लखनऊ : VVIP क्षेत्र में पुलिस की सुरक्षा चौकस,बाकी शहर की सुरक्षा राम भरोसे 

Update: 2017-07-31 19:10 GMT
लखनऊ पुलिस का एक सिपाही 

लखनऊ। राजधानी पुलिस ने अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए अधिकारियों की रात्रि गस्त की रणनीति बनाई है, जिसे केवल उन क्षेत्रों में किया जा रहा है, जहां वीवीआईपी लोग रहते है बाकी स्थानों को नजर अंदाज कर उसे भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। रात्रि 12 बजे के बाद अधिकारी केवल गोमतीनगर और इंदिरानगर के पॉश इलाकों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।

रात्रि गस्त में अधिकारी गोमतीनगर और इंदिरानगर क्षेत्र में दे रहे विशेष ध्यान

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प्रदेश में बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने के लिए जिलों के पुलिस कप्तानों ने रात्रि गस्त का नियम बनाया था, जिसमें सीओ स्तर के अधिकारी फिल्ड में सिपाहियों के साथ उतर कर अपराधियों की धर-पकड़ में लगेंगे। कुछ इस मॉडल पर राजधानी के कप्तान दीपक कुमार ने शहर के सभी सर्किल के सीओ को मातहतों के साथ फिल्ड पर उतर कर रात्रि गस्त कर संदिग्ध लोगों की चेकिंग का आदेश दिया था। लेकिन उनके इस आदेश में वीवीआईपी क्षेत्रों की सुरक्षा पर जोर अधिक दिख रहा है। ज्यादातर सीओ स्तर के अधिकारी गोमतीनगर और इंदिरानगर जैसे पॉश कालोनियों की सड़कों पर रात्रि 12 के बाद खाक छानते नजर आ रहे हैं। उनके इस रणनीति से साफ जाहिर होता है कि, उनकी प्राथमिकता में वीवीआईपी क्षेत्र पहले हैं, बाकी क्षेत्र भगवान भरोसे है। वहीं इस मुद्दे पर एसएसपी दीपक कुमार का कहना है कि, शहर के सभी 12 सर्किलों के सीओ को अपने क्षेत्र में मातहतों के साथ रात्रि गस्त का आदेश दिया गया है, इसमें कोई ऐसा आदेश नहीं है कि अधिकारी केवलव वीवीआईपी क्षेत्रों में ही अधिक गस्त करें, क्योंकि हमारे उपर सबकी सुरक्षा की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि, कोई आम हो या खास पुलिस हर इलाके में गस्त कर रही है, अगर ऐसे की कोई क्षेत्रीय लोगों की शिकायत है तोइ से गंभीरता से लेते हुए सुधार किया जायेगा।

जनाब ऐसे तो नहीं रुकेगा अपराध

कानून के मुद्दे पर सत्ता में काबिज हुई भाजपा की योगी सरकार के लिए अपराध नियंत्रण ही चुनौती बना हुआ है। कारण भी है कि सुरक्षा का जिम्मा जिन पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों पर रहता है उन्हें वीवीआईपी ड्यूटी पर लगा दिया जाता है। पहले से ही फोर्स का आकाल पड़ा है उस पर माननियों की सुरक्षा के लिए पूरी फोर्स को एक पैर पर खड़ा कर दिया जाता है। ऐसे में हुजूर अपराध कैसे रुकेगा। कौन वाहनों की चेकिंग करेगा और कौन गस्त। इसी का फायदा उठाते हुए बदमाश ताबड़तोड़ वारदात अंजाम दे रहे हैं।

वीवीआईपी ड्युटी में पुलिस व्यवस्त

शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का लखनऊ आगमन हुआ तो पूरा पुलिस प्रशासन उनकी सुरक्षा के लिए एक पैर पर खड़ा हो गया। नतीजा यह रहा कि थानों पर फोर्स की कमी आ गई। ट्रैफिक पुलिस वाले भी यदाकदा ही दिखे। नतीजा यह रहा कि रविवार को बेखौफ बदमाशों ने शहर में जहां दो लूट की वारदात अंजाम दे डाली। वहीं एक मंदिर से लाखों के गहने बटोर ले गए। फिलहाल पुलिस मामला दर्ज कर जांच में जुटी है।

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पहली घटना- कानपुर रोड निवासी देवेंद्र कुमार दीक्षित रविवार को परिवार के संग पारा अपने एक रिश्तेदार के घर रुद्राभिषेक के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ई- रिक्शा से जा रहे थे। मानक नगर कनौसी पुल से नीचे उतरते ही करीब 100 मीटर की दूरी पर दो अज्ञात बाइक सवार बदमाशों ने देवेंद्र की पत्नी के हाथ से पर्स छीन लिया और फरार हो गए।

दूसरी घटना-आशियाना कॉलोनी सेक्टर-के खजाना मार्केट के पास स्थित श्री हरिहर शक्ति धाम मंदिर में ओमप्रकाश शुक्ला , नरसिंह शुक्ला , गोबिंद शुक्ला , सुनील शुक्ला बतौर पुजारी व कुवंर बहादुर मिश्रा मंदिर में बतौर सेवक नियुक्त है । शनिवार  सुबह पुजारी सुनील शुक्ला ने मंदिर का कपाट खोला तो देखा की मंदिर की मूर्ति पर सज्जा के लिए लगे आभूषण मूर्तियों से गायब है । जिसकी जानकारी पुजारी सुनील ने गोबिंद व कुँवर बहादुर को दी और खुद कहीं पूजा पाठ करवाने चले गए।

तीसरी घटना-राजाजीपुरम की मंजुला मलिहाबाद क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालय में अध्यापिका है। रविवार मंजुला आलमबाग स्थित अपनी भाभी के घर आयीं और  वहीं से वह अपनी बेटी, भाभी और भतीजे  के साथ आशियाना स्थित ड्रीम वर्ल्ड वाटर पार्क घूमने के लिए गई थी। दोपहर लगभग 2 बजे चारों लोग रिक्शे से अपने घर लौट रहे थे कि तभी पार्क से थोड़ी सी ही दूरी पर काली पल्सर सवार दो युवक पीछे से आये और मंजुला के कंधे पर लटका पर्स छीन कर भाग निकले। मंजुला ने पर्स बचाने का प्रयास किया तो वह रिक्शे से गिर कर चोटिल हो गयी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और स्कूटी से जा रहे एक व्यक्ति से लिफ्ट मांग कर उन्होंने पल्सर सवार बदमाशों का पीछा करने का भी प्रयास किया लेकिन कामयाब नहीं हुई। इन सबके बीच पूरा पुलिस अमला वीवीआईपी सुरक्षा में व्यवस्त था, जबकि जो पुलिसकर्मी थाने पर बचे थे चह भी एसओ का थाने पर न होने की बात करने लगे।

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