महिलाएं मजदूरी, किशोरियां पढ़ाई छोड़ भर रहीं पानी

Update: 2017-04-11 12:23 GMT
ललितपुर जिले के सैकड़ों गाँवों में पानी की किल्लत अभी से शुरू हो गयी है।

नीतू सिंह, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। कई वर्षों से सूखे से जूझ रहे बुंदेलखंड में न सिर्फ किसान आत्महत्या और पलायन करने को मजबूर हैं, बल्कि पीने का पानी कई किलोमीटर दूर जाकर भरने की वजह से यहां की महिलाओं की दिन की मजदूरी और किशोरियों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।

ललितपुर जिले के मड़ावरा और विरधा ब्लॉक के सैकड़ों गाँवों में पानी की किल्लत अभी से शुरू हो गयी है। जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर विरधा, ब्लॉक के डुगरिया गाँव में लगे नल पानी छोड़ चुके हैं। गाँव की महिलाओं को डेढ़-दो किलोमीटर दूर पानी भरने के लिए जाना पड़ रहा है।

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इस गाँव में 250 आदिवासी परिवार रहते हैं, इस गाँव की रहने वाली राजकुमारी सहरिया (35 वर्ष) बताती हैं, “आमदनी का कोई जरिया नहीं है दिनभर मजदूरी करते हैं या फिर जंगल से लकड़ी बीनकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। गर्मी के तीन-चार महीने अप्रैल-जुलाई तक मजदूरी करने नहीं जा पाते।”

हैंडपंप पर लगाती हैं लाइन।

वो आगे बताती हैं, “दो बर्तन पानी भरने में कम से कम दो घंटे लग जाते हैं, जब ज्यादा गर्मी पड़ती है तब चार घंटे लग जाते हैं। पूरा दिन पानी भरने में निकल जाता है, चार महीने घर का खर्च चलाने में बहुत मुश्किल होती है। इस वजह से मेरी बेटी पढ़ने भी नहीं जा पाती है।”

राजकुमारी सहरिया की ही तरह यहां की सैकड़ों महिलाएं मजदूरी और किशोरियां पढ़ाई से वंचित रह रही हैं। ललितपुर जिले के इन इलाकों में काम करने वाली गैर सरकारी संस्था साईं ज्योति संस्थान के मुताबिक जिले के 71,610 सहरिया आदिवासियों में सिर्फ 150 लोग हाईस्कूल तक पहुंचे हैं। जबकि इनके बीच के 60 बच्चे स्नातक तक पहुंचे हैं, जिसमें 40 लड़के और 20 लड़कियां हैं।

लड़कियों की शिक्षा और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम कर रही एक गैर सरकारी संस्था साईं ज्योति संस्थान के प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर महेश रिझरिया बताते हैं, “आदिवासी परिवार में 70 फीसदी महिलाएं-किशोरियों की मजदूरी और पढ़ाई दूर से पानी भरने की वजह से बाधित हो रही हैं, गर्मी के महीने इनके बहुत ही मुश्किल से कटते हैं।”

सरकार कितना भी बजट क्यों न पास कर दे पर सहरिया आदिवासियों की मुश्किलें पानी को लेकर खत्म होते नजर नहीं आ रही हैं। जब तक यहां का जलस्तर ठीक नहीं किया जाएगा।
महेश रिझरिया, प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर,साईं ज्योति संस्थान

उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के सात जनपद बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी व ललितपुर में 2011 की जनगणना के मुताबिक, कुल जनसंख्या 96,59,718 है। इसमें महिलाओं की संख्या 45,63,831 है। बुंदेलखंड में गर्मी के मौसम में फसल तो प्रभावित होती ही है। साथ ही सबसे ज्यादा तकलीफें पानी भरने की वजह से महिलाओं और किशोरियों को होती हैं। इससे इनकी रोजी-रोटी और शिक्षा दोनों प्रभावित हो रही हैं।

कई किमी दूर जाना पड़ता है पानी भरने।

बालावेहट गाँव में रहने वाली अनीता देवी (16 वर्ष) बहुत दुखी मन से बताती हैं, “अम्मा स्कूल नहीं जाने देती हैं। वो कहती हैं अगर तुम स्कूल जाओगी तो पानी कौन भरेगा। दो डिब्बे लेकर डेढ़-दो किलोमीटर जाना पड़ता है, मई-जून में दो-तीन घंटे लाइन में खड़े रहते हैं तब कहीं नम्बर आता है।”

वो आगे कहती हैं, “मन करता है कहीं दूसरी जगह चली जाऊं, जहां पानी भरने की वजह से हमारी पढ़ाई न रुके, पर इतने पैसे कहां हैं हमारे पास। सरकार कुछ दे या न दे पर पानी पीने को जरूर दे।”

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