जहरीली शराब और थिनर का कॉकटेल बन रही मौत की वजह 

Update: 2017-07-11 23:45 GMT
आजमगढ़ के केवटहिया गांव में जहरीली शराब से युवकों के मौत, रोते-विलखते परिजन ।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब का चलन काफी समय से चल रहा है। कई बार तो नशा पूरा न होने पर ग्रामीण इसके ऊपर से थिनर का भी प्रयोग करते हैं, जिससे कम रुपए में अधिक नशा हो सके। लेकिन अधिक नशे के चक्कर में ग्रामीण मौत को भी दावत देते जा रहे हैं। पिछले कुछ महीने में तो हालात इतने खराब हो चुके हैं कि प्रशासन भी जहरीली शराब से मरने वाले लोगों के आंकड़े को रोकने में नाकाम साबित हुआ है।

मौजूदा समय में कच्ची शराब के ऊपर थिनर का नशा लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। इसकी गवाही राजधानी से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में साफ देखने को मिलती है। वहां जहरीली शराब पीने से अधिक थिनर पीकर मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। बात करें बीते 2016 वर्ष में गोसाईगंज क्षेत्र कि तो यहां थिनर पीने से 6 लोगों की मौत हो गई थी। इसे लेकर तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने लापरवाही बरतने के आरोप में थाना प्रभारी अरविंद कुमार को निलंबित भी कर दिया था। जबकि बीते दिनों थिनर के नशे से मोहनलालगंज क्षेत्र में दो ग्रामीणों की मौत हो गई। जानकारों की मानें तो थिनर को खुले में बेचने का अधिकार किसी दूकानदार के पास नहीं है। फिर भी मौत का यह सामान बड़ी आसानी से किसी भी छोटे-मोटे दुकानों पर उपलब्ध हो जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने रोकथाम के लिए दिए थे सख्त निर्देश

सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद यह सभी तरह की दुकानों पर खुलेआम बिक रहा है। स्थानीय लोगों की माने तो थिनर के गिरफ्त में ग्रामीण अंचल के कम पढ़े लिखे लोग आ रहे हैं। आपको बता दें कि कोर्ट की फटकार के बाद मैन्यूफैक्चरिंग कंपनीज ने थिनर का मिक्सर तैयार कर हाई सिक्योरिटी पैकिंग में बिक्री का दावा किया था। लेकिन राजधानी सहित पूरे प्रदेश भर में थिनर की बिक्री खुलेआम हो रही है। देखा जाए तो यही कई बार पेपर पर गलत राइटिंग या नेल पॉलिश को मिटाने के नाम पर बिकने वाले थिनर की बढ़ती बिक्री के पीछे की असली वजह भी है। स्टेशनरी की दुकानों पर चंद रुपए अधिक लेकर ग्रामीणों को यह खुलेआम थिनर बेचा जा रहा है।

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राजधानी से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में खुली स्टेशनरी शॉप वाले प्रिंट रेट पर 10 से 20 रुपए अधिक लेकर बिना कोई सवाल जवाब किए ग्रामीणों को नशे का यह हथियार बेच रहे हैं। दुकानों पर चंद रुपयों के लालच में इसकी बेरोकटोक बिक्री मानवता को शर्मशार करने वाली है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद थिनर की ओपनेबल पैकिंग करना तो बंद कर निब वाली पैकिंग टयूब बाजार में उतार दी। लेकिन छोटे- मोटे बदलाव के साथ अभी भी कुछ नामचीन कंपनीज खुला थिनर बेच रही हैं।

थिनर बिक्री की रोकथाम जिला प्रशासन की जिम्मेदारी

इस संबंध में एसडीएम मोहनलालगंज संतोष सिंह का कहना है कि थिनर छोटी-मोटी चीजों में इस्तेमाल किया जाता है। इसके चलते दुकानदार भी किसी को आसानी से दे देते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का जो भी दुकानदार उलंघन करता है उस पर वक्त-वक्त पर कार्रवाई की जाती है। उधर एसएसपी दीपक कुमार का कहना है कि थिनर बिक्री पर रोकथाम के लिए पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। हालांकि पुलिस शिकायत मिलने पर आरोपी दुकानदार पर कार्रवाई कर उसे जेल भेजने का काम करती है।

आसानी से बन जाती है जहरीली शराब

सूत्रों की माने तो चावल, गुड़ की भेली व कुछ अन्य उत्पादों को एक पीपे में सड़ाकर आसानी से जहरीली शराब बनाया जाता है। इसे जल्दी से तैयार करने के लिए खेतों में पड़ने वाली यूरिया खाद का भी इस्तेमाल होता है। कई बार इसके साथ ही नशा बढ़ाने के लिए आक्सीटोसिन इंजेक्शन और कुछ लोग नशे की गोली का इस्तेमाल भी करते हैं। स्टेशनरी दुकानों से थिनर भी लेकर अनेकों सेवन करते हैं।

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