अब बाराबंकी में 'आदमखोर कुत्तों' का आतंक, नौ बकरियों को उतारा मौत के घाट

अब तक यहां इन कुत्तों ने एक दर्जन बकरियों को नोच कर मौत के घाट उतार दिया है, जबकि एक बालक को भी नोंच कर घायल कर दिया है।

Update: 2018-05-21 14:21 GMT
बाराबंकी। सीतापुर के बाद आवारा कुत्तों का आतंक अब बाराबंकी में भी शुरू हो गया है। पिछले तीन दिनों से मोहम्मदपुर खाला क्षेत्र के दर्जनों गांव आदमखोर कुत्तों के आतंक के दहशत में हैं। अब तक यहां इन कुत्तों ने एक दर्जन बकरियों को नोच कर मौत के घाट उतार दिया है, जबकि एक बालक को भी नोंच कर घायल कर दिया है।
ग्रामीणों ने स्थानीय पुलिस और अधिकारियों को इस बात से अवगत भी कराया है, मगर तीन दिन बाद भी कोई अधिकारी गांव तक नहीं पहुंचा है। मोहम्मदपुर खाला क्षेत्र के गांव अबेरा मे रविवार सुबह करीब नौ बजे जंगल की तरफ से चार कुत्ते आए और नौशाद की 6, सलीम, शकील और अतीक की एक-एक बकरियों को नोंच कर मार डाला।
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इतना ही नहीं, उस दौरान पास के खेत में सुल्तान के 11 वर्षीय बेटे मो. हुसैन पर हमला कर दिया । बच्चे के शोर से कई लोगों ने दौड़ कर बच्चे की जान बचाई। भीड़ देख कर सभी कुत्ते पास के जंगल में भाग गए।
ग्राम प्रधान दौलत राम (50 वर्षीय) बताते हैं, "हमारे गांव में पता नहीं कहां से कुत्ते आ गए हैं, जो जानवरों और बच्चों पर हमला करते हैं, कल कुत्तों ने हमला कर 9 बकरियों को और एक बच्चे पर हमला किया था, जिसमें बकरियां तो मर गई, वह बच्चा किसी तरह भाग कर जान बचा पाया है।" वह आगे बताते हैं, "अब तो दहशत का आलम यह है कि बच्चे घरों से नहीं निकल रहे हैं, हम लोग रात में जागकर पहरा देते हैं, खेतों में भी काम करना मुश्किल हो रहा है।"


घटना के बाद आसपास के गांवों में दहशत का माहौल बन गया। हर जगह सीतापुर के बाद बाराबंकी में घटना चर्चा बन गयी। यह घटना सोशल मीडिया के सहारे भी तेजी से फैल गयी। आदमखोर कुत्तों के हमले से भाग कर जान बचाने वाले 11 वर्षीय घायल सुल्तान बताते हैं, "जो गांव के कुत्ते होते हैं, उनसे यह कुत्ते बड़े थे, यह कुत्ते लंबे, ऊंचे और बड़े मुंह वाले लग रहे थे।" 
वहीं, थानाध्यक्ष मोहम्मदपुर खाला राजेश कुमार बताते हैं, "गांव में आवारा कुत्तों द्वारा हमला किए जाने की जानकारी नहीं है, शिकायत मिलने पर पुलिस को भेजकर ग्रामीणों की हर संभव मदद की जाएगी।" डीएफओ जावेद अख्तर कहते हैं, "कुत्तों को पकड़ने का काम नगर पालिका और नगर पंचायत का है, वन विभाग इसमें कुछ नहीं कर सकता।" 
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