चाय की कीमतों में गिरावट, निर्यात भी ठप, कारोबारी बोले- आने वाला समय चाय उद्योग के लिए ठीक नहीं

Update: 2020-03-18 05:00 GMT

दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस की वजह से भारतीय चाय की कीमतों में भारी गिरवाट आयी है और निर्यात लगभग ठप हो चुका है। कम कीमत और बढ़ती लागत से जूझ रहे देश के चाय बागान मालिकों के सामने एक और मुश्किल आ खड़ी हुई है।

ईरान, चीन और जर्मनी भारतीय चाय के बड़े खरीदार देश हैं। इनमें से चीन और ईरान ने अपने देश में चाय आयात को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। दूसरे कई छोटे देशों ने भी आयात को रोक दिया है। इसका असर यह पड़ा है कि जिस चाय की कीमत पिछले साल इस समय 200 रुपए प्रति किलो थी वह अभी 100-110 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है।

अब तक 145 देशों में फैल चुके कोरोना वायरस से दुनियाभर में मौतों का आंकड़ा सात हजार पार कर गया है जबकि संक्रमितों की संख्या 175,530 से ज्यादा हो गई है। भारत में अब तक इस रोग की चपेट में 125 से ज्यादा लोग आ चुके हैं जबकि 3 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसका असर देश के कारोबार और निर्यात पर भी पड़ रहा है

इंडियन टी बोर्ड के उप निदेशक डॉ ऋषिकेश राय गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, " कोरोना वायरस की वजह से निर्यात पर असर तो पड़ ही रहा है, आने वाले समय में उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है। चीन में हमारे ब्लैक टी की मांग काफी तेजी से बढ़ रही थी, जिससे हमें काफी उम्मीद थी लेकिन इससे हमें झटका लगा है। सबसे बड़े खरीदार देशों में से एक ईरान भी फिलहाल चाय नहीं जा रहा है जिसके कारण कीमतें गिर रही हैं। आने वाले समय में नुकसान और बढ़ सकता हैं।"

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कोरोना के प्रकोप के कारण दुनियाभर के बाजारों में मंदी देखी जा रही है। एक दूसरे देशों से हो रहे व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

लगभग 30 लाख लोगों को रोजगार देने वाला और वर्ष 2019 में 3,740 करोड़ रुपए का विदेश व्यापार करने वाला देश का चाय उद्योग पहले से ही दिक्कतों से जूझ रहा है और अब कोरोना की मार।

भारतीय लघु चाय उत्पादक संघ, पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष और बागान मालिक बिजोय गोपाल चक्रबोर्ती कहते हैं, " इस समय बागानों को सालभर के ऑर्डर मिलते हैं, खासकर दार्जिलिंग के चाय बागानों में इस समय बायर आने लगते हैं लेकिन इस साल मामला ठंडा है। निर्यात ठप पड़ा है। हमें उम्मीद है कि 15 अप्रैल के बाद से स्थिति में सुधार होगा, लेकिन अगर नहीं होता तो हमारी हालत और खराब हो जायेगी। पिछले सप्ताह हुई नीलामी में चाय की कीमत 30 से 40 फीसदी तक कम हुई है।"


"भारत के पास अभी पिछले साल का पांच करोड़ किलो चाय का स्टॉक पड़ा हुआ। इसलिए हमारी चिंता और बढ़ गई है। पिछले साल की ही उपज पूरी खत्म नहीं हुई है, इस साल का कहां और कैसे खपेगा ये तो सरकार ही बतायेगी।" बिजोय गोपाल आगे बताते हैं।

चीन और ईरान ने कहा है कि उनके पास अभी दो महीने से ज्यादा का स्टॉक पड़ा हुआ है। वे अप्रैल के बाद ही कुछ तय कर पाएंगे।

एशियन टी एक्सपोर्टस के मैनेजिंग डायरेक्टर और प्रमुख निर्यातकों में से एक मोहित अग्रवाल कहते हैं, " चायपत्ती की कीमतें घटकर 120-130 रुपए प्रति किलो पर आ गई हैं, जो पिछले साल इसी समय 200 रुपए प्रति किलो थीं। चीन और ईरान को निर्यात बंद हो गया है। साथ ही पिछले साल का काफी स्टॉक बचा हुआ है। इसके चलते नीलामी में कीमतों में गिरावट आ रही है।"

