इलाहाबाद विवि ने खाली कराए हॉस्टल, 15 हज़ार छात्र-छात्राएं डेलीगेसी में रहने को मज़बूर

Update: 2017-06-01 14:42 GMT
इलाहाबाद विश्वविद्यालय

ओपी सिंह परिहार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

इलाहाबाद। उच्च न्यायालय के आदेश पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय और ट्रस्ट के छात्रावासों में मौजूद अवैध अंत:वासियों से छात्रावास को मुक्त कराने के अनुपालन में कुल 19 छात्रवासों के 2792 कमरे एक महीने के अंदर खाली करा लिए गए। जानकारों के मुताबिक, इससे तकरीबन 15 हज़ार छात्र-छात्राएं डेलीगेसी में रहने को मजबूर हो गए। जिससे शहर के मकान मालिकों सहित निजी छात्रावास चलाने वालों की चांदी हो गई है।

छात्रावास खाली कराए जाने की वजह से अचानक बढ़ी कमरों की मांग के बाद मकान मालिक कमरे के किराए के रूप में मुंह मांगी रकम मांगने लगे हैं। इसके अलावा वे अनावश्यक रूप से शर्त भी रखने लगे हैं।

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बीए अंतिम वर्ष के छात्र नीलेश सिंह का कहना है, “ऐसे वक्त में छात्रावास खाली कराया गया है जब छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के साथ-साथ अन्य कई प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी करनी है। जिसके लिए छात्रों के पास समय कम है और वे बिना समय गवाए महंगे कमरे लेकर परीक्षा की तैयारी करने को मजबूर हैं। इसका पूरा फायदा आस पास के कालोनियों के मकान मालिक उठा रहे हैं।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर, डॉ. रामसेवक दुबे ने कहा कि “वैध रूप से रह रहे छात्रों के लिए विश्वविद्यालय के तीन छात्रावासों को समर हॉस्टल घोषित किया गया है। वैध छात्रों को यहां जगह दी गई है। समस्या उनको हो रही होगी जो अवैध रूप से हॉस्टलों में रह रहे थे। इसके अलावा जल्द ही हॉस्टलों की मरम्मत कराकर पुनः छात्रों को कमरा आवंटित करने का काम शुरू किया जाएगा।”

‘पहले रहने की व्यवस्था करा देते तब कराते खाली’

“छात्रा श्वेता यादव (27 वर्ष) का कहना है, “छात्रावास को अचानक खाली कराने का फैसला ही गलत था। सभी छात्रों के रहने की व्यवस्था कराने के बाद ही ऐसा करना चाहिए था।” परास्नातक की छात्रा शब्बा नसीर (24 वर्ष) का कहना है, “लड़कों से ज्यादा समस्या तो हम लड़कियों को झेलना पड़ रहा है। लड़के तो कहीं भी कमरा लेकर रह सकते हैं, लेकिन लड़कियों को तो सुरक्षा का भी ख्याल रखना होता है।”

बताते चलें कि शहर के अल्लापुर, दारागंज, बघाड़ा, गोविंदपुर, सलोरी, कर्नलगंज, कटरा, जार्ज टाउन, टैगोर टाउन में सबसे अधिक छात्र रहते हैं। हॉस्टलों से निकले छात्र इन्हीं इलाकों में अपना आशियाना खोज रहे हैं।

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