हेमा मालिनी के संसदीय क्षेत्र में बूंद-बूंद पानी को तरसते लोग, सैकड़ों लोग छोड़ चुके हैं खेती

Update: 2017-12-28 18:14 GMT
हर रोज पशुओं के लिए खरीदते हैं हजारों लीटर पानी

फरह (मथुरा)। मथुरा में बरसों से पानी से जूझ रहे ग्रामीण अब पशुओं को भी खरीदकर पानी पिलाने के लिए मज़बूर हैं। हर दिन उन्हें अपने पशुओं के लिए सैंकड़ों रुपए का हज़ारों लीटर पानी खरीदना पड़ता है।

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“पशुओं को स्वस्थ रखना है तो साफ पानी तो देना होगा। पानी खरीदना हमारी मज़बूरी है। पानी की समस्या से गाँव के कई लोगों ने खेती करना भी बंद कर दिया और पशुओं को भी नहीं रखते हैं।”ऐसा बताते हैं, श्याम सिंह (40वर्ष)। एक दिन में एक पशु को 35 से 40 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।

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राजस्थान से लगे मथुरा जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी. दूर फरह ब्लॉक के मखदूम गाँव में श्याम रहते हैं। इस गाँव की आबादी लगभग 2500 है। फरह ब्लॉक के सलेमपुर गाँव के राकेश कुमार (30 वर्ष) बताते हैं, “हमारे गाँव में रोज सुबह सात बजे पानी के दो टैंकर आते हैं। सभी गाँव वाले 25 लीटर पानी पांच रुपए में खरीदते हैं। जिनके पास पशु हैं उनको और ज्यादा पानी खरीदना पड़ता है। हर चुनाव में लोग आते हैं, पानी मिलेगा कह कर चले जाते हैं। लेकिन हमारे गाँव की यह समस्या बरसों से चली आ रही है।”

मथुरा में बरसों से पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण 

जिले के फरह ब्लॉक में ही नहीं बल्कि लगभग सभी ब्लॉक के गाँवों रोजाना इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। खारे पानी से पशुओं पर पड़ने वाले असर के बारे में मथुरा स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के पशु पोषण विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रवींद्र कुमार बताते हैं, “पशु अगर खारा पानी पी रहा है तो उसकी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। पशु खाने को पूरी तरह पचा नहीं पाता है और इसका सीधा असर पशुओं के उत्पादन पर पड़ता है। खारे पानी में जो मिनिरल होते हैं वे पशुओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।”

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खारे पानी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार द्वारा भी प्रयास किया जा रहा है। “जिले में खारा पानी बहुत बड़ा मुद्दा है। सभी गाँवों मे यह समस्या है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने टीटीएसपी स्कीम योजना भी शुरू की, जिसके तहत कई गाँवों में पाइप लाइन डालकर लोगों तक मीठा पानी पहुंचाया जा रहा है। हमारा यही प्रयास है कि जिन गाँवों में मीठे पानी का जलस्रोत है। वहां से और लोगों को भी पानी मिल सके।” ऐसा बताते हैं, मथुरा जिले के मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार गंगवार।

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जिले में आरो वॉटर के बारे में पवन कुमार बताते हैं, “सांसद हेमा मालिनी ने खारे पानी की समस्या को दूर करने के लिए आरओ लगवाए हैं। आरओ के लिए काम भी हो रहा है लेकिन आम आदमी तक इसको उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती है। इसलिए पाइप लाइन के द्वारा ही गाँवों में मीठा पानी दिया जा रहा है। हमारा प्रयास भी यही है कि जिले के हर गाँव में इस समस्या को दूर किया जाए।

मथुरा जिले से यमुना नदी होकर गुजरती है लेकिन फिर भी यहां के लोगों को पानी की समस्या से हर रोज जूझना पड़ता है। मथुरा और वृंदावन में पानी की सप्लाई मथुरा वृंदावन पेयजल योजना के तहत की जा रही है।

फरह ब्लॉक के मखदूम गाँव के ग्राम प्रधान होरी लाल बताते हैं, सुबह के समय सभी गाँवों का एक ही नज़ारा रहता है। 10-12 प्राईवेट ट्यूवबेल हैं लेकिन पानी गाँव तक नहीं आता है। हम रोजाना 10 किमी से पानी मंगवाते हैं और लोगों को सप्लाई करते हैं। पानी मंगवानें में जो डीजल का खर्चा आता है उसको निकाल लेते हैं।”

प्राईवेट ट्यूवबेल है लेकिन पानी फिर भी बरसों से तरस रहे है ग्रामीण।  

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जहां पानी की समस्या को लेकर ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा था वहीं अब पशुओं को भी इससे जूझना पड़ता है। फरह ब्लॉक के सलेमपुर गाँव में रहने वाले लखन सिंह (70 वर्ष) बताते हैं, “इस समस्या को लेकर न जाने कितने बरस निकल गए पर सरकार ने कोई हल नहीं निकाला। पहले बोरिंग कराने पर मीठा पानी आ जाता था अब तो 500 फीट में भी पानी नहीं मिलता है।”

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