रेलवे ने 36 साल पुराने वीआईपी कल्चर पर चलाई कैंची, अफसरों के घर नहीं, अब ट्रैक संभालेंगे 30 हजार ट्रैकमैन

Update: 2017-10-09 10:26 GMT
30 हजार ट्रैकमैन अफसरों की कर रहे ड्यूटी

नई दिल्ली। लगातार हादसों से जूझ रहे रेल मंत्रालय ने ट्रैकों की मेंटेनेंस पर ध्यान देने के लिए अफसरों के वीआईपी कल्चर पर कैंची चला दी है। अफसरों को घर व दफ्तर में मेहनत की नसीहत देते हुए घरेलू कामकाज में लगाए सभी रेलवे कर्मियों को तुरंत रिलीव करने को कहा है। करीब 30 हजार ट्रैकमैन अफसरों के घरों में काम कर रहे हैं। इनको तुरंत फील्ड में ड्यूटी ज्वाइन करने का आदेश दिया है। छह-सात हजार ट्रैकमैन ड्यूटी ज्वाइन कर भी चुके हैं।

इसके अलावा 36 साल से जारी प्रोटोकॉल के तहत रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और मेंबर्स को भी दौरे के वक्त वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘बहुत विशेष हालात के अलावा किसी को इस नियम से छूट नहीं मिलेगी।’

बुके तक नहीं ले सकेंगे अफसर

रेलवे बोर्ड चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने आदेश दिया है कि कोई भी अधिकारी बुके या गिफ्ट नहीं लेगा। ऑफिस में इस आदेश का सख्ती से पालन करना होगा।

ये था अब तक प्रोटोकॉल

बता दें कि 1981 में जारी सर्कुलर के मुताबिक, अगर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और बाकी मेंबर्स किसी जोन के दौरा करते थे, तब जनरल मैनेजर को प्रोटोकॉल फॉलो करते हुए उन्हें रिसीव करने और छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन-एयरपोर्ट्स जाना पड़ता था।

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30 हजार ट्रैकमैन अफसरों की कर रहे ड्यूटी

30 हजार ट्रैकमैन रेलवे अफसरों की ड्यूटी में लगे। एक सीनियर अफसर ने बताया कि फिलहाल 30 हजार ट्रैकमैन सीनियर अफसरों के घरों में काम पर लगे हुए हैं। इनमें से करीब 7 हजार वर्कर वापस अपने काम पर लौट आए हैं। हमें उम्मीद है कि जल्द ही पूरा स्टाफ काम पर लौटेगा। स्पेशल कंडीशन्स को छोड़कर कोई भी रेलवे वर्कर्स से निजी काम नहीं करा सकता है।

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रेलवे के सीनियर अफसर स्लीपर कोच में सफर करें

हालांकि, रेल मंत्री पियूष गोयल कह चुके हैं कि रेलवे के अफसरों को आरामदायक सैलून्स (डिब्बों) और एक्जीक्यूटिव क्लास में सफर करना छोड़ देना चाहिए। इसके लिए स्लीपर और एसी थर्ड कोच में सफर करें ताकि पैसेंजर्स से घुल-मिल सकें। इनमें रेलवे बोर्ड के सभी मेंबर, जोन के जनरल मैनेजर और सभी 50 डिविजनों के मैनेजर शामिल हैं।

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