हमें एनटीपीसी से पूछने हैं ये 15 सवाल

Update: 2017-11-03 00:35 GMT
ऊंचाहार स्थित एनटीपीसी में ब्वॉयलर फटने के बाद मृतकों को मलबे से निकालते बचाव दल के कर्मी। फोटो: विनय गुप्ता

ऊंचाहार स्थित एनटीपीसी के प्लांट में बुधवार को हुए भयानक हादसे के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। एक झटके में दर्जनों मजदूरों की मौत हो गई और सैकड़ों अस्पताल में जिंदगी-मौत से जूझ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है

सवाल-1: प्लांट शटडाउन न कराके और बिना ट्रिप कराए प्लांट की सफाई क्यूं कराई जा रही थी? 200 मेगावाट पर चलाकर सफाई क्यूं कराई जा रही थी? इससे सफाई कर रहे सैकड़ों मजदूर चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई।

सवाल-2: ऐश पाइप तीन दिन से चोक था, तो प्लांट क्यूं चलाया गया? विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसी स्थिति तब हुई जब प्लांट चलते हुए राख साफ की जा रही थी, तो उसका गरम गोला पानी में गिरा और अचानक से भाप ज्यादा बन गई और पाइपलाइन में भाप का दबाव बढ़ने से कई जगह धमाका हुआ।

सवाल-3: प्लांट के सेफ्टी अलार्म क्यूं काम नहीं कर रहे थे, जो काम कर रहे थे उन्हें अनदेखा क्यूं किया गया? अगर सेफ्टी अलार्म पर ध्यान दिया जाता तो हादसे से बचा जा सकता था।

सवाल-4: प्लांट का शिड्यूल मेंटिनेंस क्यूं नहीं किया गया? प्लांट चलते हुए उसे बीच-बीच में देखा क्यूं नहीं गया? अगर प्लांट का शिड्यूल मेंटिनेंस किया जाता तो गड़बड़ी को पकड़ा जा सकता था।

सवाल-5 : रिकॉर्ड बनाने के लिए ब्वॉयलर का दबाव क्यूं बढ़ाया गया? जबकि यह यूनिट नई थी? एनटीपीसी के सूत्रों के अनुसार इस यूनिट के ब्वॉयलर का दबाव ज्यादा था।

सवाल-6: क्यों ब्वॉयलर का प्रेशर बढ़ने के बावजूद भी नहीं बजा अलर्ट अलार्म? इससे साफ है कि न तो ढंग से सिक्योरिटी ऑडिट हुआ और न ही सिक्योरिटी परेड की गई? ब्वॉयलर में जहां पर भाप बन रही होती है, वहीं सेफ्टी वाल्व लगा होता है, दबाव ज्यादा होने पर सेफ्टी वाल्व बताता है।

सवाल-7: बीस अक्टूबर, 2017 को अलार्म बजा था और एक यूनिट बंद हो गई थी, फिर जरूरी उपाय क्यूं नहीं किए गए? जब ब्वॉयलर का तापमान और दबाव फिक्स कर दिया जाता है, और उससे ज्यादा होता है तो अलार्म बजने लगता है।

सवाल-8: ऊंचाहार के एनटीपीसी प्लांट में किसी हादसे के दौरान मजदूरों को निकलने के लिए आकस्मिक इंतजाम नहीं था। कई मजदूरों की मौत ऊंचाई से प्लांट से कूदने से हो गई? प्लांट की ऊंचाई करीब 90 मीटर थी।

सवाल-9: मौके पर बिहार व दूसरे राज्यों से आए मजदूरों ने बताया कि उन्हें पूरी मजदूरी नहीं दी जाती। पूरे दिन के 100 से 150 रूपये दिए जाते हैं।

सवाल-10: एनटीपीसी प्लांट से कई राज्यों को बिजली दी जाती थी, लेकिन आसपास के गाँव के लोग अंधेरे में रहते हैं। जो मजदूर दिन-रात काम करते हैं, उन्हें सिर्फ छह से आठ घंटे बिजली ही क्यूं?

सवाल-11: कई मजदूरों का अता-पता नहीं। खुल कर नहीं दी जा रही जानकारी। ज्यादातर मजदूर दूसरे राज्यों से आए थे, उनकी स्थिति अभी साफ नहीं है।

सवाल-12 : कर्मचारी परमानेंट नहीं, बाहर के अनट्रेंड मजदूरों से क्यों कराया जा रहा था काम? इन हालातों में काम कराने के लिए पहले ट्रेनिंग दी जाए, उसके बाद उन्हें प्लांट में काम पर क्यूं नहीं लगाया जाता? साथ ही आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग भी क्यूं नहीं दी गई?

सवाल-13: घायल मरीजों के परिजनों के अस्पताल में रुकने की राज्य सरकार ने कोई उचित व्यवस्था नहीं की है, जिसके चलते चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल रहा?

सवाल-14: प्राइवेट कंपनियों के ऐसे संयंत्रों में काम करने वाले कर्मियों को आग से बचने के लिए जरूरी वस्त्र पहनने के लिए दिए जाते हैं, पर एनटीपीसी जैसे सरकारी संस्थान में ऐसा क्यूं नहीं?

सवाल-15: एनटीपीसी जैसी बड़ी संस्था के लिए पॉवर प्लांट परिसर में एयर एंबुलेंस की सुविधा पहले से क्यों नहीं होती?

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