लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मछली पालन की असीम संभावनाएं हैं। बावजूद इसके मछली पालकों को किसानों की तरह सरकार से मिलने वाली सुविधाओं का अभाव होने से प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा नहीं मिल रहा। वर्तमान में स्थिति यह है कि उत्तर प्रदेश अपनी जरूरत का 60 फीसदी दूसरे राज्यों से मंगा रहा है। ऐसे में सरकार की तरफ से किसानों को दी जा रही सुविधाओं का लाभ मछली पालकों को भी मिल सके इसके लिए उन्हें किसान का दर्जा दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त चंद्र प्रकाश ने बताया ''मछली पालकों को किसानों का दर्जा देने के लिए ऊर्जा, राजस्व, सिंचाई, कृषि, वित्त और पंचायती राज विभाग को सभी औपचारिकताएं पूरी करने का निर्देश दिया गया है। जल्द ही इसको लेकर शासनादेश जारी कर दिया जाएगा।'' उन्होंने बताया कि मछली पालकों को किसान का दर्जा मिलने के बाद मछली पालकों को किसानों की तरह सरकार की तरफ से सभी सुविधाएं मिलेंगी।
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कृषि उत्पादन आयुक्त ने बताया कि मछली पालने को बढ़ावा मिल सके इसके लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि ऊर्जा विभाग को निर्देश दिया गया है कि मछली पालकों को उनके तालाब का जलस्तर बनाए रखने के लिए कृषि की भांति रियायती दरों में बिजली दी जाए। सिंचाई विभाग ने आदेश दिया गया है कि सरकार के ट्यूबवेल से उनके क्षेत्र में पड़ने वाले तालाबों को कृषि की भांति निर्धारित दरों पर पानी भी उपलब्ध कराया जाएगा। यही नहीं, नहरों से भी तालाबों को पानी दिए जाने के प्रावधान हैं। इसी प्रकार बड़ी नहरों के समानांतर जो छोटी नहरे हैं उसमें भी मछली पालन किया जाए।
उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग के अनुसार प्रदेश में सालाना 150 लाख टन मछली की जरुरत पड़ती है, जबकि प्रदेश में कुल उत्पादन मात्र 45 लाख टन ही हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 54 प्रतिशत लोग मांसाहारी हैं और सालाना प्रति व्यक्ति यहां 15 किलोग्राम मछली की आवश्यकता है।
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राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के अनुसार उत्तर प्रदेश में एक लाख 73 हजार हेक्टेयर में तालाब, एक लाख 56 हजार हेक्टेयर में जलाशय, एक लाख 33 हजार में झील और 28500 किलोमीटर लंबी नदियां हैं। इसके बाद भी यहां पर 50 प्रतिशत उपलब्ध संसधान में ही मछली पालन किया जाता है। यही वजह है कि प्रदेश में जितना मछली का उत्पादन होना चाहिए नहीं हो रहा है।
उत्तर प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य विभाग की तरफ से मछली पालकों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। प्रदेश में छह प्रकार की मछलियों को पालन मछली पालकों की तरफ से मुख्यत: की जाती है। इसमें रोहू, कतला, मृगल जिस नैन शामिल हैं। विदेशी प्रजाति में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और कामन कार्प प्रमुख है। ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब का पट्टा लेने के लिए मछली पालक को ग्राम सभा में आवेदन देकर प्रस्ताव तैयार कराना पड़ता है। इसके बाद इसे तहसीलदार और उप जिलाधिकारी कार्यालय में जमा करना पड़ता है। वहां से जांच के बाद ग्राम सभा के जरिए तालाबा का पट्टा मिलता है।
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