मध्यप्रदेश में औंधे मुंह गिरे टमाटर के भाव, अब कैसे मिलेगा किसान के पसीने का वाजिब मोल

Update: 2018-02-15 18:59 GMT
मजबूर किसान औने-पौने दामों में टमाटर बेच रहे हैं।

इंदौर। मध्यप्रदेश में नई फसल की बंपर आवक से टमाटर के थोक भाव औंधे मुंह गिर कर दो रुपए किलोग्राम के न्यूनतम स्तर तक पहुंच गए हैं। नतीजतन किसानों के लिए टमाटर की खेती की लागत निकालना मुश्किल हो रहा है।

झाबुआ जिले के पेटलावद क्षेत्र प्रदेश के प्रमुख टमाटर उत्पादक इलाकों में गिना जाता है। इस क्षेत्र के रायपुरिया गांव के किसान योगेश सेप्टा ने बताया, "फिलहाल राज्य की प्रमुख थोक मंडियों में हमें एक किलोग्राम टमाटर बेचने पर औसतन दो रुपए मिल रहे हैं। इस कीमत में टमाटर बेचने पर खेती की उत्पादन लागत, फसल तुड़वाने, छंटवाने और इसे पैक कराकर थोक मंडी तक पहुंचाने का खर्च भी निकल नहीं पा रहा है।"

करीब 25 एकड़ में टमाटर उगाने वाले किसान ने बताया कि गत अक्तूबर में टमाटर के थोक खरीदी भाव 20 से 30 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच थे। लेकिन इन दिनों मंडियों में कई स्थानों से टमाटर की नयी फसल की एक साथ आवक से भाव अचानक नीचे गिर गए हैं।

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इस बीच, कृषक संगठनों ने मांग की है कि राज्य सरकार टमाटर उत्पादक किसानों के हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाए।

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मध्यप्रदेश किसान सेना के सचिव जगदीश रावलिया ने कहा कि सूबे में टमाटर जैसी जल्द खराब हो जाने वाली फसलों के शीत भंडारण और प्रसंस्करण की सुविधाओं की कमी है। राज्य सरकार को बड़े उद्योगपतियों के बजाय खुद किसानों को छोटी-छोटी शीत भंडारण सुविधाएं और प्रसंस्करण इकाइयां विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

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आम किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य केदार सिरोही ने कहा कि प्रदेश सरकार को अन्य फसलों की तरह टमाटर को भी भावान्तर योजना में शामिल करना चाहिए, ताकि किसानों को उनके पसीने का वाजिब मोल मिल सके।

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इनपुट भाषा

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