फसल नुकसान की आशंका से गुजरात में किसान ने की खुदकुशी
खराब मानसून के कारण अपनी फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका के चलते बोटाड जिले में 40 वर्षीय एक किसान ने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली। एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को बताया कि यह मामला रविवार की रात का है।
अहमदाबाद(भाषा)। खराब मानसून के कारण अपनी फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका के चलते बोटाड जिले में 40 वर्षीय एक किसान ने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली। एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को बताया कि यह मामला रविवार की रात का है। उन्होंने कहा कि मृतक कालू चौहान के रिश्तेदारों ने पुलिस को बताया कि वह अपनी बेटी की शादी के लिए परेशान थे। किसान ने रमेश चावडा के खेत में एक छोटे से कमरे में रस्सी से फंदा लगा कर कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।
चावडा ने किसान को कपास की खेती के लिए 40 बीघा जमीन पट्टे पर दी थी। गधडा थाना के सब इंस्पेक्टर विमल धोरडा ने बताया, चौहान के परिजन ने पुलिस को बताया कि वह खराब मानसून के कारण अपनी फसल के खराब होने को लेकर अशंकित थे।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीती 20 जून को किसानों से सीधी वार्ता के बाद सोशल मीडिया पर कई सवाल उठे। प्याज-लहसुन जैसी माटी मोल फसलों और किसानों की आत्महत्या पर प्रधानमंत्री की चुप्पी की लोगों ने आलोचना की। इसी दिन दिल्ली से करीब 700 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के मंदसौर में कर्ज़ में दबे काचरीया कदमाला गाँव के भवरलाल रूपालाल (55 वर्ष) ने खेत में फांसी लगाकर जान दे दी।
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यह किसान अपना एक बीघा खेत बेचने के बाद भी कर्ज़ नहीं चुका पाया था, जबकि सरकार के ही आखिरी मौजूद आंकड़ों (नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो या एनसीआरबी की रिपोर्ट) के मुताबिक देश में औसतन 34 किसान और खेतिहर मजदूर रोजाना आत्महत्या करते हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 में 8,007 किसान और 4,595 खेतिहर मजदूर, जबकि 2014 में 5,650 किसान और 6,710 मजदूरों ने जान दी।
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वर्ष 2016 और 17 के आंकड़े प्रकाशित नहीं किए गए हैं। पिछले वर्ष 2017 में 2 मई को सुप्रीम कोर्ट को सरकार ने बताया था कि वर्ष 2013 से औसतन हर साल 12,000 किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
देश में किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला थम नहीं रहा है। मई 2018 में सिर्फ पंजाब राज्य में कर्ज से परेशान पांच किसानों ने आत्महत्या कर अपनी जान दे दी थी। पंजाब सरकार ने अपने एक आधिकारिक बयान में माना था कि राज्य में सन 2000 से अब तक 16,000 किसान और खेतिहर मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं।
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हाल में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने किसानों की आत्महत्याओं से जुड़े आंकड़े संसद में प्रस्तुत किए। आंकड़ों के अनुसार, साल 2016 में देश में 11,370 किसानों ने आत्महत्या की। ये आंकड़े इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि मौजूदा कृषि संकट की सबसे बड़ी वजह है कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
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