लखनऊ की यातायात व्यवस्था पर हाईकोर्ट की फटकार, प्रदेश सरकार से 27 जुलाई तक मांगा जवाब

Update: 2017-07-06 21:47 GMT
लखनऊ में ट्रैफिक जाम का एक दृश्य।

लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश की गोमती नगर स्थित उच्च न्यायालय की नई इमारत के आसपास के खराब यातायात व्यवस्था पर गंभीर चिन्ता का इजहार किया है।

अदालत ने बुधवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह उच्च न्यायालय के निकट शहीद पथ और पालीटेक्निक चौराहे पर पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी तैनात करे और सिग्नल प्रणाली लगाए ताकि यातायात दुरुस्त हो सके और वाहनों की भीड़ समाप्त की जा सके।

न्यायमूर्ति एपी साही और न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की पीठ ने राज्य सरकार को शहर में यातायात नियंत्रण के लिए जिम्मेदार संबंधित विभागों के सचिवों की समिति बनाने का निर्देश दिया ताकि शहर के हर कोने में यातायात की समस्या को दूर करने की योजना बनायी जा सके। अदालत ने कहा कि समिति एक सप्ताह में गठित हो और उसकी योजना पर छह सप्ताह में कार्यान्वयन हो।

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अदालत शहर में यातायात की समस्या को दूर करने के लिए पूर्व में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राज्य सरकार, नगर निगम, लखनउ विकास प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम और लोक निर्माण विभाग के उपायों से संतुष्ट नहीं थी। अवध बार एसोसिएशन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रशासन को निर्देश दिया कि वह गोमती बैराज, कुकरैल पुल और पालीटेक्निक फलाईओवर के निर्माण एवं मरम्मत का कार्य पूरा करे। मामले की सुनवाई की अगली तारीख 27 जुलाई को अदालत ने प्रशासन से स्थिति रिपोर्ट तलब की है।

जाम में तो पूरा प्रदेश है

यूपी में ध्वस्त होती ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए पिछली सरकार में आईटीएमएस (इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) और स्मार्ट सिटी सर्विलांस प्रोजेक्ट को लागू कर प्रदेश में 12 शहरों को स्मार्ट सिटी की दौड़ में शामिल होने की योजना सरकारी फाइलों में धूल फांक रही है। इस ओर मौजूदा सरकार का भी ध्यान नहीं जा रहा, हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ को मुख्य सचिव की अगुवाई में एडीजी और एडीजी ट्रैफिक ने इस संबंध में प्रजेंटेशन दिया था, जिसे मौजूदा सरकार ने गंभीरता से लेते हुए जल्द लागू करने की बात कही थी।

आईटीएमएस और स्मार्ट सिटी सर्विलांस प्रोजेक्ट योजना के तहत प्रदेश में ट्रैफिक सिस्टम हाईटेक तकनीक से लेस होना था, जिससे प्रदेश भर के चौराहे ट्रैफिक जाम से मुक्त हो सके। इंट्रीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के तहत शहर के कई चौराहों को हाईटेक किया जाना था।

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इस योजना को लागू करने के लिए पीडब्लूडी और सेतु निगम को भी एक प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा गया था। इसके तहत चौराहों पर सेंसर ट्रैफिक सिग्नल के साथ चौराहों पर उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे, वीडियो वैन और ड्रोन कैमरे का भी यूज किया जाना था, जिसकी अब तक शुरुआत तक नहीं हो पाई है। बावजूद इसके यह योजना पांच वर्षों से अधिकारियों के टेबल पर घूम रही है, जिसे लागू कर पाने में यूपी सरकार अबतक नाकाम साबित होती दिख रही है।

पालीटेक्निक फलाईओवर के पास लगा जाम।

इस कन्सलटेंसी कंपनी को दिया गया था प्रोजेक्ट

बीते वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्य सचिव ने वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन के लिए पीडब्ल्यूसी कन्सेलटेंसी कंपनी को प्रोजेक्ट दिया था। 12 जनपदों में तीन चरणों में आईटीएमएस और स्मार्ट सिटी सर्विलांस प्रोजेक्ट को लागू किया जाएगा, जो अक्टूबर 2016 से मूर्त रूप लेने लगेगा की बात कही थी।

प्रोजेक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ट्रैफिक पुलिस की व्यवस्था जल्द से जल्द कराई जाए, आवश्यकता पड़ने पर नई भर्ती भी करायी जाए। यह तीन चरणों में होगा जिसमें इंटीग्रोटिड फेस, इंटेलीजेंस फेस व ऑप्टीमाइज फेस होगा, कार्य के लिए धन का प्रबंध नगर निकाय की अवस्थापना निधी, विकास प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और पुलिस विभाग द्वारा किया जाना था।

(एजेंसी से इनपुट सहित)

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