उत्तर प्रदेश में किसानों के कर्ज माफी में चला गया फायर सर्विस का बजट 

Update: 2017-11-27 17:36 GMT
बिना चेचिस के धूल खा रही वाहनों की चेचिस

लखनऊ। यूपी का फायर सर्विस विभाग हर वर्ष आग लगने की घटनाओं में इजाफा होने पर संसाधनों का रोना रोता है, लेकिन इस वर्ष फायर सर्विस की यह कमी भी राज्य सरकार ने दूर कर दी, इसके बावजूद फायर सर्विस के डायरेक्टर पीके राव ने बेतुका बहाना बनाया। उन्होंने फायर विभाग के लिए आवंटित रकम को कर्ज माफी को किसानों के बैंक खातों में रकम भेजने की बात कह दी। इसके चलते करोड़ों रुपये खर्च करके खरीदी गई चेचिस फायर स्टेशनों में दो साल से धूल खा रही हैं।

डायरेक्टर फायर सर्विस पीके राव का कहना है, "बाडी बनवाने के लिए करीब पांच करोड़ रुपये की जरुरत है, जिसके लिए शासन को दोबारा से पत्र लिखा गया है और रकम मिलते ही फायर की वाहनों को जल्द ही कार्य करने के लायक कर लिया जायेगा।"

खड़े-खड़े जंग खा रही छह करोड़ की वाहनों की चेचिस

प्रदेश में आग बुझाने के लिए फायर विभाग ने दमकल की गाड़ियों की कमी को दूर करने के लिए वित्तीय वर्ष 2015-16 में 35 चेचिस की खरीदारी की गई थी। प्रति चेचिस करीब 12 से 16 लाख रुपये की लागत लगी थी। करीब छह करोड़ रुपये खर्च करके खरीदी गई चेचिस की बाडी बनवाकर उन्हें जिलों के फायर सर्विस विभाग को आवंटित किया जाना था। इसके लिए शासन से जो बजट आया अफसरों ने उसे लाइव सेव जैकेट, नाइट वीजन कैमरा, फायर सेफ्टी सूट खरीदने में खर्च कर दिया। रही सही कसर नेशनल फायर सर्विस गेम पर रकम खर्च करके पूरी कर दी गई। दूसरे मद की रकम को किसी और काम में खर्च करने में व्यस्त अफसरों को खयाल ही नहीं आया कि दो साल से करोड़ो रुपये की चेचिस पड़े-पड़े जंग खा रही है।

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वाहनों की चेचिस खरीद कर भूल गए बाडी बनवाना

राजधानी के चौक और पीजीआई फायर स्टेशन में खड़ी चेचिस की चेकिंग की गई तो दर्जन भर से ज्यादा गाड़ियों के इंजन खराब मिले। तकनिकी खराबी के चलते यह स्टार्ट नहीं हुए। इसकी जानकारी निदेशालय के अफसरों को दी गई, फिर भी उन्हें ध्यान आया कि बाडी बनवाकर गाड़ियों को जिलों के फायर स्टेशनो को आवंटित किया जाना है। दो साल से लापरवाही बरतने वाले अफसरों ने आनन-फानन में लेटर भेजकर शासन से बजट की मांग की है।

किसानों के खातों में चली गई वाहनों की रकम

डायरेक्टर पीके राव का कहना है कि करीब पाच करोड़ रुपये मिलने के बाद ही बाडी बन पाएंगी, जबकि पहले हुआ आवंटित रकम किसानों के बैंक खातों में चली गई। डायरेक्टर फायर सर्विस पीके राव का कहना है कि, पूरे प्रदेश में केवल 1600 दमकल की गाड़ियां हैं। इनमें करीब 500 गाड़िया बड़ी है जो आबादी के अनुपात में काफी कम हैं। लखनऊ में आठ फायर स्टेशनों पर छोटे-बड़े मिलाकर केवल 27 फायर टेंडर है, जिसकी वजह से आग बुझाने में काफी दिक्कत आती है। बावजूद इसके खरीदी गई नई चेचिस दो साल के बाडी न बन पाने की वजह से धूल खा रही हैं।

वाहनों को बनवाने के लिए फिर से की गई है बजट की मांग

वहीं संयुक्त निदेशक फायर सर्विस अरविंद कुमार का कहना है कि गाड़ियों की बाडी बनवाने के लिए इस साल जो बजट मिला था वह कर्ज माफी के दौरान वापस हो गया था। फिर से बजट की मांग की गई है। मिलते ही गाड़ियों की बाडी बनाने का टेंडर जारी किया जाएगा। उधर चीफ फायर ऑफिसर अभय भान पाण्डेय का कहना है कि, कई स्थानों पर खड़े चेचिस वाहनों के उपलब्ध होने पर सीजन में आग की घटनाओं पर रोकथाम लगाने में आसानी हो जायेगी, जबकि इस कार्य में अभी शायद वक्त लगेगा।

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