नई दिल्ली। राजस्थान के नींदड में जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के खिलाफ जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे किसान एक हफ्ते से धरना स्थल ही जमा हैं। बता दें कि जेडीए को किसान जमीन नहीं देना चाहते हैं। इसीलिए वो 2 अक्टूबर से जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे हैं।
ख़बरों के मुताबिक, सरकार ने किसानों को ज़मीन खाली करने के लिए नोटिस दे दिया है लेकिन किसान वहां से नहीं हट रहे हैं। सरकार का कहना है कि करीब 1350 बीघा जमीन 2010 में ही कालोनी बनाने के लिए अधिगृहित की जा चुकी है वहीं किसानों का कहना है कि सरकार उनकी जमीन को ऊंचे दामों पर बेचकर कॉलोनी बसाना चाहती है।
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जो किसान ज़मीन का मुआवजा नहीं लेना चाहते, सरकार ने उनके लिए मुआवजा कोर्ट में जमा कर दिया है और बेदखली की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बारे में किसानों का कहना है कि हमारे पास बस इतनी ही ज़मीन है जिस पर हम रह सकें तो सरकार उसे कैसे हमसे ज़बरदस्ती ले सकती है। उनका कहना है कि ज़मीन देने से अच्छा है कि इसी ज़मीन में अपनी जान दे दें।
किसानों के इस आंदोलन को देखते हुए सरकार बैकफुट पर है। सरकार की ओर से किसानों से कहा जा रहा है कि वो बातचीत के लिए आगे आएं। इस पर किसानों का कहना है कि सरकार यदि किसानों का वाकई हित चाहती है तो उनकी जमीन न लेने का ऐलान करे। ऐसा नहीं होता तो हम इस ज़मीन में ही अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी जमीन नहीं जाने देंगे।
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बता दें कि राजस्थान सरकार का जयपुर विकास प्राधिकरण भी मंदी की चपेट में है। प्रॉपर्टी का बाजार बंद हुआ तो विकास का काम ठप हो गया। इसके लिए धन चाहिए तो किसानों की जमीन लेकर प्लॉट काटकर बेचने की योजना बनाई गई लेकिन जेडीए के इस कदम के खिलाफ नींदड़ के किसान पूरी ताकत के साथ डट गए हैं।