मुजफ्फरनगर में ग्रामीणों ने 150 छुट्टा गाेवंश को बनाया बंधक, कहा- बर्बाद हो रही थी फसल

Update: 2019-05-29 10:15 GMT

मुजफ्फरनगर। छुट्टा जानवरों से अपनी फसलों को बचाने के लिए मुजफ्फरनगर जिले के बिरालसी गाँव में ग्रामीणों ने 150 से अधिक गायों को बंधक बना लिया है। यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी आगरा, मैनपुरी समेत कई जिलों में ग्रामीणों ने छुट्टा जानवरों से परेशान होकर स्कूल, अस्पताल में गोवंश को बंद कर दिया था।

मुजफ्फरनगर जिले से 25 किमी. दूर चरखावल ब्लॉक बिरालसी गाँव में रहने वाले विकास शर्मा ने फोन पर गाँव कनेक्शन को बताया, "दो दिन पहले छुट्टा गायों के झुंड से कार टकरा गई थी जिसमें गाँव के दो लोगों की वहीं मौत हो गई। अधिकारियों को भी इस समस्या के बारे में बताया लेकिन कुछ नहीं हुआ। फिर हम लोगों ने 30-40 लड़कों ने टीम बनाकर छुट्टा जानवरों को पशु अस्पताल में बंद कर दिया। यह जानवर पूरी की पूरी फसल बर्बाद कर देते हैं खेत में कुछ नहीं बचता।


अपनी बात को जारी रखते हुए वह कहते हैं, "जब जानकारी हुई तब बीडीओ (खंड विकास अधिकारी) और तहलसीलदार आए और आश्वासन देकर चले गए। अस्पताल में दो तीन दिन के चारे पानी का इंतेजाम कर दिया है अगर अधिकारी इनका कोई समाधान नहीं करते हैं तो डीएम साहब के यहां ले जाऐंगे।" विकास शर्मा भारतीय किसान यूनियन सदर तहसील अध्यक्ष है। छुट्टा जानवरों की समस्या को लेकर कई बार प्रदर्शन भी कर चुके हैं।

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किसानों के लिए छुट्टा जानवर सबसे बड़ी समस्या बने हुए है। पशुपालन विभाग द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक 31 जनवरी वर्ष 2019 तक पूरे प्रदेश में निराश्रित पशुओं (छुट्टा पशुओं) की संख्या सात लाख 33 हज़ार 606 है।


मुजफ्फरनगर जिले के चरखावल ब्लॉक के बीडीओ डॉ साजिद अहमद ने इस मामले की पूरी जानकारी देते हुए बताया, "दो दिन मैं वहां गया वहां किसी ने जानवरों को बंधक नहीं बनाया है लोगों ने अपने घर से गायों को खोलकर अस्पताल में बांध दिया। जब निरीक्षण किया तो जो पशु वहां थे उनकी निशानदेही कराकर पशु मालिकों को दिए और नहीं ले जाने पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए भी कहा।"

डॉ अहमद ने फोन पर आगे कहा, "अभी उस अस्पताल में 30-35 पशु बचे है जिनके चारे पानी का इंतेजाम है। कुछ पशुओं को पास के चूंहापुर ब्लॉक की गोशाला में भेजा गया है। जानकारी मिली थी कि आस पास के गाँव के लोग दन्हें छोड़ गए जिससे वह आक्रामक हुए और दो लोगों की मौत हो गई।"

समाचार एजेंसी भाषा को पुलिस ने बताया, "भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने आवारा पशुओं से अपनी फसलों को बचाने की मांग की जिन्होंने उनके मुताबिक कथित तौर पर उनकी फसलों को 'नुकसान' पहुंचाया।"

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छुट्टा जानवरों के मुद्दे को गाँव कनेक्शन ने बड़ी ही प्रमुखता से उठाया है। गाँव कनेक्शन की टीम ने किसानों के साथ एक पूरी रात बिताई और जाना कि कड़ाके की ठंड में किसान कैसे अपनी फसलों को बचाने के लिए दिन रात एक कर देता है।

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यूपी में राज्य सरकार द्वारा अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध और पशु कारोबारियों पर लगातार हमलों के बाद पिछले 3-4 वर्षों इस समस्या ने विकराल रुप ले लिया है, जिसके बाद प्रदेश के कई जिलों के किसानों ने हंगामा किया। हंगामा बढ़ने पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में ब्लॉक और न्याय पंचायत स्तर पर गोवंश आश्रय खोलने का निर्णय लिया। 10 जनवरी को प्रदेश के सभी जिलों में आश्रय खोलने के निर्देश दिए गए।

योगी सरकार ने अपने तीसरे बजट में गोवंश के संवर्धन, संरक्षण, ग्रामीण क्षेत्रों में अस्थाई गोशालाएं, शहरी इलाकों में कान्हा गोशाला और बेसहारा पशुओं के रखरखाव के लिए अलग-अलग मदों में 612.60 करोड़ रुपए का इंतजाम किया था। इनमें से 248 करोड़ रुपए ग्रामीण इलाकों के लिए थे। लेकिन ज़मीनी स्तर पर समस्या ज्यों की त्यो बनी हुई है। किसानों अभी भी दिन रात अपनी फसलों को बचाने के लिए लगा हुआ है।


पशुपालन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक सात लाख 33 हज़ार 606 में से तीन लाख 21 हजार 546 पशुओं को संरक्षित (अस्थाई गोवंश स्थल में रखा गया।) किया गया। यह आंकडा 30 अप्रैल तक का है।

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छुट्टा जानवरों के लिए प्रदेश के 68 जिलों को एक-एक करोड़ रुपया जबकि बुंदेलखंड के 7 जिलों को डेढ़ करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। गायों के लिए प्रदेश सरकार ने मंडी, शराब और टोल आदि पर सेस लगाया था। अभी हाल ही में लोकसभा चुनाव 2019 के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमें गो संरक्षण और गोवंश आश्रय केंद्रों के संचालन के लिए नियमावली भी तैयार की। इसके लिए कार्पस फंड बनाया जाएगा। इसमें दान और चंदा, केंद्र व सरकारी विभाग के सहयोग से, मंडी परिषद की आय से दो प्रतिशत, यूपीडा के टोल से 0.5 प्रतिशत और राजस्व परिषद की आय से 1 प्रतिशत की व्यवस्था की गई है।  

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