मथुरा में शादी की इस अजब परंपरा से लड़कियां परेशान

Update: 2018-07-20 08:56 GMT
प्रतीकात्मक तस्वीर 

मथुरा। जिले से 40 किलोमीटर दूर बलदेव ब्लॉक के बरौली गाँव की रहने वाली नीरू की शादी 2010 में उसकी बड़ी बहन के साथ कर दी गई। तब बड़ी बहन की उम्र 17 साल थी और नीरू की उम्र महज़ 10 साल थी। बड़ी बहन ससुराल चली गई, लेकिन छोटी बहन मायके में ही रही। ये एक ऐसी कुप्रथा है जिस प्रथा का नाम दिया गया है। एक ही मंडप में दो बहनों की की शादी कर दी जाती है। परंपरा के नाम पर लड़कियों पर ये अत्याचार बहुत पहले से किया जा रहा है।

यहां दो बहनों की शादी एक ही मंडप में करना परम्परा की तरह है। यहां ज्यादातर शादियां ऐसे ही होती हैं। यह परम्परा गरीब और अमीर दोनों तरह के परिवारों में देखने को मिलती है। अमीर परिवारों में इस तरह की शादी की कमी आई है लेकिन गरीब परिवारों में यह परम्परा बदस्तूर जारी है।
आदित्य, महिला समाख्या

ऐसी कहानी सिर्फ नीरू की ही नहीं है। ऐसी कहानी मथुरा के हर दूसरे गाँव में देखने को मिल जाएगी। जहां लड़कियां एक परम्परा की वजह से कम उम्र में शादी करने को मजबूर हैं। महिला समाख्या से जुड़ी आदित्य बताती हैं, "मथुरा में सिर्फ दो ही नहीं, लोग तीन-तीन लड़कियों की शादी भी एक साथ कर देते हैं। बड़ी लड़की तो कैसे भी ससुराल में समझौता कर रह लेती है। परेशानी छोटी लड़की को उठानी पड़ती है। ज्यादातर छोटी लड़कियां या तो ससुराल से वापस आ जाती हैं या ससुराल में उन्हें कई तरह परेशानियों का सामना करना पड़ता है।"

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मथुरा टाउनशिप के रहने वाले रमेश कुमार (50 वर्ष) कहते हैं, "यहां की रीत कुछ ऐसी है कि दो-तीन लड़के और लड़कियों की शादी कर देते हैं। यहां कोई रोक-टोक तो है नहीं। नाबालिक लड़कियों की शादी भी कर देते हैं। अब तो कुछ कमी आई है अब रोक लग गई है लेकिन पहले ज्यादा होती है। अगर किसी गाँव में दस शादियां होती हैं तो उसमें से 2-4 शादी दो बहनों की होती है। इसकी मुख्य वजह है कि शादी खर्च बचता होता है।"

एक परम्परा, जिससे लड़कियां परेशान

मथुरा में काम करने वाली एनजीओ महिला बाल कल्याण एवं शिक्षा समिति से जुड़ी सुमन यादव (55 वर्ष) बताती हैं, "शादी में कम खर्च हो इसके लिए लोग दो लड़कियों की शादी एक साथ करते है। मेरी जानकरी में तो बड़ी लड़की को शादी के समय ही विदा कर देते है और छोटी लड़की को रोक लेते है। छोटी लड़की को बालिक होने पर भेजते है।"

मथुरा के रहने वाले धर्मेन्द्र गौतम बताते हैं कि दो-दो लड़के-लड़कियों की एक साथ शादी पहले तो और भी ज्यादा होती थी, अब ऐसी शादी में कमी आई है। बढ़ते शिक्षा स्तर के कारण हिन्दू समाज में तो ऐसी शादियों में कमी आई है, लेकिन मुस्लिम समाज में गरीबी और अशिक्षा के कारण यह परम्परा अभी भी है। ऐसी परम्परा को शिक्षा के प्रसार और आर्थिक रूप से मजबूत करके ही दूर किया जा सकता है।

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महिला समाख्या की प्रभारी जिला कार्यक्रम समन्वयक गीतांजली मिश्रा बताती हैं, इस तरह की समस्या यहां बहुत ज्यादा है। दहेज कम देने और शादी में कम खर्च हो इसके लिए लोग दो-दो लड़कियों की शादी एक साथ कर देते है। हम इस तरह की गलत परम्परा को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे है। बदलाव तो आएगा लेकिन वक्त लगेगा।

बाल विवाह में भारत आगे

2014 में आई यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरे विश्व में 15.6 करोड़ पुरुषों की तुलना में करीब 72 करोड़ महिलाओं की शादी 18 साल से कम उम्र में हुई। इनमें से एक तिहाई संख्या (लगभग 24 करोड़) भारतीय महिलाओं की है।

बाल विवाह को लेकर इण्डिया स्पेंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में लगभग 17 लाख भारतीय बच्चों में से 6 प्रतिशत बच्चे जो 10 से 19 की उम्र के बीच में हैं, शादीशुदा हैं और कई तो अपने से कहीं बड़े व्यक्तियों के साथ शादी के बंधन में बंधे हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में शादीशुदा बच्चों की संख्या सबसे अधिक 2.8 मिलियन है।

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