मीना मंच के बच्चों ने कहा गाँव के हर बच्चे को है पढ़ने का हक

Update: 2017-11-15 20:24 GMT
बाल प्रेस वार्ता के लिए मंच की जिला समन्वयक विजय लक्ष्मी ने सुनी बच्चों की बातें

लखनऊ।  मलिहाबाद ब्लॉक के कममंडी खुर्द गाँव में रहने वाले फिरोज़ ( 13 वर्ष) स्कूल में बनाए गए मीना मंच के सदस्य हैं। फिरोज़ ने अपने गाँव व आसपास के सटे कई गाँवों में लोगों को अपने बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया है। फिरोज़ के कहने पर उसके गाँव के चार परिवारों ने अपनी लड़कियों का दाखिला स्कूल में करवाया है।

बाल दिवस के मौके पर लखनऊ के 35वी. पीएसी बटालियन महानगर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सरकारी स्कूलों में बनाए गए मीना मंच के अंतर्गत स्कूली छात्र-छात्राएं ,विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों और एक्शनएड संस्था ने मीना मंच की जिला समन्वयक, लखनऊ विजय लक्ष्मी के साथ प्रेस संवाद किया। फिरोज़ को लखनऊ में आकर मीनामंच के बच्चों के लिए आयोजित इस प्रेस संवाद में भाग लेने का मौका मिला, तो उसने शिक्षा विभाग की तरफ से आई अधिकारी के सामने अपनी बात रखी।

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कक्षा - आठवीं में पढ़ने वाले फिरोज़ ने न केवल गाँवों के बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया बल्कि विद्यालय प्रबंध समिति के साथ मिलकर स्कूल में पेड़ पौधे लगाने व ग्रामीण बच्चों का दाखिला कराने में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। फिरोज़ ने प्रेस संवाद में जिला समन्वयक विजय लक्ष्मी से कहा,'' हमारे गाँव अभी भी बहुत से परिवार ऐसे हैं,जो लड़कियों को पढ़ने के लिए स्कूल नहीं भेजते हैं। गाँव के हर बच्चे को पढ़ने का एकसमान हक है। मैं कोशिश कर रहा हूं कि इन परिवारों में जाकर लोगों को अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए मना सकूं।''

लखनऊ में बाल दिवस पर आयोजित की गई बच्चों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में लखनऊ के कई ब्लॉकों से आए मीना मंच के सदस्य बच्चों ने हिस्सा लिया और शिक्षकों सहित जिला समन्वयक (मीना मंच) के सामने गाँवों में की गई अपनी गतिविधियों की जानकारी दी।

बाल प्रेस वार्ता में शामिल होती मीना मंच की छात्राएं। 

लखनऊ के बीकेटी ब्लॉक के राजापुर गाँव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय की छात्रा छाया कुमारी ( 13 वर्ष) ने अपनी तीन सहेलियों को फिर से स्कूल में पढ़ाई शुरू करने के लिए उनके घरवालों को समझाया। छाया ने प्रेस संवाद में बताया,'' मेरी तीन सहेलियां थी, जो मेरे साथ स्कूल में मेरी ही क्लास में पढ़ती थी,लेकिन एक साल पहले उनके घरवालों ने उनकी पढ़ाई बीच में ही रोक दी। घर वाले बोलते थें, कि लड़की हैं ये घर का काम करें ,तो ज़्यादा ठीक है। इन्हें सेकील भेजने से कोई फायदा नहीं है।'' छाया ने आगे बताया कि घरवालों की बात सुनने के बाद मैने और मीना मंच के बाकी सदस्यों ने उनके घर जाकर उनके माता-पिता को बहुत समझाया, जिसके बाद उन सभी के घरवाले उन्हें स्कूल भेजने के लिए राज़ी हो गएं।''

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यूनीसेफ की एक परियोजना के तहत देश के कई राज्‍यों में प्राथमिक विद्यालयों में मीना मंच की स्‍थापना की गई है। इसका उद्देश्‍य बालिका शिक्षा को प्रोत्‍साहित करना है।

बच्चों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी बातों से प्रभावित हुई जिला समन्वयक (मीना मंच) लखनऊ विजय लक्ष्मी ने बताया,''हम लगातार लखनऊ के सभी ब्लॉकों के विद्यालयों में मीना मंच को प्रभावी तरीके से फैलाने का काम कर रहे हैं। मीनामंच के बच्चों को सामाज में निडरता से बात रखने के लिए आगे आएं, इसके लिए हम उनकी हर संभव सहायता कर रहे हैं।''

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