पंद्रह साल में हो रही थी शादी, अब दूसरों का बाल विवाह रोकने में कर रहीं मदद

इस लड़की ने न सिर्फ अपना बाल विवाह रोका, बल्कि आज खुद कानून की पढ़ाई कर रहीं हैं और दूसरी लड़कियों का बाल विवाह भी रोक रहीं हैं।

Update: 2018-11-23 08:34 GMT

इकौना (श्रावस्ती)। यूपी का वो ज़िला जहां ज्यादातर बच्चियों का छोटी से उम्र में बाल विवाह कर दिया जाता है, वहीं पर एक लड़की न सिर्फ अपना बाल विवाह रोका, बल्कि आज खुद कानून की पढ़ाई कर रहीं हैं और दूसरी लड़कियों का बाल विवाह भी रोक रहीं हैं।


श्रावस्ती ज़िले के इकौना ब्लॉक के इतवारिया गाँव की कनकलता मिश्रा (25 वर्ष) आज अपने परिवार और गांव का गौरव बनी हैं। गैर सरकारी संस्था पंचशील से जुड़ कर कानून की पढ़ाई करते हुए गाँव की महिलाओं और किशोरियों को शिक्षित कर रही हैं।

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कनकलता बताती हैं, "मेरी बहन की शादी में बहुत कम उम्र हो गई थी, इसलिए मुझे पता है क्या-क्या परेशानिया होती हैं। मैं जब 15 साल की थी और दसवीं में पढ़ रही थी तो मेरी शादी की बात चलने लगी मेरे मना करने पर भी वो लोग नहीं माने तो मैंने अपने जीजा को बताया। उनके कहने पर उन्होंने मेरी बात मानी और मेरी शादी रुक गई।"


देश के कई इलाकों में आज भी बाल विवाह प्रचलित है, खासकर लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती है। वर्ष 2016 के नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के मुताबिक देश में तकरीबन 27 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र के पहले हो जाती है। जबकि वर्ष 2005 के नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में यह आंकड़ा तकरीबन 47 फीसदी था। यानि सिर्फ दस वर्षों में 18 साल से कम उम्र वाली लड़कियों की शादी में 20 फीसदी की गिरावट आई है। बाल विवाह में ये गिरावट भले ही दर्ज की गयी हो लेकिन अभी भी ये गम्भीर चिंता का विषय बना हुआ है।

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आज कनकलता यूनिसेफ के प्रोजेक्ट स्मार्ट बेटियों में से एक स्मार्ट बेटी हैं और स्मार्ट फ़ोन के जरिए लोगों की फ़िल्म बनाती हैं, लेकिन इसमें भी उन्हें लोगों को बहुत समझाना पड़ता है। वो बताती हैं, "हम ऐसे लोगों को ढूंढते हैं जिन्होंने खुद बाल विवाह होने से रोका हो या फिर दूसरों का बाल विवाह होने से रोकने में उनकी मदद की हो। लेकिन ये सबसे मुश्किल काम है लोगों को ढूंढना और उनसे सच का पता लगाना।"

शुरू में जब कनक ने गांव से निकलना शुरू किया तो लोगों के ताने सुनने को मिले कि लड़की होकर घूमती रहती है। लेकिन अब लोगों को भी समझ मे आ गया है कि कनक चुप रहकर घर बैठने वालों में से नहीं है।

"पहले तो घर वाले भी मना करते थे और आसपास के लोगों को तो बहाना मिल जाता, लोग तरह-तरह की बातें करते, लेकिन अब लोग समझ रहे हैं, "कनक ने कहा।

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