उप्र के मौलवी शादी के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किए जाने के खिलाफ

Update: 2017-08-03 19:43 GMT
दारुल उलूम देवबंद इस्लामिक स्कूल।

लखनऊ (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में मौलवियों ने गुरुवार को राज्य सरकार के सभी शादियों के पंजीकरण को अनिवार्य करने के फैसले को 'अनुचित' करार दिया। दारुल उलूम देवबंद इस्लामिक स्कूल के मौलवियों ने इस कदम का सख्त विरोध किया और कहा कि यह 'पूरी तरह से नाजायज और गैरजरूरी है।'

मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि वह शादी के पंजीकरण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे अनिवार्य बनाना धार्मिक आजादी के खिलाफ है।

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एक अन्य मौलवी मौलाना अहमद खिजर शाह मसूदी ने कहा कि यदि लोग शादी का पंजीकरण नहीं कराते हैं, तो सरकारी फायदे से लोगों को वंचित रखना अनुचित होगा।

लखनऊ के मौलवियों ने कहा कि मुस्लिम तबके के अशिक्षित और गरीब लोगों को पंजीकरण प्रक्रिया में दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। इमाम अली असगर के अनुसार, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह के आदेश दिए जा रहे हैं, जो साफ तौर पर किसी के धार्मिक अधिकारों का हनन है।

राज्य सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में सभी के लिए शादी पंजीकरण अनिवार्य किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इससे पहले समाजवादी पार्टी सरकार ने इसी तरह का एक प्रस्ताव पास करने की कोशिश की थी, लेकिन विपक्ष के विरोध पर वापस ले लिया था।

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