गोरखपुर त्रासदी : गैस एजेंसी ने पैसा न मिलने पर कई दिन पहले दी थी आक्सीजन की सप्लाई बंद होने की चेतावनी

Update: 2017-08-12 13:14 GMT
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती बच्चों के माता-पिता पर टूटा दुखों का पहाड़।

मनीष मिश्र/हरिओम शुक्ला

लखनऊ/गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की आपूर्ति के लिए निर्धारित एजेंसी पुष्पा सेल्स प्रा. लि. लखनऊ ने एक अगस्त, 2017 को बीआरडी कॉलेज के प्राचार्य को पत्र लिख कर बकाया भुगतान मांगते हुए कहा था, " महोदय मैं पिछले कई दिनों से अवगत करा रहा हूं कि कंपनी का 63.5 लाख रूपया लंबित है, अपरोक्त स्थिति के बावजूद भी हमने मरीजों की स्थिति का ध्यान रखते हुए आपूर्ति सुनिश्चित की है। जिससे कि गैस प्लांट में निर्वाध रूप से आगामी 4-5 दिन आपूर्ति सुनिश्चित रह सके। आपको सूचित कर रहे हैं कि ionx कंपनी जिससे हम आपूर्ति ले रहे हैं, उसने भी भुगतान न मिलने पर भविष्य में सप्लाई करने मे असमर्थता दिखाई है।

बकाया भुगतान नह होने की स्थिति में हम भविष्य में सप्लाई करने में असमर्थ हेांगे। इसकी कोई भी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी। इस लेटर की कॉपी जिलाधिकारी गोरखपुर, एसआईसी बीआरडी कॉलेज, गोरखपुर, महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं यूपी, विभागाध्यक्ष, बाल रोग विशेषज्ञ, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर को भी भेजी गई थी।य

पुष्पा गैस एजेंसी ने 1 अगस्त को अस्पताल प्रबंधन समेत कई अधिकारियों को लिखा था खत

ये भी पढ़ें- गोरखपुर : मेडिकल कॉलेज में 5 दिनों में हो चुकी है 60 बच्चों की मौत

बच्चों की मौत के बाद अस्पताल में हड़कंप।

गोरखपुर मेडिकल अस्पताल : एक रात में 23 मौतें

अगस्त 10 और 11 के बीच गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कई विभागों में 30 बच्चों की मौत हो गईं - इनमें से 23 मौतें गुरूवार की रात हुईं। अस्पताल प्रशासन पर आरोप है कि ये मौतें आक्सीजन की सप्लाई में बाधा आने पर हुईं, लेकिन सरकार ने आक्सीजन की कमी को नकार दिया है।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अपनी पत्नी का इलाज करा रहे गोरखपुर के अजय चन्द्र कौशिक ने बताया, "तीन-चार दिन से अफरा-तफरी का माहौल था, अगर किसी बच्चे की मौत होती है तो माता-पिता को बात देते हैं कि आप का बच्चा बचा नहीं। बच्चों के माता पिता को हफ्तों से मिलने तक नहीं दिया।"

उधर, डीएम गोरखपुर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "पिछले 24 घंटों में मात्र 7 बच्चों की मौत हुई है, इनमें से किसी की भी आक्सीजन की कमी से नहीं हुई। आक्सीजन के वेंडर का 63.5 लाख रुपया बाकी था, 20 लाख एकाउंट में चला गया है।" इससे पहले 11 तारीख के अंक में दैनिक जागरण अखबार ने छापा था कि रात करीब 11.30 बजे आक्सीजन खत्म हो गई थी, जिससे बच्चों की जान पर बन आई थी। प्रशासन ने भी उसी दिन 23 बच्चों की मौत होना माना।

गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 7 बच्चों की मौत की वजह आक्सीजन की कमी नहीं- यूपी सरकार

इस वार्ड में पल-पल भारी पड़ता है तिमारदारों को।

200 किलोमीटर के आसपास से मरीज आते हैं गोरखपुर मेडिकल कॉलेज

गोरखपुर में पिछले कई वर्षों से इंसेफ्लाइटिस उन्मूलन के लिए काम कर रहे डॉ. आरएन सिंह ने कहा, "दो दिन में 30 बच्चों की मौतें सामान्य नहीं हैं, पूरे सीजन में हर रोज 4-5 मौतें ही होती हैं।

गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज पूर्वाचल का इकलौता अस्पताल है जहां 200 किमी की (करीब 12000 वर्ग किमी क्षेत्रफल) दूरी से मरीज इलाज करान आते हैं। क्योंकि उनके पास कोई दूसरा साधन नहीं है। इस अफरातफरी के बीच जब कुशीनगर जिले के रायपुर गांव निवासी पिंटू अपने चार दिन के बच्चे को वार्ड में देखने पहुंचे तो गार्ड ने बदतमीजी करते हुए भगा दिया।

वहीं, प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि आक्सीजन की कमी से मेडिकल कॉलेज में भर्ती कई रोगियों की मृत्यु हो जाने के सम्बन्ध में कतिपय समाचार चैनलों में प्रसारित समाचार भ्रामक हैं। प्रवक्ता के अनुसार मेडिकल कॉलेज में भर्ती 07 मरीजों की विभिन्न चिकित्सीय कारणों से 11 अगस्त, 2017 को मृत्यु हुई। "मैंने गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की है। अस्पताल में जो मौतें हुई हैं, वह ऑक्सीजन के रुकने से नहीं हुई हैं। मैंने अपर निदेशक को मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए भेजा है। जांच में जो भी दोषी होगा, उस आधार पर कार्रवाई की जाएगी।" डॉ. पद्माकर सिंह, महानिदेशक, स्वाथ्य एवं परिवार कल्याण, यूपी ने कहा।

नेपाल और बिहार तक से लोग आते हैं गोरखपुर।

गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में 30 बच्चों की मौत, सात की पुष्टि

Similar News