गैर परंपरागत क्षेत्रों में भी दस्तक दे रही काजू की खेती 

Update: 2018-09-18 04:59 GMT
काजू का फल 

लखनऊ। भारतीय काजू की मांग पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रही है। भारतीय काजू अपने गुणवत्ता के लिए जाना जाता है, ऐसे में देश में काजू का क्षेत्रफल और उत्पादन बढ़े इसको लेकर काजू विकास निदेशालय काजू की खेती की खेती को दक्षिण भारतीय राज्यों से गैर काजू उत्पादक क्षेत्रों में बढ़े इसको लेकर काम कर रहा है।

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काजू की खेती को देश में बढ़ाने को लेकर जानकारी देते हुए इसके निदेशक वेंकटेश एन हुब्बल्ली ने बताया '' भारत में काजू का मुख्य उत्पादन तटीय प्रदेशों खासकर केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में हो रहा है लेकिन अब इसकी खेती पूर्वोत्तर राज्यों के साथ ही छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी शुरू हुई है। किसानों को इसकी खेती के प्रति जागरूक किया जा रहा है। '' उन्होंने बताया कि काजू मूल्यवान वाणिज्यिक फसल है। यह भारत के निर्यात क्षेत्र में महत्वतपूर्ण स्थान रखती है और राष्ट्रीय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाती है। ऐसे में इसकी इससे जुड‍़कर किसान लाभ कमा रहे हैं। देश में अभी 78 हजार हेक्टेयर के काजू की खेती हो रही है जिसमें सबसे अधिक 26 हजार 959 हेक्टेयर में तमिलनाडु में खेती हो रही है। हाल के दिनों में झारखंड के संताल परगना में भी काजू की खेती शुरूआत हुई है और काजू की खेती को बढ़ावा देने के लिए झारखंड सरकार का कृषि एवं बागवानी विभाग काम भी कर रहा है।

शुरू-शुरू में यह बंजर भूमि या वन क्षेत्रों में ही रोपा जाता था। उच्च क्षमतायुक्त किस्मों और फसल प्रवर्धन प्रौद्योगिकी के अभाव में बीजों ही इसको बोया जाता था लेकिन इसक बाद इसकी खेती को वैज्ञानिक तरीके से करने के लिए कई अनुसंधान किया गया। जिसमें काजू की नर्सरी तैयारी की गई। ऐस में अब नर्सरी विधि से इसका रोपण किया जाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद रांची के वरिष्ठ बागवानी वैज्ञानिक और फलों की खेती के विशेषज्ञ डॉ. बिकास दास ने बताया '' काजू को ऐसी सभी जगहों पर रोपा जा सकता है। काजू एक उष्ण कटिबंधी फसल है। सामान्य रूप से काजू की खेती 700 मीटर से कम ऊंचाई वाली जगहों में ही होती है जहां पर तापमान 20 सेंटीग्रेड से कम नहीं होता। फिर भी, कभी-कभी ये 1200 मीटर तक की ऊचाई पर भी हो सकता है।''

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उन्होंने बताया कि काजू की सही देखभाल के लिए धूप ज़रूरी है। यह फसल छाया बर्दाश्त नहीं करती। यह कम अवधि के लिए 36 डिग्री तक का तापमान सह कर सकती है। पर इसके लिए सबसे अनुकूल तापमान 24 से 28 डिग्री है।

काजू एक ढीठ फसल है जो सिवाय भारी चिकनी मिट्टी, दलदली मृदा और लवण मिट्टी के अलावास सभी प्रकार की मिट्टी में हो सकती है। काजू की नर्सरी से कलमें खरीदकर करके जून से लेकर जुलाई और सितंबर से अक्टूबर के बीच इसका रोपण कर सकते हैं। काजू विकास निदेशालय ने देश की कई नर्सरियों को काजू की नर्सरी क पौधे बेचने की मान्यता दी है वहीं से इसका खरीदना चाहिए।

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काजू एक निर्याती फसल है। भारत में सालाना 5500 करोड़ का निर्यात किया जाता है। भारत से 60 देशों में इसका निर्यात किया जाता है।

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