मिट्टी न मिलने से बढ़ी देशी फ्रिज की कीमत

Update: 2017-04-10 15:15 GMT
बाहर की चिलचिलाती धूप से घर के अन्दर आने पर देशी फ्रिज का पानी किसी अमृत से कम नहीं।

किशन कुमार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

रायबरेली। गर्मी शुरू होते ही ग्रामीण इलाकों में देशी फ्रिज कहे जाने वाले सुराही-मटकों की मांग बढ़ गयी। रायबरेली का डिग्रा कालेज चौराहा हो या लालगंज का गांधी चौराहा, लखनऊ-इलाहाबाद हाईवे पर स्थित रतापुर चौराहे से लेकर हरचन्दपुर, शिवगढ़, डलमऊ, ऊंचाहार और महराजगंज कस्बों में सुराही और मटकों की दुकानें सज गयी हैं। यूं तो इन मिट्टी के बर्तनों का काम वर्षभर चलता है, परन्तु गर्मी आते ही सुराही और मटके की मांग बढ़ जाती है।

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हरचन्दपुर मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर वसीम (36 वर्ष)बताते है,“इस बार मिट्टी न मिलने से सुराही और मटके की कीमत काफी बढ़ गयी है। इससे परेशानी हो रही है। पांच लीटर की सुराही 40 रुपए से लेकर 60 रुपए तक बिक रही है।” वसीम आगे बताते हैं, “अब ज्यादा माल तैयार नहीं हो पाता। जो लोग दूसरा काम करने के लिए मिट्टी ले जाते हैं वो चार हजार रुपए ट्राली और एक हजार पुलिस खर्चा देकर ले जाते हैं।

हम लोग इतनी महंगी मिट्टी नहीं ले सकते इसलिए दूरदराज से खुद खोदकर बोरा, दो बोरा लाते हैं। इसमें भी बहुत दिक्कत आती है।” शिवगढ़ रोड पर सरस बाजार के सामने मिट्टी की रन्धायी कर रहे कल्लू (20 वर्ष) भी कहते हैं, “जिस गाँव में मिट्टी लेने जाओ तो गाँव वाले भगा देते हैं। मिट्टी नहीं खोदने देते हैं तो चोरी-छिपे लाना पड़ता है। एक तरफ बेतहाशा बढ़ती जा रही गर्मी में सुराही और मटकों की मांग में वृद्धि हुई है तो दूसरी तरफ मिट्टी के अवैध कारोबारियों के कारण लगी पाबंदियों में इन पुश्तैनी कारोबारियों का रोजगार प्रभावित हो रहा है।

राजामऊ रोड विशुन पुर निवासिनी रेहम्मतुल (38 वर्ष) और सबीना (17 वर्ष) अपने घर में मिट्टी का काम करती हैं। अजीविका के लिए केवल यही पुश्तैनी धंधा है, जिसके सहारे रोजी-रोटी चलती है। रहम्मतुल उदास होकर कहती हैं, “अब जब दो पैसे कमाने का सीजन आया है तो मिट्टी नहीं मिल पा रही है। हम मां-बेटी कहीं मिट्टी खोदने जाते हैं तो गाँव वाले खोदने नहीं देते हैं। कहीं दूर से अगर ज्यादा मिट्टी लाओ तो पुलिस परेशान करती है। किसी तरह इधर-उधर से थोड़ी-बहुत मिट्टी लाकर काम चला रहे हैं।”

सुराही का पानी पेट की बीमारियों के लिए भी फायदेमंद

इस भीषण गर्मी में ये देशी फ्रिज ही गाँव वालों का सहारा है। इनकी शीतलता ही इनके आर्कषण का केन्द्र है। बाहर की चिलचिलाती धूप से घर के अन्दर आने पर देशी फ्रिज का पानी किसी अमृत से कम नहीं। होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अतीकुर्रहमान रिजवी के अनुसार मिट्टी के बर्तन का ठण्डा पानी शरीर को शीतलता तो देता है। साथ-साथ पेट की बिमारियों को भी राहत देता है जबकि अन्य कृत्रिम साधनों से ठण्डा किया पानी नुकसान पहुंचाता है।

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