दशकों से खामोश हैं अवध की धान मिलें, कोई मजदूरी तो कोई रिक्शा चलाने को मजबूर

Update: 2017-05-05 15:02 GMT
राइस मिलों के बंद हो जाने से धान का व्यापार ठंडा पड़ गया है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। जहां एक समय पर जिले में स्थापित की गई धान मिलों में प्रदेश भर के जिलों से आए धान का कारोबार होता था, वहीँ पिछले एक दशक से अवध क्षेत्र में 10 से अधिक राइस मिलों के बंद हो जाने से धान का व्यापार ठंडा पड़ गया है।

ऑल इंडिया राइस मिल एसोसिएशन के मुताबिक, वर्ष 2000 तक प्रदेश में 100 से अधिक चावल मिलें थीं। लेकिन सरकार की नीतियों के कारण यह संख्या तेज़ी से घटती जा रही है। वर्ष 1961 से लेकर वर्ष 2012 तक लगातार देश में बिहार, छत्तीसगढ़ और असम जैसे राज्यों से धान की पूर्ति मुख्यरूप से उत्तर प्रदेश की राइस मिलों की मदद से की जाती थी, लेकिन चावल की खपत के लिये ये राज्य भी अब पश्चिम बंगाल का रुख कर रहे हैं।

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धान उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। लेकिन पिछले 10 वर्षों में लखनऊ की 10 बड़ी राइस मिलें बंद हो चुकी हैं, जिससे चावल का व्यापार अब सिर्फ बड़े किसानों तक ही सीमित रहा गया है।
भारत भूषण गुप्ता, अध्यक्ष, यूपी दाल एवं राइस मिल एसोसिएशन

केंद्र सरकार ने वर्ष 2012 में प्रदेश के सभी जनपदों की मिलों से लेवी की खरीद बंद कर दी थी, इसका खामियाजा धान मिलों को हुआ। जिलों की राइस मिलों के बंद हो जाने से क्षेत्रीय किसानों को अपनी उपज समर्थन मूल्य से कम पर बेचनी पड़ रही है। भारत भूषण गुप्ता, अध्यक्ष यूपी दाल एवं राइस मिल एसोसिएशन आगे बताते हैं, ‘’भारत सरकार ने सभी जिलों में धान मिलों से तैयार किए गए चावल को लेबी के रूप में न खरीदने का फैसला लिया। इसके चलते जिले में 10 से ज़्यादा राइस मिलें बंद हो गई। चावल मिलों के बंद हो जाने से बाराबंकी सहित लखनऊ के सरोजनीनगर, मोहनलालगंज, काकोरी और माल क्षेत्रों के सैकड़ों गाँवों के किसानों को हर साल धान, घाटे पर बेचना पड़ रहा है।’’

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आता है खराब क्वालिटी का धान

राइस मिलों के बंद हो जाने से मंडियों में धान व्यापार के मंद रहने की बात कहते हुए नवीन गल्ला मंडी, लखनऊ के गल्ला व्यापारी सतीश चंद्र (58 वर्ष) बताते हैं, ‘’शहरों की राइस मिलों के बंद हो जाने से शहर तक अनाज ना आकर बक्शी का तालाब और लखनऊ क्षेत्र की बाहरी मंडियों में उतर जाता है। इससे मंडियों में आए धान में लाल दाना, हरा दाना मिला रहता है। इससे मंडी में खराब क्वालिटी का धान ही आता है।’’

हजारों लोग बेरोजगार हुए

लखनऊ में पिछले आठ वर्षों से बंद पड़ी अन्नपूर्णा राइस मिल, महाराजा अग्रसेन नगर और डालीगंज की विवेक राइस एंड दाल इंडस्ट्रीज़ को मिलाकर करीब हज़ारों की संख्या में काम कर रहे दिहाड़ी मजदूर बेराजगार हो चुके हैं। विवेक इंडस्ट्रीज़ में काम कर चुके राकेश लोधी (45 वर्ष) आजकल भवन निर्माण कार्यों में मजदूरी करते हैं। विवेक ने बताया कि मिलों के बंद हो जाने के कारण लखनऊ में हज़ारों लोग एक साथ बेरोजगार हो गए हैं। कोई रिक्शा चला रहा है, तो कोई मजदूरी करने लगा है।

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