसमें कृषि और खाद्य प्रणालियों में क्रांतिकारी परिवर्तन करने की क्षमता है। संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन, सतत विकास 2002, में ये बात सामने आई कि नैनोटेक्नोलॉजी जब एक उपकरण के रूप में लागू किया जाता है तो ये पानी, उर्जा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि, जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र प्रबंधन के क्षेत्र में दुनिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण और टिकाऊ साबित हो सकता है।

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नैनोबायोटेक्नोलॉजी के फायदे

विकासशील देशों में नैनोबायोटेक्नोलॉजी के संभावित अनुप्रयोगों पर संयुक्त राष्ट्र सर्वेक्षण ने एक सदी के विकास लक्ष्यों को पाने के लिए महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र की उत्पादकता को कैसे बढ़ाई जाए, जैसी समस्या पर शोध किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि नैनो बायोटेक्नोलॉजी में उपर्युक्त अंतराल में नियंत्रण करने की क्षमता तो है कि साथ ही पौधों को रोगों से बचाने, तेजी से बीमारी का निदान करना, उत्पादकता बढ़ाने साथ ही पौधों तक पोषक तत्व पहुंचाने की क्षमता है।

परिशुद्धता वाले खेती के तरीके भी नैनोटेक्नोलॉजी से बहुत प्रभावित होंगे और कृषि अपशिष्ट और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी। नैनोबायोटेक्नोलॉजी के प्रयोग से हम उत्पादकता में वृद्धि, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार, फसल हानियों को कम करने और प्राकृतिक संसाधन का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं। नैनो के क्षेत्र में प्रगति के अवसर बहुत ज्यादा हैं। इसकी मदद से कम आय वाले किसानों की आजीविका में सुधार हो सकती है। नैनो बायोटेक्नोलॉजी न केवल वैज्ञानिक और तकनीकी अर्थों में क्रांतिकारी है बल्कि सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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भारत के लिए जरूरी है नैनो बायोटेक्नोलॉजी

कृषि क्षेत्र में नैनोबायोटेक्नोलॉजी का प्रयोग अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में हैं, और मुख्य रूप से कृषि और पर्यावरणीय चुनौतियों जैसे कि स्थिरता, बेहतर पौधे की किस्मों, उत्पादकता में वृद्धि, और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के समाधान प्रदान करने पर केंद्रित है। पौधों के प्रजनन और आनुवंशिक परिवर्तन के क्षेत्र में जानकारी जुटाने के लिए भी नैनो तकनीक का सहारा लिया जा रहा है।

यह तकनीक फार्मा, मेडिकल, कृषि, डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और खाद्य एवं पेय पदार्थ की कंपनियों में, सरकार एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा चलाए जा रहे शोध एवं विकास के प्रोजेक्ट में, शिक्षा और शोध में, बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में और प्रोडक्ट डेवलपमेंट में यह उपयोगी है।

हालांकि, कृषि में नैनोबायोटेक्नोलॉजी की अंतिम सफलता हितधारकों और अंत में उपयोगकर्ताओं द्वारा स्वीकृति पर निर्भर करती है। भारत को 4% से अधिक की टिकाऊ कृषि विकास के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि नैनोबायोटेक्नॉलोजी की तकनीकी को सभी किसानों तक पहुंचाया जाए।

इसके लिए प्रौद्योगिकियों के परिवर्तन पर ध्यान देना होगा। ये न सिर्फ कृषि उत्पादकता (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से), उत्पाद की गुणवत्ता, संसाधनों की उपयोगिता दक्षताओं में वृद्धि करेगा, बल्कि कृषि लागत को कम करने, उत्पादन के मूल्य को बढ़ाने और आय भी सुनिश्चित करेगा। इसे ठोस प्रयास के जरिए हर किसान तक पहुंचाना होगा ताकि अंतिम छोर का किसान भी लाभान्वित हो सके।

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ग्लोबल इनफॉर्मेशन इंक की रिसर्च के मुताबिक, 2018 तक नैनो टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के 330000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। नैस्कॉम के मुताबिक 2015 तक इसका कारोबार 180 अरब डॉलर से बढ़कर 890 अरब डॉलर हो जाएगा। ऐसे में इस फील्ड में 10 लाख प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए इस क्षेत्र में शानदार करियर बनाया जा सकता है।

नैनो टेक्नोलॉजी क्या है

नैनो का अर्थ है ऐसे पदार्थ, जो अति सूक्ष्म आकार वाले तत्वों (मीटर के अरबवें हिस्से) से बने होते हैं। नैनो टेक्नोलॉजी अणुओं और परमाणुओं की इंजीनियरिंग है, जो फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायो इन्फॉर्मेटिक्स और बायो टेक्नोलॉजी जैसे विषयों को आपस में जोड़ती है। नैनो विज्ञान अति सूक्ष्म मशीनें बनाने का विज्ञान है। ऐसी मशीनें जो इंसान के शरीर में जाकर, उसकी धमनियों में चल-फिर कर वहीं रोग का ऑपरेशन कर सकें।

किन-किन क्षेत्रों में होता है प्रयोग

यह तकनीक मेडिकल साइंस, पर्यावरण विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, कॉस्मेटिक्स, सिक्योरिटी, फैब्रिक्स और विविध क्षेत्रों में उपयोगी है। फार्मा, मेडिकल, कृषि, डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और खाद्य एवं पेय पदार्थ की कंपनियों में, सरकार एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा चलाए जा रहे शोध एवं विकास के प्रोजेक्ट में, शिक्षा और शोध में, बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में और प्रोडक्ट डेवलपमेंट में यह उपयोगी है।

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