7 महीने से नहीं मिला डीआरडीए कर्मचारियों को वेतन

Update: 2017-04-20 18:22 GMT
मुख्यमंत्री आवास पर अपनी मांग लेकर पहुंचे डीआरडीए कर्मचारी विजय कुमार

लखनऊ। जिला ग्राम्य विकास अभिकरण (डीआरडीए) के कर्मचारी समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण परेशान हैं। कर्मचारियों को पिछले 7 महीने से वेतन तक नहीं मिल पा रहा है।

प्रदेश भर में वर्ष 1980-90 से काम कर रहे 995 डीआरडीए कर्मचारियों को सरकार ने 2015 में ग्राम विकास विभाग शामिल करने का निर्णय दिया था, लेकिन निर्णय के एक साल से ज्यादा दिनों बाद इनको राजकीय कर्मचारी घोषित नहीं किया गया था। बाद में जब कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया तब जाकर इन्हें राजकीय कर्मचारी घोषित करते हुए ग्राम विकास विभाग में शामिल किया गया।

कर्मचारियों को जुलाई 2016 को राजकीय कर्मचारी घोषित तो कर दिया गया, लेकिन अभी तक इन्हें राजकीय कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएँ नहीं मिल रही है। दूसरी तरफ इन कर्मचारियों को समय पर कभी वेतन नहीं मिल पाता है। किसी कर्मचारी को छह महीना पहले तो किसी को पांच महीने से वेतन नहीं मिला है।

इलहाबाद के रहने वाले विजय कुमार बताते हैं कि हमें पिछले छह महीने से वेतन नहीं मिला है। हम सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट-काट कर थक गए है लेकिन हमें कोई सुनने को तैयार नहीं है।

डीआरडीए कर्मचारी यूपी डीआरडीए इम्पलाइज यूनियन नाम से अपना संगठन बनाकर न्याय की मांग कर रहे हैं। यूनियन के अध्यक्ष कानपुर के रहने वाले आमोद प्रताप सिंह बताते हैं कि कागजों पर हमें भले ही ग्राम विकास विभाग के अंतर्गत डाल दिया गया, लेकिन हमें कोई भी फायदा नहीं है। हमारे कर्मचारी बिना वेतन काम करने को मजबूर है। हम पिछले सरकार में भी समय पर वेतन और सुविधा की मांग करते रहे लेकिन हमें को सुनने वाला नहीं है।

डीआरडीए कर्मचारी और यूनियन के उपाध्यक्ष हरिमोहन शर्मा बताते हैं कि जब सरकार हमें राजकीय कर्मचारी घोषित कर दी तो क्यों नहीं हमें हक नहीं मिला है। 2005 के नियम के अनुसार सरकार हमें पेंशन देना नहीं चाहती है जबकि हम लोग 1980-90 काम कर रहे हैं। हम जब से काम कर रहे है हमें उसी हिसाब से पेंशन मिलने चाहिए।

डीआरडीए कर्मचारियों ग्राम विकास से सम्बन्धी अलग-अलग सरकारी योजनाओं के लिए मिले सरकारी फंड बाँटने का काम करते है। डीआरडीए में 1994 के बाद से भर्ती बंद है।

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