मेरठ : पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर हस्तिनापुर का नाम तक नहीं 

Update: 2017-06-30 18:29 GMT
नहीं दिखाई देते पौराणिक धरोहरों के अंश 

सुंदर चंदेल, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। शासन और प्रशासन की उपेक्षा के चलते महाभारत कालीन नगरी अपनी पूरी तरह पहचान खो चुकी है। यहां आने वाले पर्यटक केवल जैन मंदिरों के दर्शन कर लौट जाते हैं। यहां तक की पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर हस्तिनापुर का नाम तक नहीं है।

हस्तिनापुर का नाम सुनते ही महाभारत के पात्रों के नाम जेहन में आ जाते हैं। सरकारें हस्तिनापुर को पर्यटन के रूप में चमकाने की बात करती हैं। किसी भी सरकार ने आज तक धरातल पर कार्य नहीं किया।

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नगर निवासी हातम सिंह (73 वर्ष) बताते हैं, "साल 2012 में जब अखिलेश यादव सीएम बने तो उन्होंने हस्तिनापुर को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल कर विश्वपटल पर चमकाने की बात कही थी। इससे वहां के लोगों को एक आस जगी कि शायद अब हस्तिनापुर के अच्छे दिन आए जाएंगे। लेकिन हस्तिनापुर विश्व तो क्या पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर भी अपना नाम दर्ज नहीं करा सका।"

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वन विभाग के दस्तावेजों में जिंदा है हस्तिनापुर

यदि हस्तिनापुर को महाभारत होने का एहसास दिलाता है, तो वह है वन विभाग के दस्तावेज। विभाग के डिप्टी रेंजर विनोद कुमार ने बताया, “ वन्य जीव विहार के आरक्षित जंगलों को अलग-अलग विभाजित कर महाभारत कालीन पात्रों के नाम से अभिलेखों में दर्ज किया गया है। इन्हे विदुर वन ब्लाक, दुर्योधन, भीश्म, कर्ण, कौरव, पांडव, द्रोपदी, अर्जुन, युधिश्ठर, अभिमन्यू, नकुल, सहदेव के नाम से जाना जाता है।”

ये हैं पौराणिक धरोहरें

उल्टा खेड़ा, पांडव टीला, द्रोपदी घाट, द्रोपेश्वर मंदिर, कर्ण मंदिर, पितामह भीष्म, गंगा मिलन स्थान, विदुर आश्रम, प्राचीन पांडेश्वर मंदिर, बाराखंबा, नवलदेकूप आदि ऐतिहासिक धरोहरें हैं।

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