1400 करोड़ के खर्च पर हुआ सिर्फ 60 फीसदी काम, रिवर फ्रंट घोटाले की होगी सीबीआई जांच

Update: 2017-07-20 20:58 GMT
गोमती रिवर फ्रंट (फोटो : गांव कनेक्शन)

लखनऊ। गोमती रिवर फ्रंट डिवलपमेंट परियोजना में हुई फिजूलखर्ची की आंच बड़ों-बड़ों तक पहुंचेगी। सीबीआई अब इस घोटाले की जांच करेगी। इस परियोजना में शुरुआत से ही गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई हैं। गोमती संरक्षण के लिए काम कर रही संस्थाओं ने बहुत पहले ही कई जगह अपव्यय की शिकायत की थी, मगर उनकी दलीलें नक्कारखाने में तूती की आवाज की तरह दबा दी गई थीं।

अब जबकि न्यायिक जांच बैठा दी गई, ऐसे में उन सारे मुद्दों पर बात होगी जो पहले बताए गए लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था।

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न्यायिक जांच और कुछ एफआईआर होने के बाद गहन जांच को लेकर राज्य सरकार ने इस मामले को सीबीआई के हवाले करने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश की है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने ये स्पष्ट कर दिया कि पूरी पारदर्शिता से जांच हो और कोई भी बख्शा न जाए। करीब 1400 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में निर्धारित समय पूरा होने के बाद भी केवल 60 फीसदी काम ही पूरा किया जा सका था, जिसमें अनेक खामियां सामने आई थीं।

गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में हुए आपराधिक षड़यंत्र और घोटाले की जांच को लेकर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से सीबीआई जांच किये जाने की सिफारिश की है। इस मामले में बहुत विशेषज्ञ तहकीकात की आवश्यकता है। जल्द ही सीबीआई जांच करेगी।
भगवान स्वरूप श्रीवास्तव, गृह सचिव, यूपी

कई मामलों में सीधे-सीधे पूर्व सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव भी शामिल रहे हैं, जिनमें बड़ी वित्तीय स्वीकृतियां शामिल हैं। दरअसल पहले इस परियोजना में एक हिस्सा जल निगम मांग रहा था। जिसके तहत गोमती में गिर रहे नालों का डाइवर्जन और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का रेनोवेशन शामिल किया गया था। मगर उच्च स्तरीय दखल के बाद उन पर स्वीकृति नहीं हो सकी।

गोमती संरक्षण में जुटे ऋद्धि किशोर गौड़ का कहना है, “जल निगम ने बहुत कम बजट में नालों के डाइवर्जन की योजना बनाई थी। ये मात्र 13 करोड़ का प्रोजेक्ट था। मगर सिंचाई विभाग इसकी जगह करीब 300 करोड़ के बजट वाली परियोजना ले आया। इसमें गोमती में गिर रहे 27 नालों को शहर के बाहर ले जाना था, मगर शहर के बाहर नाले दोबारा गोमती में मिला देने थे। ऐसे में गोमती आगे तो गंगा को गंदा कर देती।’’

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उन्होंने आगे कहा, “साथ ही सुल्तानपुर और जौनपुर के लोगों को गोमती प्रदूषण के नुकसान उठाने पड़ते। मगर सिंचाई विभाग इसी परियोजना को लाने पर अड़ा रहा। परिणाम ये हुआ कि, नाले अब तक गोमती में सीधे ही गिर रहे हैं।”

एक नजर में परियोजना

गोमती का ये रिवरफ्रंट 8.1 किलोमीटर का है, जिसपर करीब 3 हजार करोड़ का खर्च करने की तैयारी थी लेकिन अखिलेश यादव की सरकार जाने तक 1437 करोड़ का बजट पास किया गया और 1427 करोड़ रुपए खर्च भी कर दिए गए। यहां रिवर फ्रंट पर सॉफ्ट स्केपिंग है, झील है, म्यूजिकल फाउंटेन है, जो कहीं नहीं है। साथ ही वाटर स्पोर्टस है, क्रूज है और स्वास्थ्य के लिहाज से कई तरह के ट्रैक बनाए गए हैं, जिसमें साइकिलिंग, वॉकिंग और जॉगिंग ट्रैक होगा।

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दिसंबर 2016 तक पूरा करने का वादा

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत जनवरी 2015 में हुई थी और मार्च 2017 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। इंजीनियर दावा कर रहे थे कि इसे वो दिसंबर 2016 में ही पूरा कर लेंगे लेकिन अभी तक 60 फीसदी काम पूरा होने का ही दावा किया जा रहा है। दरअसल इसकी शुरुआत गोमती के दोनो ओर कंक्रीट के चैनल बनाकर शुरू की गई और आठ किमी लंबा चैनल बनाया गया, फिर दोनो ओर से जो 27 नाले इसमें गिरते हैं, उसे रोकने की कवायद इसके समानांतर एक नाले इंटरसेप्टिंग ड्रेन बनाकर की जानी थी। दावा था कि, धीरे-धीरे गोमती में गिरने वाले नालों को रोक दिया जाएगा।

इन पर आएगी जांच की आंच

मेसर्स गैमन इंडिया लिमिटेड के पास गोमती रिवर फ्रंट का अधिकांश काम है। इस कंपनी का फंसना तय है। इसके अलावा कंपनी के दर्जनों पेटी कांट्रेक्टर भी परियोजना से जुड़े रहे हैं। सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता पीके सिंह, पूर्व प्रमुख सचिव सिचांई विभाग दीपक सिंघल, पूर्व अधिशासी अभियंता रूप सिंह यादव, सुप्रिटेंडिग इंजीनियर रमण सरकार हैं।

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