किसानों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे एफपीओ: नाबार्ड

उत्तर प्रदेश नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक शंकर ए. पांडेय ने किसानों को एफपीओ से जुड़ने के लिए किया जागरूक, कहा - एफपीओ के जरिये किसानों के जीवन में आ रहा बदलाव

Update: 2020-11-09 12:43 GMT
सीतापुर में कार्यक्रम से पहले किसानों से एफपीओ को लेकर बातचीत करते उत्तर प्रदेश नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक शंकर ए. पांडेय। फोटो : गाँव कनेक्शन

सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। "किसानों की आय साल 2022 तक दोगुनी करने का प्रधानमंत्री का सपना पूरा करने में एफपीओ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, आज एफपीओ के गठन से किसानों के जीवन में काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं," यह बात उत्तर प्रदेश नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक शंकर ए. पांडेय ने किसानों को संबोधित करते हुए कही।

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक शंकर ए. पांडेय नौ नवम्बर को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के महोली ब्लॉक स्थित पिपरावा में एक एफपीओ के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने किसानों से एफपीओ को लेकर सरकार की भावी योजनाओं को लेकर भी चर्चा की।

किसान संगठन ओजोन किसान संगठन के कार्यक्रम में पहुचे शंकर ए. पांडे ने कहा, "आज के समय किसानों के आगे सबसे बड़ा मुद्दा बीज का है। सही खाद बीज की उपलब्धता न होने के कारण किसान अब तक बिचौलियों और मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा ठगा जा रहा था। विदेशी कंपनियां हमारे ही बीज को अपने नाम पर पंजीकरण करा कर हमको ही दस गुने दामों पर बिक्री करती चली आ रही हैं, लेकिन जब से एफपीओ का गठन हुआ है, तब से ग्रामीण भारत के किसानों में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है।"

"किसान अपना देसी बीज संजो कर रख रहे हैं। आज स्थिति यह है कि 40 फ़ीसदी से अधिक किसान अपना खुद का खाद बीज तैयार कर रहे हैं और एक आत्मनिर्भर भारत की ओर तेजी बढ़ रहे हैं। साथ ही किसानों को नाबार्ड और कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा समय-समय पर खेती बाड़ी से सम्बंधित प्रशिक्षण भी दिलाया जा रहा है। इससे गांवों से लोगों का पलायन भी बड़ी तेजी से घटता चला जा रहा है," शंकर ए. पांडे कहते हैं।

किसान उत्पादक संगठन यानी एफपीओ को लेकर सीतापुर के किसानों के बीच एक जागरुकता कार्यक्रम में पहुंचे 
उत्तर प्रदेश नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक शंकर ए. पांडेय
 

एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठन, आसान भाषा में किसानों की कंपनी, जिसमें किसी क्षेत्र के समूह में जुड़े किसानों को सरकार खाद-बीज से लेकर फसल उत्पादन के लिए बाजार उपलब्ध कराती है। इस एफपीओ में 100 से लेकर कई हजार किसान शामिल हो सकते हैं। एफपीओ के जरिये किसानों को न सिर्फ खाद, बीज, कृषि उपकरण जैसे तमाम उत्पादों को खरीदने में छूट मिलती है, बल्कि अपनी फसल की प्रोसेसिंग कर उसे बाजार में बेच सकते हैं।

देश के अलग-अलग राज्यों में नाबार्ड, लघु कृषक कृषि व्यवसाय कंसोर्टियम (एसएफएसी) जैसी कई सहकारी संस्थाएं किसानों के बीच एफपीओ के गठन को लेकर कार्यभार संभाल रही हैं। यही वजह है अब तक देश में 7,000 हजार से ज्यादा किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया जा चुका है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अब तक 750 एफपीओ रजिस्टर हैं।

कार्यक्रम में नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक शंकर ए. पांडेय ने कहा, "भारत में साल 2024 तक किसानों के बीच दस हजार नए एफपीओ बनाने की सरकार की मंशा है। इसके अलावा किसानों द्वारा उगाये गए कृषि उत्पादों को बेचने के लिए उत्तर प्रदेश में कई जिलों में 20 हाट और रूरल मार्ट की स्थापना की गई है, जहाँ किसान अपने कृषि उत्पादकों को आसानी से बिक्री कर अपनी आमदनी दोगुनी कर रहे हैं।"

एफपीओ ने किसानों के जीवन में किया काफ़ी बदलाव

ओज़ोन फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी को संचालित करने वाले महोली तहसील के अल्लीपुर गाँव मे रहने वाले विनोद मौर्य बताते हैं, "मैं पिछले सात वर्षों से एफपीओ चला रहा हूँ और टमाटर की खेती कर रहा हूँ। पहले मुझे टमाटर लोकल मंडियों में ही बेचना पड़ता था, लेकिन अब मैं हम किसानों का टमाटर एफपीओ के जरिये दूसरे प्रदेशों में भेजा जाता है। दूसरे राज्यों तक पहुँचने से किसानों को भी अच्छा मुनाफ़ा हो रहा है।" 

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