'प्राथमिक विद्यालयों पर जनता का लगातार बढ़ रहा विश्वास'

उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में विद्यालय प्रबंधन समिति लंबे अरसे से काम कर रही है। ऐसे में समिति की मदद से कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में आए बदलाव की जानकारी के लिए श्रावस्ती के बेसिक शिक्षा अधिकारी ओमकार राना से गांव कनेक्शन संवाददाता ने खास बात की।

Update: 2018-08-27 11:24 GMT

श्रावस्ती। उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में विद्यालय प्रबंधन समिति लंबे अरसे से काम कर रही है। ऐसे में समिति की मदद से कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में आए बदलाव की जानकारी के लिए श्रावस्ती के बेसिक शिक्षा अधिकारी ओमकार राना से गांव कनेक्शन संवाददाता ने खास बात की।

प्रश्न: आपके जनपद में विद्यालय प्रबंधन समितियां कितनी सक्रिय हैं?

जवाब: यहां जिला प्रबंधन समितियां बेहतर काम कर रही हैं। सभी समितियां काफी सक्रिय हैं। समिति के लोग स्कूल जाकर मिड डे मिल चेक करते हैं। अभिभावकों को शिक्षा के लिए प्रेरित करते हैं। जो बच्चे स्कूल नहीं आते थे उनके परिजनों को स्कूल भेजने के लिए जागरूक करते हैं। मासिक बैठक कर स्कूल में शिक्षा के स्तर को कैसे बढ़ाया जाए इस चर्चा करते हैं। हर बच्चे पर नजर रखते हैं। अगर कोई बच्चा दो दिन बिना बताए स्कूल नहीं आ रहा है तो उसके घर जाकर पूछते हैं।

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बीएसए श्रावस्ती ओमकार राणा।

प्रश्न: प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए क्या कर रहे हैं ?

जवाब: यहां 30 अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय हैं। यहां पर 400 प्रतिशत नामांकन बढ़ा है। सिरसिया ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय में पिछले साल नामांकन 129 था, इस वर्ष 495 बच्चे हैं। जनता का विश्वास बेसिक शिक्षा के प्रति बदल रहा है। लोग हमारे परिषदीय विद्यालयों में बच्चों का दाखिला करवा रहे हैं। हम लोग जनता में विश्वास पैदा कर रहे हैं कि हमारे परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई का स्तर अच्छा हो रहा है। यहां के अध्यापक अच्छे हैं। जनता हम पर विश्वास कर रही है।

प्रश्न: प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों में क्या बदलाव आया है ?

जवाब: जनपद के प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हम लोग चाहते हैं कि शिक्षा के स्तर में सुधार आए। हम लोगों ने कुछ शिक्षकों का चयन किया है। हमने दो ग्रुप बना रखे हैं। एक प्रेरित अध्यापकों का और दूसरा जो अध्यापक उत्साही नहीं हैं। उत्साही अध्यापकों द्वारा किए जाने वाली गतिविधियों जैसे ऑडियो, विडियो और टेक्स्ट को रिकॉर्ड कर लेते हैं। उसे उन अध्यापकों के पास भेजते हैं जो उत्साही नहीं हैं। इसका भी असर दिख रहा है। हम समय-समय पर उन अध्यापकों को जगारूक करते हैं जो इन सब गतिविधियों में रुचि नहीं लेते हैं।

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बच्चों को स्कूल ले जाते स्कूल प्रबंध समिति के सदस्य मैकू अली।

प्रश्न:बच्चों के विद्यालय न आने की सबसे बड़ी वजह क्या मानते हैं आप?

जवाब: श्रावस्ती बहुत ही पिछड़ा जनपद है। यहां पर स्कूल छोड़ने की समस्या बहुत बड़े स्तर पर है। यहां के लोग अपने पूरे परिवार के साथ रोजी-रोटी के जुगाड़ में दूसरे प्रदेशों में पलायन कर जाते हैं। इससे ड्रॉप आउट बढ़ जाता है। इसके साथ ही बहुत से माता-पिता बच्चों का नाम स्कूल में लिखवा तो देते हैं, लेकिन भेजते नहीं हैं। उनसे मजदूरी करवाते हैं।


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प्रश्न: शैक्षिक बदलाव में गैर सरकारी संस्थाओं की क्या भूमिका है?

जवाब: शैक्षिक बदलाव में एनजीओ की भूमिका सराहनीय है। कई एनजीओ के सहयोग से हम लोग स्कूलों में अच्छा काम कर रहे हैं। हमने ऐसे उत्साही उध्यापकों को रखा है जो अपना विद्यालय तो बदले हीं साथ ही उन्हें देखकर आसपास के अध्यापकों में भी सकारात्मक बदलाव आए।

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