यूपी में फिल्म निर्माण का बेहतर माहौल: विपिन सिंह

Update: 2018-04-03 18:55 GMT
फोटो: प्रतीकात्मक

बालीवुड इंडस्ट्री में प्रोडक्शन की दुनिया के उभरते सितारे का नाम है विपिन सिंह। ये परदे की चमक से दूर सितारों की दुनिया को हमारे और आपके लिए अपनी मेहनत, लगन और रचनात्मकता से सजाते हैं। तेजी से 100 करोड़ क्लब की ओर बढ़ रही रेड फिल्म के लखनऊ शूट में विपिन और उनकी मेहनत दोनों नजर आती है। इस फिल्म के शुरुआती सीन में विपिन दिखाई देते हैं।

ये भी पढ़ें- फिल्म प्यासा की शूटिंग के दौरान जब पहली बार कोठे पर गए थे गुरुदत्त...

विपिन बताते हैं,“ प्रोडक्शन की असली ताकत की पहचान आउटडोर शूट में ही पता लगती है। शूट के लिए एक-एक जरूरत का ख्याल रखना प्रोडक्शन टीम की जवाबदेही होती है और इसे हर हाल में पूरा करना एक बड़ी चुनौती है, ताकि काम समय से चलता रहे। रेड फिल्म की शूटिंग से पहले लखनऊ और रायबरेली के उन स्थानों की रेकी से ही जुड़े विपिन कहते हैं, यह काम मुश्किल भरा भी है और चुनौती भरा भी। लेकिन एक टीम भावना होती है जो उन्हें ताकत से भर देती है और फिर कोई भी काम के लिए मुश्किल शब्द छोटा पड़ जाता है।

विपिन की चर्चा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि ये उन लोगों में शुमार हैं जिनकी वजह से आज यूपी में बालीवुड फिल्मों की शूटिंग का सिलसिला तेज होता जा रहा है। मुंबई आने से पहले इलाहाबाद में थियेटर से जुड़े रहे विपिन बेहद दिलचस्प किस्सा सुनाते हैं कि किस तरह ओंकारा फिल्म के लिए उन्होंने विशाल भारद्वाज और उनकी टीम को वाराणसी, मऊ और लखनऊ के कई गांवों में फिल्मी टीम को रेकी कराया।

ये भी पढ़ें- 25 साल के लंबे करियर में मैंने कभी भी शूटिंग रद्द नहीं की : काजोल

शूट के लिए रियल लोकेशन की तलाश एक जटिल काम है। और विपिन बालीवुड को इस काम में मदद कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ओंकारा से पहले यूपी में फिल्मों की शूटिंग नहीं होती रही है पर कहीं न कहीं विपिन जैसे लोगों की मेहनत ने बालीवुड इंडस्ट्री में भरोसा जगाया है कि लखनऊ हो या यूपी का कोई हिस्सा यहां शूटिंग करना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं।

केवल 67 दिनों में ही पूरी हो गई शूटिंग

विपिन बताते हैं, रेड के लिए लखनऊ और रायबरेली के पास कुल 75 दिन का शूटिंग शेड्यूल था लेकिन ये काम केवल 67 दिनों में ही पूरा हो गया। समय से काम पूरा होने से फिल्म निर्माण की गति भी ठीक रहती है और पैसे की भी बचत होती है। समय और पैसे की बचत के साथ अपने काम को अंजाम देना प्रोडक्डशन के काम को चुनौतीपूर्ण बनाता है।

ये भी पढ़ें- ऐसे आप भी बन सकते हैं फिल्म प्रोड्यूसर 

विपिन कहते हैं, मैंने फिल्म में प्रोडक्शन की बारीकियां इंद्रजीत चड्ढा से सीखी है। और उनसे केवल काम नहीं ईमानदारी भी सीखा है। राजकपूर के जमाने से इंडस्ट्री में अलग पहचान रखने वाले चड्ढ़ा आज भी बालीवुड में परदे के पीछे के काम और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। मुझे उनसे सीखने का मौका मिला, ये मेरे लिए किस्मत और सौभाग्य की बात है।

दो दर्जन फिल्मों केप्रोडक्शन से जुड़े रहे

फिल्म आत्मा में प्रोडक्शन के लिए पुरस्कार पा चुके विपिन ने ओंकारा, संडे, अतिथि तुम कब जाओगे, दृश्यम, अलोन, प्यार का पंचनामा- दो, गेस्ट इन लंडन और रेड समेत करीब दो दर्जन फिल्मों केप्रोडक्शन से जुड़े रहे हैं। विपिन कहते हैं, प्रोडक्शन के साथ साथ चूंकि मेरा बैकग्राउंड थियेटर का है, इसलिए कई फिल्मों में छोटी भूमिकाएं करने से परहेज नहीं। इसीलिए रेड में जब ये मौका मिला तो उन्होंने उसे निभाया। विपिन के मुताबिक यूपी में फिल्मी गतिविधियों के बढ़ने से न केवल स्थानीय कलाकारों को काम मिल रहा है बल्कि इसके तकनीकी पहलू पर काम करने वालों के लिए बेहतर अवसर बन रहे हैं। आज आपको साल के हर महीने मुंबई की कोई न कोई फिल्मी यूनिट यूपी के किसी न किसी शहर में शूट करती हुई दिख जाती है। आने वाले समय में यहां फिल्म तकनीकी से जुड़े कोर्सेज के लिए बड़ी संभावनाएं बन रही हैं।

ये भी पढ़ें- चार दशकों से सक्रिय निर्माता महेश भट्ट ने फिल्म उद्योग में कई परिवर्तन देखे

ये भी पढ़ें- फिल्म जगत में पुरुष भी होते हैं यौन शोषण का शिकार : राधिका आप्टे 

Similar News