मनरेगा ने यूपी के बच्चों को दिए 7 हजार से ज्यादा बेहतर आंगनबाड़ी केंद्र

Update: 2018-05-01 18:53 GMT
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की ग्राम पंचायत कुलहा बगहा में बना आंगनबाड़ी केंद्र।

लखनऊ। गाँव में रहने वाले लाखों छोटे बच्चों को शुरुआती अच्छी शिक्षा के साथ-साथ बच्चे और उनकी माताओं के पोषण के लिए स्थानीय केंद्र आंगनबाड़ी को और रोचक बनाया जा रहा है। इनमें किड्स जोन, शौचालय और पेयजल की व्यवस्था के साथ ही बच्चों के मनोरंजन का ध्यान रखा गया है। अब तक प्रदेश में मनरेगा के तहत ऐसे 7 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण किया जा चुका है।

देश में आंगड़बानी केंद्रों का निर्माण तो कई वर्षों से किया जा रहा है, लेकिन पहले उनमें सिर्फ एक कमरा होता था,न शौचालय होता था और न ही पानी का प्रबंध। मगर मौजूदा दौर में बनाए जा रहे ये केंद्र काफी अलग हैं। रायबरेली की लोधवारी ग्राम पंचायत के पूरे जमनिया गाँव में बना आंगनबाड़ी केंद्र काफी बड़ा है। यहां पानी और हरियाली का पूरा इंतजाम किया गया है। इसी तरह बांदा के हट्टीपुरवा में बना नया भवन ग्रामीणों को लुभा रहा है।

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017-18 में मनरेगा के तहत ऐसे 7377 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण हो चुका है, बाकी करीब 4 हजार पर काम जारी है।

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यूपी में ग्राम विकास आयुक्त (मनरेगा) योगेश कुमार बताते हैं, “पिछले वर्ष मनरेगा के तहत करीब 155 तरह के काम हुए उनमें से ये आंगनबाड़ी केंद्र बहुत खास है। इन्हें बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए रोचक बनाया गया है। भवन तो पहले की अपेक्षा बड़ा है ही, दीवारों पर चित्रकारी की गई है ताकि बच्चे वहां आना पसंद करें।”

मनरेगा के तहत लोगों को रोजगार की गारंटी देने के साथ ही ऐसे निर्माण पर भी जोर दे रहा है जो टिकाऊ हों। इसी के तहत 11,075 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण का लक्ष्य था, जिसमें से 7377 पूरे हो चुके हैं, बाकी पर जल्द काम पूरा कर लिया जाएगा।
योगेश कुमार, ग्राम विकास आयुक्त (मनरेगा), यूपी

वो आगे बताते हैं, “मनरेगा के तहत लोगों को रोजगार की गारंटी देने के साथ ही ऐसे निर्माण पर भी जोर दे रहा है जो टिकाऊ हों। इसी के तहत 11,075 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण का लक्ष्य था, जिसमें से 7377 पूरे हो चुके हैं, बाकी पर जल्द काम पूरा कर लिया जाएगा।”

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के आंगनबाड़ी केंद्रों में उन बच्चों को पढ़ाया जाता है, जो प्राइमरी स्कूल में नहीं जाते हैं, (शहर की भाषा में इन्हें प्ले हाउस और नर्सरी कहा जा सकता है।) कुपोषण से बचाने के लिए बच्चे, गर्भवती महिलाओं को पोषाहार भी दिया जाता है।

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यूपी में ग्राम विकास विभाग, बाल विकास एवं पुष्टाहार और पंचायती राज ने मिलकर नए केंद्र बना रहे हैं, इसमें करीब 8 लाख से लेकर सवा 8 लाख तक की लागत आती है,जिसमे से 5 लाख तक मनरेगा, 2 लाख रुपए बाल विकास और पुष्टाहार, जबकि करीब एक लाख रुपए से पानी और शौचालय का प्रबंध पंचायती राज विभाग द्वारा किया जाता है। इसके साथ ही करीब 8 लाख प्रधानमंत्री आवास घरों में मनरेगा के तहत काम हुआ है।

उत्तर प्रदेश में मनरेगा के तहत 2018-19 के लिए 5833 करोड़ रुपए के बजट का आवंटन किया गया है। मनरेगा में वर्ष 2016-17 में 15 लाख मानव दिवस सृजित करन का लक्ष्य रखा गया था, जबकि ये आंकड़ा लक्ष्य से बढ़कर 15.75 लाख पहुंचा था, इसी तरह वर्ष 2017-18 में लक्ष्य 18 लाख मानव दिवस का था, लेकिन 18.21 लाख लोगों को रोजगार दिया।

पिछले वर्ष मनरेगा की मजदूरी में मिलने में हुई देरी और मजदूरों की किल्लत के चलते विभाग और प्रधानों दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ा था। उत्तर प्रदेश में मनरेगा के तहत 175 रुपए की मजदूरी तय है, जबकि हरियाणा में 281 रुपए है। यूपी में औसत मजदूरी 250 रुपए है।

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क्या होते हैं आंगनबाड़ी केंद्र

बच्चे के प्ले हाउस यानी प्रारंभिक शिक्षा और उनके सेहत के लिहाज से पोषण और टीकाकरण के केंद्र होते हैं। केंद्र सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक आंगनबाड़ी केंद्र खोला है। जिसमें एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री और एक सहायिका होती है। यहां गर्भवती,धात्री महिलाओं और किशोरियों को हर महीने की 5,15 और 25 तारीख को पोषाहार दिया जाता है। हाल में विलेज हेल्थ न्यूटिशन-डे के लिए यही आंगनबाड़ी सेंटर बना हैं। आशा बहू, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिका मिलकर ग्रामीण बच्चों और महिलाओं को स्वस्थ रखने के लिए यहां बैठक करती हैं।

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