नार्मल डिलीवरी में होने वाले दर्द को कम करेंगी ये थेरेपीज

Update: 2017-08-03 18:20 GMT
साभार: गूगल

लखनऊ। एक समय था जब प्रसव दाईयों के भरोसे होता था ऐसे में कई बार मां की जान भी चली जाती थी लेकिन अब गर्भधारण के शुरुआती महीनों से ही डाक्टरी परामर्श शुरू हो जाता है। अगर डिलीवरी आसानी से बिना किसी ऑपेरशन के हो तो ये और भी अच्छा होता है। हर महिला प्रसव के समय होने वाले दर्द को लेकर थोड़ा परेशान रहती है लेकिन एक नई तकनीकी के द्वारा अब महिलाओं को प्रसव के समस होने वाले दर्द से निजात मिल सकती है।

एसएन मेडिकल कालेज आगरा के स्त्रीरोग विभाग की विभागाध्यक्ष, डॉ सरोज सिंह व डॉ अनु पाठक ने 120 गर्भवती महिलाओं पर अध्ययन किया, जिस के तहत सभी महिलाओं की पेनलेस डिलिवरी कराने के लिए उन्हें ऐपीड्यूरल यानी पीठ में इंजेक्शन लगाया गया।

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ऐपीड्यूरल के दौरान महिलाओं को बेड पर लेटने की जरूरत नहीं थी। वे आराम से चलफिर सकती थीं। जैसे ही दूसरा दर्द उठता दूसरी डोज दे दी जाती। यह प्रक्रिया तब तक चलती रही जब तक डिलीवरी न हो जाए। डॉ सरोज बताती हैं, “इस तकनीक में कमर से नीचे का हिस्सा सुन्न कर दिया जाता है ताकि महिला को प्रसव के दर्द का पता न चले। इस डिलीवरी में बच्चे को कोई नुकसान न पहुंचता है।

इस थेरेपी के बारे में लखनऊ की क्वीन मेरी मेडिकल कॉलेज की डॉ रेखा सचान बताती हैं, “ये प्रक्रिया पुरानी हो गई लेकिन इसमें एक्सपर्ट की जरूरत होती है। ये इंजेक्शन रीढ़ की हड्डी में परिवार के सदस्यों और महिला की अनुमति के बाद ही लगाया जाता है। इस प्रक्रिया में एन्सथीसिया एक्पर्ट का होना जरूरी है। इसमें बच्चे को औजार से कई बार निकालना पड़ता है क्योंकि इसके लिए थोड़ी सावधानी बरती जाती है।”

कई अन्य थेरेपी जो नार्मल डिलीवरी के दर्द को करेंगी कम

कई तरह की थेरैपीज भी चलन में हैं, जो डाक्टरी परामर्श के बाद अपनाई जा सकती हैं जैसे हिप्नो थेरैपी, ब्रीदिंग थेरैपी और हिप्नोटिक थेरैपी। ब्रीदिंग प्रक्रिया में गर्भवती महिला को लिटा कर रिलेक्स म्यूजिक और वर्बल इंस्ट्रक्शन से सांस छोड़ना और लेना सिखाया जाता है। इस से शरीर रिलेक्स मोड में आ जाता है। इस में थेरैपी देने वाला विशेषज्ञ गर्भवती महिला को होने वाले शिशु से भावनात्मक तौर पर जोड़ने की कोशिश करता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 1 घंटे का समय लेती है।

डिलीवरी हो आसान इसके लिए करें हल्के फुल्के व्यायाम

लखनऊ की प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पा जायसवाल बताती हैं, “बदलती जीवनशैली का ही कारण है कि अब महिलाओं में सामान्य डिलीवरी कम होती जा रही है। डिलीवरी को आसान व दर्दरहित बनाने के लिए गर्भवती महिलाओं को कमर व थाइज की मसल्स को मजबूत बनाने वाली ऐक्सरसाइज करनी चाहिए। इससे बेबी नीचे की ओर जाता है और उस का सिर बर्थ कैनल में फिट हो जाता है। इससे डिलीवरी में आसानी से हो जाती है। ”

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सर्जरी के बाद महिलाएं रखें यह ध्यान

साफसफाई का खास ध्यान रखें।

ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लें।

तलेभुने खाने से परहेज करें।

पौष्टिक भोजन लें।

सर्जरी के बाद कम से कम 2 महीने तक मालिश न कराएं।

टांकों में दर्द हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

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