"अगर ईरान और चीन ने खरीदारी शुरू नहीं की और हालात अभी जैसे ही बने रहे तो इस साल निर्यात को तगड़ी चोट पहुंचने वाली है।" वे आगे कहते हैं।

इंडियन टी बोर्ड के अनुसार चीन ने 2019 में भारत से 1.345 करोड़ किलो काली चायपत्ती आयात की थी। इसके साथ ही वह श्रीलंका को पीछे छोड़ते हुए भारतीय ब्लैक टी का सबसे बड़ा खरीदार बन गया था। चीन में ग्रीन टी की खेती होती है।

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" चीन में भारतीय ब्लैक टी की मांग पिछले पांच सालों में चार गुना तक बढ़ी है। वर्ष 2014 में चीन ने भारत से 36 लाख किलो ब्लैक टी आयात किया था। 25 जनवरी के बाद चाय की कोई खेप चीन नहीं गई है। अगली खेप कब जायेगी, यह भी किसी को नहीं पता।" मोहित बताते हैं।

इंडियन टी बोर्ड के अनुसार असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में देश का 95 प्रतिशत हिस्सा पैदा होता है। 701 मिलियन किलो ग्राम के उत्पादन के साथ असम देश का सबसे बड़ा चाय उत्पादक प्रदेश है। 344 मिलियन किलो ग्राम के साथ पश्चिम बंगाल दूसरे नंबर पर।

चाय उत्पादन में दुनिया में दूसरे नंबर पर आने वाले भारत में कई चाय बागानों के अस्तित्व पर पहले से ही खतरे में हैं। ऐसे में अगर दूसरे देशों से व्यापार ठप हुआ तो यह संकट और बढ़ेगा। चाय बोर्ड के अनुसार भारत में जितने में भी चाय बागान हैं उसमें से 18 प्रतिशत की स्थिति बहुत ही दयनीय है। देश के 16 राज्यों में चाय के बागान हैं।


विश्व की तीसरी सबसे बड़ी चाय उत्पादक कंपनी जय श्री टी इंडस्ट्रीज के मैनेजर (विदेश बिक्री) विशाल शाह कहते हैं, " देखिए, जर्मनी, जापान से जो निर्यात रुका है उसमें अभी कोरोना का असर कम है, यह ज्यादा उत्पादन की वजह से हुआ है, लेकिन कोरोना की वजह से दूसरे देशों के ग्राहक देश में नहीं आ रहे हैं। यही समय जब वे असम और दार्जिलंग के चाय बागानों में आते हैं और चाय टेस्ट करने के बाद ऑर्डर देते हैं। ऐसे में आने वाले समय में इसका असर बहुत दिखेगा। चाय बागानों के मालिकों के लिए मुश्किल घड़ी आ सकती है।"

"अगर आने वाले 15 दिनों में स्थिति नहीं सुधरी तक और दिक्कत हो सकती है। हम जैसे निर्यातकों को भी बड़ा झटका लग सकता है।" विशाल कहते हैं।

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वर्ष 2019 के पहले 11 महीनों में चाय के निर्यात में वर्ष 2018 की अपेक्षा कमी आई थी। चाय बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार जनवरी से नवंबर 2019 की अवधि में चाय का निर्यात 22 करोड़ 77.1 लाख किलो का हुआ जबकि वर्ष 2018 की समान अवधि के दौरान 23 करोड़ 13.6 लाख किलोग्राम का चाय निर्यात हुआ था। इस दौरान ईरान सबसे बड़ा खरीदार देश था। ईरान ने भारत से 4 करोड़ किलो से ज्यादा का चाय आयात किया था।

नार्थ ईस्ट टी एसोसिएशन असम के सलाहकार विद्यानंद बरकाकती बताते हैं, " हमारे यहां तो अभी चाय बागानों में ही है, लेकिन ऑर्डर शुरू होने वले थे। जाड़ा और पाला से हम पहले से ही परेशान थे और अब कोरोना का कहर। आने वाले 15 दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हालात नहीं बदले तो ये साल भी हमारे लिए नुकसान वाला ही साबित होगा।"


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