लेखपाल और तहसील पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान

Update: 2017-06-24 22:01 GMT
योगी आदित्यनाथ।

लखनऊ। “गाँव के तालाब पर जिन लोगों का कब्जा है, वह रसूखदार हैं, उनके खिलाफ कोई बोलता नहीं है। यहां की वर्तमान प्रधान भी, इसलिए तालाब कब्जा मुक्त नहीं हो सकता है,”औरैया के भाग्यनगर विकासखंड के भटपुरा गाँव निवासी प्रदीप कुमार के चेहरे पर भूमाफिया का डर साफ झलकता है। लेकिन अब प्रदीप ऐसे भूमाफियाओं के खिलाफ ऑनलाइन शिकायत कर सकेंगे और शिकायत पर हुई कार्रवाई की स्थिति भी जान सकेंगे।

पोर्टल का उद्घाटन करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए एंटी भू-माफिया पोर्टल लांच किया है। इस पोर्टल पर सरकारी और निजी संपत्तियों पर कब्जे की शिकायत ऑनलाइन की जा सकेगी। साथ ही, ऑनलाइन नामांतरण प्रार्थना पत्र प्राप्त करने के लिए भी पोर्टल का उद्घाटन किया। राजस्व परिषद के चेयरमैन प्रवीर कुमार ने बताया, “नामांतरण के लिए अभी लोगों को आवेदन की व्यस्था है। रजिस्ट्री कराने के बाद घर बैठे म्यूटेशन का ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।”

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एंटी भू-माफिया अभियान के तहत 5,895 हेक्टेयर भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है। इस पोर्टल से खातों में आधार की फीडिंग हो जाने के कारण खातेदारों की सही पहचान निर्धारित होगी, जिससे न केवल मामलों में कमी आएगी, बल्कि किसानों को कई योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा। अभियान के दौरान अब तक जिला प्रशासन द्वारा टास्क फ़ोर्स के माध्यम से ग्रामसभा, राजकीय भूमि पर अवैध कब्ज़ा करने वाले 1,53,808 अतिक्रमण करने वालों को चिन्हित किया गया है, और उनके विरुद्ध 16505 राजस्व/सिविल मामले दर्ज किए गए और 940 मामलों में कार्रवाई की गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आम जनता को समय से न्याय देने की व्यवस्था होनी चाहिए। कई राजस्व वाद एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलते रहते हैं। इससे शासन-व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है। इसी प्रकार, गांव की चकबन्दी पूरी होने में कई दशक लग जाते हैं। इससे कई प्रकार के विवाद भी पैदा हो जाते हैं। उन्होंने राजस्व परिषद में तैनात अधिकारियों को मुकदमों की संख्या निर्धारित करने का सुझाव देते हुए कहा कि तहसील स्तर तक प्रतिदिन एवं प्रतिमाह राजस्व वादों के निस्तारण की संख्या निर्धारित की जानी चाहिए।

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सीमए ने कहा कि अगर गरीब न्याय से वंचित होता है तो शासन-व्यवस्था को लोक कल्याणकारी कहलाने का हक नहीं है। उन्होंने अधिकारियों का आह्वाहन किया कि उनकी कार्य प्रणाली जनविश्वास को बढ़ाने वाली होनी चाहिए। उन्होंने वादों के निस्तारण में समय-सीमा के निर्धारण पर बल देते हुए कहा कि तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

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