लखनऊ। पिछले करीब एक दशक से उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बने आतंकियों से निपटने के लिए एटीएस टीम में कमी थी। इनसे निपटने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को पंचम तल पर अफसरों के साथ अहम बैठक कर एटीएस टीम को और बल दिया। स्पॉट नाम से कमाण्डो ईकाई के लिए पूर्व में कुल 264 की जगह अब 694 पदों की स्वीकृति कर दी गई है।
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इससे पूर्व आतंकवाद से निपटने के लिए सुरक्षा को लेकर किये गये तमाम इंतजाम व सक्रियता बावजूद भी आतंकी अपने नापाक मंसूबों आराम से कामयाब होते गए और खुफिया तंत्र हर बार बौना साबित होता गया। लिहाजा इस विभाग में करोड़ो रुपए पानी में बह गये और नतीजा शून्य निकला।
पिछले दस वर्षों से शुरू हुई योजना का अमली जामा किसी भी दल की रही प्रदेश सरकार नहीं पहना सकी जबकि इस बीच सपा और बसपा शासन रहा। तीनों पार्टियों के कार्यकाल में इस समिति के गठन के लिए कोई बैठक तक नहीं हो सकी थी। इस गठन के लिए वर्ष 2011 में इम्पावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ईजीओएम की एक महत्वपूर्ण बैठक में तकरीबन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाया गया था। बैठक में राज्य के गृह सचिव व पुलिस महानिदेशक भी शामिल हुए थे बैठक में निर्णय लिया गया कि आतंकवाद एक राष्ट्र विरोधी है,जिससे निपटने के लिए सभी राज्य अंतर्राष्ट्रीय सूचना सहयोग समिति का गठन करें।
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आतंक के आंकड़े बताते हैं कि यूपी शुरू से ही आतंकियों के निशाने पर रहा। वाराणसी का संकट मोचन मंदिर विस्फोट या फिर लखनऊ,बनारस व फैजाबाद की कचहरी में हुए बम विस्फोट का मामला खूंखार आतंकवादियों ने ज्यादातर निशाना सूबे की राजधानी लखनऊ को बनाया। इसकी पुष्टि की कई बड़े आतंकी संगठनों के सदस्यों के पकड़े जाने के बाद से हो चुकी है। सपा व बसपा सरकार के बाद एक बार फिर सूबे में भाजपा सरकार बनी तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को गंभीरता से लिया और आतंकवाद से निपटने के लिए स्पॉट यानी स्पेशल पुलिस ऑपरेशन टीम का गठन किया तो इससे एटीएस को और बल मिल गया।
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